एक के बदले 93… कौन था उमर खालिद खुरासानी, जिसकी मौत का बदला TTP ने पेशावर में लिया

नई दिल्ली,

पाकिस्तान के पेशावर के हाई सिक्योरिटी जोन में नमाजियों से खचाखच भरी मस्जिद में सोमवार को हुए फिदायीन हमले ने सभी को हिला कर रख दिया. इस हमले में अभी तक 90 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 200 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है. टीटीपी ने कहा है कि यह हमला उमर खालिद खुरासानी की मौत का बदला है. ऐसे में सवाल उठता है कि कौन है उमर खालिद खुरासानी जिसकी मौत का बदला लेने के लिए टीटीपी ने लाशों का अंबार लगा दिया.

उमर खालिद खुरासनी टीटीपी का कमांडर था, जो पिछले साल अगस्त में पाकिस्तानी सेना के हाथों मारा गया. खुरासानी के भाई और टीटीपी के मेंबर मुकर्रम के जरिए ही यह पता चला कि वे खुरासानी की मौत को भुला नहीं पाए हैं और उन्होंने पूरी तैयारी के साथ पेशावर मस्जिद हमले को अंजाम दिया.

कौन है उमर खालिद खुरासानी?
खुरासानी का जन्म पाकिस्तान की मोहम्मद एजेंसी में हुआ था. उमर खालिद का असली नाम अब्दुल वली मोहम्मद था. उसकी शुरुआती तालीम उसके गांव (साफो) में हुई लेकिन बाद में वह कराची के कई मदरसों में पढ़ा. वह बेहद कम उम्र में आतंक से जुड़ गया था. वह शुरुआत में पाकिस्तान के इस्लामी जिहादी संगठन हरकत-उल-मुजाहिदीन से जुड़ा था, जो मुख्य रूप से कश्मीर में एक्टिव था, जहां वह कश्मीर की आजादी के जेहाद में शामिल हो गया था. लेकिन बालिग होने पर वह तहरीक-ए-तालिबान में शामिल हो गया.

वह कश्मीर में भी काफी समय तक एक्टिव था. वह टीटीपी से जुड़ने से पहले पत्रकार और शायर हुआ करता था. हालांकि, इस बात के पुख्त सबूत नहीं है कि वह टीटीपी में कब शामिल हुआ लेकिन अगस्त 2014 में उसने टीटीपी से अलग होकर जमात-उल-अहरार की स्थापना की. यह टीटीपी से जुड़ा हुआ ही एक आतंकी संगठन था. जमात-उल-अहरार आमतौर पर आम नागरिकों, अल्पसंख्यकों और सैन्यकर्मियों को ही निशाना बनाया करता था.

खुरासानी अफगानिस्तान के नांगरहार और कुनार प्रांतों से आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता था. जमात-उल-अहरार पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का सबसे सक्रिय आतंकी संगठन था, जिसने कई आतंकी हमलों को अंजाम दिया. इनमें से सबसे भयानक हमला मार्च 2016 में गुलशन-ए-इकबाल एम्युजमेंट पार्क में किया गया था. इसके अलावा लाहौर में ईस्टर के मौके पर एक हमला किया गया, जिसमें 70 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. खुरासानी की आतंकी गतिविधियों की वजह से वह अमेरिका की नजर में आया और मार्च 2018 में अमेरिकी विदेश विभाग ने उस पर 30 लाख डॉलर का इनाम रखा. जमात-उल-अहरार दरअसल टीटीपी से जुड़ा हुआ जरूर था लेकिन वह अपने तरीके से हमलों को अंजाम देता था. लेकिन बाद में मार्च 2015 में यह संगठन टीटीपी में शामिल हो गया.

बम विस्फोट में खुरासानी की मौत
अगस्त 2022 में अफगानिस्तान के पाकटीका इलाके में उमर खालिद खुरासानी (45) की गाड़ी को निशाना बनाकर बम विस्फोट किया गया. इस दौरान खुरासनी के साथ कार में टीटीपी के दो और कमाडर मौजूद थे. इन सभी की धमाके में मौत हो गई थी. हालांकि, वह इससे पहले पाकिस्तानी सेना के कई हमलों से बच गया था. खुरासानी तीन बार ड्रोन हमले में बच गया था. दिसंबर 2021 और फरवरी 2022 में हुए हमलों से वह बाल-बाल बच गया था.

मेरिका ने रखा था इनाम
अमेरिका की नजर खुरासानी पर तभी से थी, जब वह जमात-उल-अहरार से जुड़ा हुआ था और अपने तरीके से आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता था. वह अफगानिस्तान में बैठकर कश्मीर में आतंक फैलाने में लगा था. कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ाने के लिए वह अपना नेटवर्क लगातार मजबूत कर रहा था. यही वह समय था, जब जमात-उल-अहरार ने पाकिस्तान और कश्मीर में कई हमलों का अंजाम दिया, जिसकी वजह से अमेरिका ने उस पर 30 लाख डॉलर का इनाम रख दिया. खुरासानी अमेरिका के साथ पाकिस्तान सरकार की किसी भी तरह की बातचीत का समर्थक नहीं था.

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