BCCI की ये कैसी अमीरी? जो पृथ्वी शॉ की रिकॉर्डतोड़ पारी तक नहीं दिखा सकी

नई दिल्ली,

रणजी ट्रॉफ़ी का 2022-23 सीज़न चालू है. साल के दूसरे हफ़्ते में देश के सबसे बड़े डोमेस्टिक टूर्नामेंट में एक नया रिकॉर्ड बना. मुंबई की टीम से खेलने वाले पृथ्वी शॉ ने असम के ख़िलाफ़ एक पारी में 379 रन बना दिए. इस तरह से वो रणजी ट्रॉफ़ी के इतिहास में एक पारी में सबसे ज़्यादा रन बनाने के मामले में दूसरे नंबर पर आ गए. इससे पहले संजय मांजरेकर 377 रनों के साथ दूसरे नंबर पर थे.

बीती शाम, मैच के पहले दिन, पृथ्वी शॉ 240 रन बनाकर खेल रहे थे. मंगलवार को पारी आगे बढ़ाते हुए उन्होंने पहले तो तिहरा शतक जड़ा फिर 350 का आंकड़ा भी पार किया. इसके बाद उन्होंने एक-एक करके स्वप्निल गुगाले (351*), चेतेश्वर पुजारा (352), वीवीएस लक्ष्मण (353), समित गोहेल (359*), विजय मर्चेंट (359*), एमवी श्रीधर (366*) और संजय मांजरेकर (377) को पीछे छोड़ा. रणजी ट्रॉफ़ी में एक पारी में सबसे ज़्यादा रन मारने के मामले में भाऊसाहेब निम्बलकर सबसे आगे हैं. भाऊसाहब ने महाराष्ट्र की ओर से खेलते हुए काठियावाड़ के ख़िलाफ़ 1948 में 443 रन बनाये थे.

भारतीय टीम का हिस्सा रह चुके पृथ्वी शॉ बीते एक साल से चर्चा का विषय रहे हैं. उन्होंने भारतीय नेशनल टीम के लिये आख़िरी बार 25 जुलाई 2021 (श्रीलंका के ख़िलाफ़ टी-20) को खेला था. इसके बाद से उन्होंने सीमित ओवरों के फ़ॉर्मेट में और डेज़ मैचों में लगातार अच्छा परफ़ॉर्म किया. उन्होंने दिलीप ट्रॉफ़ी में नॉर्थ-ईस्ट ज़ोन के ख़िलाफ़ 121 गेंदों पर 113 रन बनाये. फिर न्यूज़ीलैंड-ए के ख़िलाफ़ खेलते हुए 48 गेंदों में 77 रन बनाये और सीरीज़ जीती. फिर सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी में पहली टी-20 सेंचुरी मारते हुए 61 गेंदों में 134 रन बनाये. इस मैच में वो मुंबई की कप्तानी भी कर रहे थे. इस सब के बीच पृथ्वी शॉ को इंडियन टीम में जगह ही नहीं मिल रही है. उन्हें अंतिम ग्यारह तो क्या, पंद्रह-सोलह के लिये भी नहीं बुलाया जा रहा है. सोशल मीडिया पर इस बाबत खासी सुगबुगाहट फैली हुई है.

पृथ्वी शॉ की ऐतिहासिक पारी
इस सब के बीच पृथ्वी शॉ ने 383 गेंदों में 379 रन की पारी खेलकर एक बार फिर ये दावा ठोंक दिया है कि वो इंडिया की जर्सी पहनने के पूरे हक़दार हैं. लेकिन इसी कॉन्टेक्स्ट में एक कहावत याद आती है – जंगल में मोर नाचा, किसने देखा? क्रिकेट की दुनिया तो जान गयी कि पृथ्वी शॉ ने क्या कारनामा किया है, लेकिन आम दर्शक और खेल-प्रेमी इस पारी के गवाह नहीं बन सकते. क्यूंकि इस मैच की कोई भी, कैसी भी कवरेज नहीं हो रही थी. इक्का-दुक्का ट्विटर हैन्डलों के ज़रिये पृथ्वी शॉ के स्कोर के अपडेट मिल रहे थे लेकिन ये कतई स्वीकार्य नहीं है. सवाल ये है कि जिस देश में दुनिया का सबसे बड़ा और अमीर क्रिकेट बोर्ड है, वहां उसी के एक खिलाड़ी की पारी लोग क्यों नहीं देख पा रहे हैं?

बीसीसीआई के पास इतनी ताक़त है कि चैम्पियंस ट्रॉफ़ी जैसे बड़े इवेंट से पहले अपनी बात मनवाने के लिये अपनी टीम अनाउंस करने से इन्कार कर दे. ऐसा करने के लिये उसे ताक़त कहां से मिलती है? पैसे से. बीसीसीआई कितना अमीर है, इसका अंदाजा यहां से लगाया जा सकता है कि सिर्फ़ आईपीएल के प्रसारण के अधिकार देने के बदले में उसे 5 साल (2023-27) में 48 हज़ार करोड़ से ज़्यादा की राशि मिलेगी. भारतीय टीम के अपनी ज़मीन पर होने वाले मैचों के प्रसारण का अधिकार 6 हज़ार करोड़ से ज़्यादा रुपयों में बेचा गया था. और ये सिर्फ़ प्रसारण के अधिकार हैं. अभी तमाम स्पांसरशिप बाक़ी हैं.

