अब सपा नेता मनीष जगन ने उठाए रामचरितमानस पर सवाल, बीजेपी को दी नसीहत

लखनऊ,

स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद अब समाजवादी पार्टी के एक और नेता ने रामचरितमानस की चौपाई पर सवाल उठाए हैं. साथ ही उन्होंने बीजेपी को नसीहत भी दी है. सपा नेता मनीष जगन अग्रवाल ने मानस की चौपाई, ‘ढोल गंवार शूद्र पशु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी’ का जिक्र करते हुए कहा, अगर तत्कालीन लेखक पूर्वाग्रह से ग्रस्त नहीं थे तो इस चौपाई में ब्राह्मण, ठाकुर और बनिया क्यों नहीं जुड़ा है. चार वर्णों में सकल ताड़ना सिर्फ शूद्र की ही क्यों और नारी की ही क्यों.

जगन ने कहा कि वो बाल्मिकी रचित रामायण के पक्षधर हैं. अगर BJP सच में पिछड़ों को सम्मान देना चाहती है तो डॉ. लोहिया के नारे ‘पिछड़े पावैं सौ में साठ’ को चरितार्थ करे. सरकार 60 प्रतिशत पिछड़ा और 22 प्रतिशत दलित आरक्षण सुनिश्चित करे. इसके साथ ही निजी क्षेत्र में भी इतना ही आरक्षण सुनिश्चित करके पिछड़ों को उनका पूरा अधिकार दे.

इसके आगे जगन ने कहा कि बीजेपी छलावा बंद करे. साथ ही जायज बात और जायज मुद्दे को विवाद कहना बंद किया जाए. किसी भी बात पर तर्क-वितर्क होना चाहिए. विवादित कहकर किसी भी बात को सत्ता पक्ष के हितानुसार एजेंडा सेट करना बंद होना चाहिए.

इससे पहले सपा प्रवक्ता सुनील साजन ने भी तुलसीदास की उन चौपाइयों को हटाने की मांग की थी, जिनको लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य ने बयान दिया था. स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरितमानस पर दिए गए बयान को अभी तक कई नेता निजी बताते रहे हैं, लेकिन पार्टी के प्रवक्ता और अन्य नेता भी सवाल उठा रहे हैं.

वहीं सपा नेता और पूर्व विधायक ब्रजेश प्रजापति ने भी मौर्य का समर्थन करते हुए कहा था कि रामचरितमानस में कुछ आपत्तिजनक पंक्तियां हैं, उन्हें सरकार हटा दे या फिर रामचरित मानस को ही बैन कर दिया जाए. ब्रजेश प्रजापति ने कहा कि रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों से आदिवासी, दलित, पिछड़े समाज और महिलाओं को ठेस पहुंचती है. बयान के साथ ही ब्रजेश प्रजापति ने सोशल मीडिया में भी रामचरित मानस की एक चौपाई को हाईलाइट करते हुए पोस्ट डाली. उसमें उन्होंने लिखा ‘इस पर हमारा भी विरोध है.’

क्या कहा था स्वामी प्रसाद ने?
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरितमानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है. यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है. सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरितमानस से जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए.

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