अफ्रीकी देशों को सस्ते हथियारों से पाट रहा चीन, तैनात कर रहा रूस जैसी प्राइवेट आर्मी

बीजिंग

चीन दुनिया के गरीब देशों को कर्ज देकर गुलाम बनाने की नीति से एक कदम आगे बढ़ चुका है। वह अब आपसी संघर्ष में शामिल देशों को भारी मात्रा में हथियार सप्लाई कर रहा है। इनमें वे देश शामिल हैं, जो गरीब हैं और पश्चिमी देशों से महंगे हथियार नहीं खरीद सकते। इन देशों में अधिकतर अफ्रीका महाद्वीप में बसे हुए हैं। इन देशों में चीन रूस के वैगनर ग्रुप जैसी अपनी प्राइवेट आर्मी भी तैनात कर रहा है। इस आर्मी में शामिल लड़ाके अफ्रीका में चीनी हितों की रक्षा कर रहे हैं। ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि चीन पूरे अफ्रीका में डिफेंस और सिक्योरिटी प्रभाव का विस्तार कर रहा है। बड़ी बात यह है कि इसका सबसे बड़ा नुकसान चीन के खास मित्र कहे जाने वाले रूस को हो रहा है। चीन जिन देशों को सस्ते दाम पर हथियार बेच रहा है, वे अब तक रूस से हथियार खरीदा करते थे। ऐसे में चीन अफ्रीका महाद्वीप में रूसी हथियार मॉर्केट को तेजी से कब्जा रहा है।

चीनी निवेश की रक्षा कर रही बीजिंग की प्राइवेट आर्मी
अमेरिकी थिंक टैंक रैंड कॉर्पोरेशन के अनुसार, अफ्रीकी देशों को हथियार निर्यात करने के अलावा चीन खनन क्षेत्र, बंदरगाहों और रेलवे की सुरक्षा के लिए निजी सैन्य और सुरक्षा ठेकेदार को पैसे लेकर तैनात कर रहा है। सुरक्षा ठेकेदारों की तैनाती चीन के वित्त पोषित बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव प्रोजक्ट वाले इलाकों में ज्यादा हो रही है। वर्तमान में चीन के 15 निजी सैन्य और सुरक्षा ठेकेदार अफ्रीकी देशों में काम कर रहे हैं। इसके अलावा चीन ने अफ्रीका के करीब 17 देशों को हथियारों का निर्यात किया है। स्टडी में बताया गया है कि चीनी निजी सैन्य और सुरक्षा ठेकेदार प्राप्त करने वाले 15 देशों में से प्रत्येक को रूसी निजी सुरक्षा ठेकेदार भी मिले हैं।

अफ्रीका में रूस को कड़ी टक्कर दे रहा है चीन
दिसंबर के अंत में जारी रैंड कॉर्पोरेशन के आंकड़ों के अनुसार, चीन अपने मित्र देश रूस से थोड़ा ही पीछे है। रूस के 31 निजी सैन्य और सुरक्षा ठेकेदार अफ्रीका के अलग -अलग देशों में तैनात हैं। रूस ने 14 अफ्रीकी देशों को हथियारों का निर्यात भी किया है। चीन और रूस से अफ्रीकी देशों में सैन्य शिपमेंट में विमान, ड्रोन, ऑर्टिलरी, ऑर्मर्ड व्हीकल, मिसाइल और युद्धपोत शामिल हैं। इस स्टडी में बताया गया है कि रूस ने 10 देशों को हथियार और निजी सैन्य और सुरक्षा ठेकेदार दोनों उपलब्ध करवाए हैं, जबकि चीन के लिए ऐसे देशों की संख्या सात है। चीन और रूस दोनों से निजी सैन्य और सुरक्षा ठेकेदार प्राप्त कपने वाले पांच देशों में अंगोला, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, इथियोपिया, माली और सूडान शामिल हैं।

सिर्फ पैसे कमाने के लिए हथियार नहीं बेच रहा चीन
रैंड कॉर्पोरेशन के वरिष्ठ अंतरराष्ट्रीय और डिफेंस रिसर्चर जॉन पैराचिनी ने कहा कि हथियारों का निर्यात प्रभाव बढ़ाने का एक साधन है। चीन भी अन्य प्रमुख हथियार निर्यातकों की तरह पैसा बनाने के लिए हथियार बेचने की कोशिश कर रहा है। ऐसे लेन-देन में अक्सर उच्च स्तरीय वार्ता शामिल होती है। उन्होंने कहा कि हथियार ख़रीदने वाले देश के वरिष्ठ नेता अक्सर इन लेन-देन में शामिल होते हैं। हथियारों के निर्यात से वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क होता है जिससे अन्य राजनयिक और वाणिज्यिक बातचीत हो सकती है। पैराचिनी ने कहा कि चीन की निजी सुरक्षा कंपनियां मुख्य रूप से विदेशों में चल रही चीनी औद्योगिक परियोजनाओं को सेवाएं प्रदान करती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि विदेश में उनकी भूमिका वैग्नर ग्रुप जैसी रूसी सैन्य कंपनियों से काफी अलग है, जो भाड़े के भाड़े के सैनिकों के रूप में काम करती हैं।

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