फ़िलहाल, बीसीसीआई सिर्फ़ 3 रणजी मैचों का सीधा प्रसारण कर रहा है – पंजाब वर्सेज़ जम्मू और कश्मीर, बंगाल वर्सेज़ बड़ौदा और मध्य प्रदेश वर्सेज़ गुजरात. असम और मुंबई के बीच हो रहे मैच में कवरेज के नाम पर एक स्कोरकार्ड मिलता है जो बीसीसीआई की आधिकारिक वेबसाइट पर 4 माउस-क्लिक के बाद खुलता है.

भारतीय क्रिकेट बोर्ड हर दिशा से पैसे कमा रहा है. BCCI में पहला C कंट्रोल के लिये इस्तेमाल किया गया है. और सही मायनों में बोर्ड अपने संसाधनों को पूरी तरह से कंट्रोल करता है. अपने कर्मचारियों (पढ़ें खिलाड़ियों) पर इसका इस हद तक कंट्रोल है कि वो दूसरे देश की लीग्स में नहीं खेल सकते. यदि उन्हें ऐसा करना है तो उन्हें बीसीसीआई से इस्तीफ़ा देना होगा (पढ़ें संन्यास लेना होगा). और फिर यही बीसीसीआई ख़ुद को एक चैरिटेबल संस्था बताती है.

1996 में इसका बतौर चैरिटेबल संस्था रजिस्ट्रेशन हुआ था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त लोढ़ा कमिटी द्वारा सुझाए गए बदलावों के बाद इसे दोबारा अपना रजिस्ट्रेशन करवाने की ज़रूरत पड़ी जहां इसने फिर से ख़ुद को चैरिटेबल संस्था बताया. इस बार देश के आयकर विभाग ने इसे चैरिटेबल संस्था मानने से मना कर दिया क्यूंकि उनके अनुसार बीसीसीआई फ्रेंचाईज़ी क्रिकेट में शामिल थी और वो बड़ी रकम अंदर कर रही थी. लेकिन बीसीसीआई अपने इस दावे पर अडिग रही कि वो देश में क्रिकेट को बढ़ावा देने और टैलेंट निकालने का काम कर रही है और फ्रेंचाईज़ी क्रिकेट भी इसी दिशा में उठाया गया कदम है.

नवम्बर 2021 में आयकर अपीलीय अधिकरण ने बीसीसीआई को चैरिटेबल संस्था माना और उन्हें इनकम टैक्स से छूट भी दे दी. इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बोर्ड ने मजबूरी में जो भी टैक्स दिया, उसे हमेशा ‘Under Protest’ फ़ाइल किया. सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को आदेश दिया था कि हर महीने 25 लाख के ऊपर किसी भी ख़र्चे को उन्हें सार्वजानिक रूप से घोषित करना होगा. इसके बाद बीसीसीआई द्वारा जारी किये खर्चों के ब्योरे में साफ़ देखा जा सकता है कि हर टैक्स पेमेंट को उन्हें ‘Under Protest’ दिया घोषित किया है. बोर्ड का कहना था कि आने वाले समय में वो कानूनी रास्ता अपनाकर ये टैक्स वापस लेगा.

टैक्स बचाने (पढ़ें ‘न देने’) की हर संभव कोशिश करता भारतीय क्रिकेट बोर्ड ये कहता है कि वो एक चैरिटेबल संस्था है और वो देश में क्रिकेट के खेल को प्रमोट कर रहा है और नये टैलेंट को ढूंढकर उसका उद्धार कर रहा है. ऐसे में क्रिकेट के खेल की चैरिटी कर रहे इस ‘कंट्रोल बोर्ड’ का ये कैसा खेल-प्रेम है कि वो अपने सबसे बड़े घरेलू टूर्नामेंट का प्रसारण नहीं कर रहा है.

कपिल देव ने जब ज़िम्बाब्वे के ख़िलाफ़ 175* रन बनाये थे, उसकी कोई वीडियो फ़ुटेज मौजूद नहीं है. लेकिन वो साल 1983 था. आज 2023 हो चुका है. छोटे-छोटे प्राइवेट टेनिस-बॉल टूर्नामेंट यूट्यूब या मोबाइल ऐप्स पर लाइव प्रसारित होते हैं जिनकी क्लिप्स सोशल मीडिया पर घूमा करती हैं. लेकिन भारतीय डोमेस्टिक टूर्नामेंट में इतिहास बनाने वाली पृथ्वी शॉ की पारी का एक भी शॉट न ही देखा जा सका और न ही देखा जा सकेगा. क्यूंकि, फ़िलहाल तो ऐसा ही लग रहा है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने मैचों को दर्शकों तक पहुंचाने से ज़्यादा ध्यान कानूनी, आयकर और मध्यस्थता संबंधी पचड़ों से पार पाने में लगाया हुआ है, जिसके लिया उन्होंने सिर्फ़ 2020-21 के लिये लगभग 3,500 करोड़ रुपये अलग कर रखे थे.

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