‘डूबते’ पाकिस्तान को अमेरिका ने दिया झटका, तोड़ दी आखिरी उम्मीद

नई दिल्ली,

आर्थिक संकट से निकलने की कोशिश कर रहे पाकिस्तान को अमेरिका ने बड़ा झटका दिया है. पाकिस्तान की अब उम्मीद की आखिरी किरण अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ है. पाकिस्तान लगातार अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से बेलआउट प्रोग्राम के तहत कर्ज लेने की कुछ शर्तों में छूट की मांग कर रहा है. ऐसे में आईएमएफ में दबदबा रखने वाले अमेरिका ने इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी है.अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा है कि अमेरिका चाहता है कि पाकिस्तान आर्थिक सुधारों के रास्ते पर लगातार आगे बढ़ता रहे.

सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान को आईएमएफ की ओर से छूट देने के सवाल पर नेड प्राइस ने कहा कि, अंत में यह आईएमएफ को ही तय करना है कि वह शर्तों में छूट देने के लिए तैयार है या नहीं. नेड प्राइस ने आगे कहा कि, ”हम पाकिस्तान को सुधार की राह पर देखना चाहते हैं. पाकिस्तान के सहयोगी बनना चाहते हैं.” आईएमएफ ने पाकिस्तान की सरकार को खर्च में कटौती, टैक्स और निर्यात में बढ़ोतरी के जरिए राजस्व बढ़ाने के लिए कहा है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने आगे कहा कि, जब-जब पाकिस्तान में सुरक्षा, आर्थिक या मानवीय संकट होगा, अमेरिका उसका हमेशा साथ देगा. नेड प्राइस ने आगे कहा कि पिछले साल पाकिस्तान में आई बाढ़ के बाद से ही अमेरिका लगातार पाकिस्तान के साथ मिलकर इससे उबरने के लिए काम कर रहा है.

वहीं अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने पाकिस्तान को अतिरिक्त सहायता देने का भी ऐलान किया है. नेड प्राइस ने कहा कि, पाकिस्तान को अमेरिका की ओर से अतिरिक्त 10 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद की जा रही है. यह मदद पाकिस्तान को फिर से उबरने के लिए दी जा रही है. इस मदद के बाद पाकिस्तान के आर्थिक सहयोग में अमेरिका का योगदान 20 करोड़ डॉलर का हो जाएगा.

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि, 10 करोड़ डॉलर की जो मदद अब की जा रही है, यह सहायता बाढ़ सुरक्षा, आर्थिक विकास, स्वच्छ ऊर्जा, जलवायु-स्मार्ट कृषि, खाद्य सुरक्षा और बुनियादी ढांचे के पुनर्निमाण के लिए दी जा रही है. नेड प्राइस ने आगे कहा कि इस फंडिंग में बाढ़ पीड़ितों के लिए मानवीय मदद भी शामिल है.

वहीं अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने आगे कहा कि पाकिस्तान की रिकवरी और पुर्ननिर्माण एक सतत प्रक्रिया होगी, जो महीनों और सालों तक चलेगी. ऐसे में पाकिस्तान की जलवायु अनुकूल भविष्य बनाने की कोशिशों में अमेरिका अपना समर्थन लगातार जारी रखेगा.

सरकार में आते ही शहबाज शरीफ के कंधों पर ‘भारी’ जिम्मेदारी
साल 2022 में पीटीआई चीफ और तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान अविश्वास प्रस्ताव में अपनी सरकार नहीं बचा पाए. जिसके बाद शहबाज शरीफ ने अन्य पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाई. प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी संभालते ही शहबाज शरीफ के कंधों पर आर्थिक परेशानी का बोझ आ गया.

शहबाज शरीफ ने सही से कुर्सी भी नहीं संभाली थी कि जुलाई और अगस्त में बाढ़ ने एक तिहाई पाकिस्तान में जोरदार तबाही मचा दी. इस तबाही में लाखों लोग बेघर हो गए और 1700 लोग मारे गए. आर्थिक तौर पर भी शहबाज सरकार को भारी नुकसान हुआ है. एक रिपोर्ट की मानें तो बाढ़ से जितना नुकसान पाकिस्तान को हुआ है, उसकी भरपाई करने के लिए भी 16 अरब डॉलर की जरूरत होगी, वह भी ऐसे समय पर जब पाकिस्तान में सरकारी खजाना बिल्कुल खाली है.

भरपाई के लिए पाकिस्तानी सरकार आईएमएफ समेत अंतराष्ट्रीय मंच पर और देशों से भी मदद मांग रही है. आईएमएफ के साथ पाकिस्तान सरकार की बातचीत चल रही है. अगर आईएमएफ पाकिस्तान की मदद के लिए राजी हो गया तो इमरान खान सरकार के कार्यकाल से रुके हुए बेलआउट प्रोग्राम की अगली 1.1 करोड़ डॉलर की किश्त जारी कर दी जाएगी, जिसकी पाकिस्तान को सख्त जरूरत भी है.

शहबाज शरीफ ने इस बारे में कहा था कि पाकिस्तान में बाढ़ आने से पहले से भी हम लगातार चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. शहबाज शरीफ ने कहा था कि, इमरान खान सरकार ने आईएमएफ के एग्रीमेंट का जिस तरह से उल्लघंन किया है, उसे ठीक करने के लिए हमें फिर से आईएमएफ से बात करनी पड़ रही है.

शहबाज शरीफ ने कहा कि आईएमएफ की शर्तों का अनुपालन करने के लिए पाकिस्तान पूरी कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा कि हम आईएमएफ की शर्तों का पालन करने के लिए सबकुछ करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि वे इसलिए खुद आईएमएफ को राजी करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे वित्तीय सहायता देने वाला प्रोग्राम फिर से शुरू किया जा सके और पाकिस्तान को अगली किश्त मिल सके.

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