धार्मिक अल्पसंख्यकों की पहचान पर आपस में ही एक नहीं BJP शासित राज्य, जानिए पूरी वजह

नई दिल्ली

धार्मिक अल्पसंख्यकों की पहचान मामले में बीजेपी शासित राज्य आपस में बंटे हुए दिखाई दे रहे हैं। गुजरात, कर्नाटक और मध्य प्रदेश की सरकारों ने पहचान के लिए मौजूदा सिस्टम का समर्थन किया है। इस सिस्टम के अनुसार, हिंदुओं को अल्पसंख्यकों की लिस्ट से बाहर रखा गया है। वहीं असम और उत्तराखंड की सरकार का मत अलग है। उनका कहना है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों की पहचान की इकाई राज्य के पास होनी चाहिए। जैसा कि 2002 के लैंडमार्क टी एम ए पई मामले में सर्वोच्च न्यायालय की ओर से निर्धारित किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में केंद्र ने क्या कहा
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा पेश किया है उसमें इस मामले पर जानकरी दी गई है। केंद्र ने कोर्ट को बताया कि 24 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों ने अपनी राय भेजी है वहीं 4 राज्य अरुणाचल प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और झारखंड वहीं दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लक्षद्वीप ने अभी तक अपना जवाब नहीं भेजा है। आपको बता दें कि एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने इस मामले में अदालत में एक याचिका डाली है। उन्होंने इसकी मदद टी एम ए पई के फैसले को लागू करने की बात की है। इस रूलिंग के अनुसार उन सभी हिंदुओं को अल्पसंख्यकों की लिस्ट से बाहर रखा जाए जिन-जिन राज्यों में उनकी संख्या कम है।

राज्यों की दलील भी सुन लीजिए
गुजरात सरकार ने कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए हम मौजूदा प्रक्रिया से सहमत हैं। मध्य प्रदेश सरकार का भी यही मत था। वहीं कर्नाटक सरकार ने कहा कि केंद्र की तरह हमने भी कर्नाटक राज्य अल्पसंख्यक कमीशन की सलाह पर मुस्लिमों, ईसाई, बौद्ध,जैन, सिख और पारसियों को अल्पसंख्यक घोषित कर रखा है। हमारा रुख इसपर यथास्थित है। महाराष्ट्र में बीजेपी और शिंदे गुट की शिवसेना की गठबंधन वाली सरकार है। वहां की सरकार ने कहा कि राज्य ने पहले से 6 समुदायों को अल्पसंख्यक की कैटिगरी में रखा है। इसके अलावा जिनकी भाषा मराठी नहीं है उसे भाषाई अल्पसंख्यक की श्रेणी में रखा है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार राज्यों से मशवरा कर अपने जनगणना वाले डेटा का उपयोग कर अल्पसंख्यकों को नोटिफाई कर सकती है।

मणिपुर की राय इस मामले में जुदा है। उसका कहना है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए इकाई राज्य के पास होनी चाहिए। सरकार ने आगे कहा कि कोई भी धार्मिक समुदाय जो राज्य की जनसंख्या के 50 फीसदी से कम है तो उसे अल्पसंख्यक की श्रेणी में रखा जाएगा। यह सिस्टम यहां बनाया गया है। पंजाब ने कहा कि हमने 2012 के पंजाब स्टेट कमीशन फॉर माइनॉरिटी एक्ट को लागू किया है। जिसके अनुसार, जैन को अप्रैल 2013 में अल्पसंख्यक घोषित किया जा चुका है। उसने कहा कि भारत में अलग-अलग समुदाय अलग-अलग राज्यों में अल्पसंख्यक की श्रेणी में आते हैं। तमिलनाडु भी टी एम ए पई के फैसले के अनुसार,ही अल्पसंख्यकों को चुनने का अधिकार राज्य के पास होना चाहिए।

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