हिन्दू धर्म एक ऐसा धर्म है, जिसमें महिला को देवी माना गया-जगदगुरु रामभद्राचार्य महाराज

– मंगलवार को कथा दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक की जाएगी इसके बाद भंडारे का आयोजन होगा

भोपाल

नारी किसी धर्म में बेटी है, तो किसी में बीबी, पर हिन्दू धर्म एक ऐसा धर्म है, जिसमें महिला को देवी माना गया है। हम नारी का कितना सम्मान करते हैं, पहले सीता कहते हैं फिर राम कहते हैं। पहले राधा कहते हैं फिर कृष्ण कहते हैं। जहां नारी का पूजन होता है, वहां देवता रम जाते हैं। यह बात राजधानी के भेल दशहरा मैदान पर चल रही श्रीराम कथा में जगदगुरु रामभद्राचार्य महाराज ने कही। उन्होंने भारत की नारियों का आह्वान करते हुए कहा कि भारत में सम्मान पाना है, तो सीता बनकर रहना होगा। इस मौके पर महाराज ने कहा कि जिस घर में बेटे से अधिक बेटियों का सम्मान होता है, वहां सदैव सुख-समृद्धि बनी रहती है। महाराज ने कहा कि महिलाओं को शिक्षा देनी चाहिए, वे पढ़ेंगी तो देश संवर जाएगा। शिक्षा महिला का मौलिक अधिकार है।

उन्होंने कहा कि रामभद्राचार्य महाराज रामजी ने अपने हाथों से आभूषण बनाया और सीता जी को सादर पूर्वक पहनाया। भगवान राम पत्नी को भोग का साधन नहीं मानते, बल्कि योग का साधन मानते हैं। आगे की कथा में बताया कि जयंत भगवान की परीक्षा लेने के लिए कौवा बनकर जाता है और चोंच मारकर सीता जी को घायल कर देता है। इस पर भगवान राम सीक की धनुष पर ब्रह्मास्त्र का संधान करते हैं और जयंत को मारने के लिए छोड़ देते हैं। जयंत अपनी जान बचाने के लिए वहां से भागता है और पूरे ब्रह्मांड में चक्कर लगाता है, पर उसे कोई शरण नहीं देता। अंत में नारद जी के कहने पर भगवान रामचंद्र की शरण में जाता है, जहां उसे जीवन दान मिलता है।

रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि रामचरित मानस में कहीं भी किसी का अपमान नहीं किया गया है। यदि ब्राह्मण तीन दिनों तक संध्या वंदन न करे तो वह भी शूद्र कहलाता है। आगे की कथा में कहा राम को मनाने भरत जी चित्रकूट जाते हैं, उनके नहीं मानने पर वहां से वापस लौट जाते हैं। वन गमन के दौरान अनुसुइया ने सीता जी को पतिव्रता का उपदेश दिया। महाराज ने कहा कि ब्रह्म और जीव में भगवान की कृपा सुंदर लगती है। भगवान की कृपा पानी है, तो गुरुदेव का चयन करो, भगवान स्वंय आ जाएंगे। महाराज ने बताया कि चंद्रमा की 10वीं कला क्र्रांति थी, जिसे भगवान सभी को दे रहे हैं।

रामभद्राचार्य महाराज ने खुद की घटना का जिक्र करते हुए बताया कि विद्यार्थी जीवन मे वर्ष 1976 में एक महाशय ने मेरे गुरुजी का अपमान किया। इस पर मैने उन्हें शास्त्रार्थ करने को कहा और राघव जी को याद करते हुए कहा कि आज शास्त्रार्थ में जीत गया तो गृहस्थ आश्रम में कभी नहीं लौटूंगा। मैंने उसी दिन से तय कर लिया कि कितनी भी योग्यता मिल जाए, फिर भी जीवन भर न तो सर्विस करूंगा और न ही विवाह करूंगा। आगे की कथा में बताया कि रामजी ने सभी मुनियों को जीवन दान देकर उनके आश्रमों में पहुंचकर उन्हें सुख दिया। इसके बाद सुर्पणखा का नाक-कान काटने, खरदूषण वध आदि की कथा सुनाई। मंगलवार को कथा दोपहर 12 बजे से 4 बजे तक की जाएगी। इसके बाद भंडारे का आयोजन किया जाएगा।

कथा में मुख्य यजमान शुभावती-हीरा प्रसाद यादव हैं। सोमवार को कथा सुनने सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर, पूर्व महापौर आलोक शर्मा, नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी, जबलपुर विधायक अशोक रोहाणी, पार्षद जीत राजपूत, पार्षद नीरज सिंह, श्रेत्रीय सह प्रचार प्रमुख अशोक पोरवाल, श्रीकृष्ण मंदिर अध्यक्ष राजेंद्र सिंह यादव, मेला समिति अध्यक्ष सुनील यादव, संयोजक विकास वीरानी, महामंत्री हरीश कुमार राम, उपाध्यक्ष वीरेंद्र तिवारी, के साथ ही मेला मेला समिति के पदाधिकारी मौजूद रहे।

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