भारत को अमेरिका जल्द दे सकता है ये हथियार, चीन की बढ़ेगी टेंशन

नई दिल्ली,

चीन की चुनौती को देखते हुए अमेरिका जल्द से जल्द भारत को अपना हमलावर ड्रोन 30 MQ-9B दे सकता है. दोनों देश चाहते हैं कि हमलावर ड्रोन को लेकर 3 अरब डॉलर की ये डील कम से कम समय में हो जाए. इस हमलावर ड्रोन की मदद से भारत चीन से लगी सीमा (LAC) और हिंद महासागर के अलावा अपने पूरे निगरानी तंत्र को मजबूत कर पाएगा.

MQ-9 रीपर ड्रोन की मदद से ही अमेरिका ने अगस्त 2022 में अफगानिस्तान के काबुल में अल-कायदा के सरगना अयमान अल-जवाहिरी को ढेर कर दिया था. अमेरिका ने इस ड्रोन को दागने के लिए हेलफायर RX9 मिसाइल का उपयोग किया गया था. MQ-9B ड्रोन भी इसी ड्रोन सीरीज का हिस्सा है.

MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन को भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा जरूरतों की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है. अधिकारिक सूत्रों के अनुसार, अमेरिका से खरीदे जाने वाले कुल तीस ड्रोनों में से तीनों सेनाओं को 10-10 ड्रोन सौंपे जाएंगे. भारत लंबे समय से इस ताकतवर ड्रोन को खरीदने की कोशिश कर रहा है. 2017 में पहली बार अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सौदे पर चर्चा की थी. हालांकि उस वक्त यह डील नहीं हो सकी थी.

लगभग चार साल बाद मार्च 2021 में यह घोषणा की गई कि भारत तीन अरब डॉलर की लागत से अमेरिका से 30 MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन खरीदेगा.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, इस सौदे से परिचित अधिकारी से जब इस डील को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि गेंद अब भारत के पाले में है. अधिकारी ने स्पष्ट करते हुए कहा कि इस डील में कोई लालफीताशाही या नियामक से जुड़ीं दिक्कतें नहीं हैं.

अमेरिकी राजनीतिक सैन्य मामलों की सहायक विदेश मंत्री जेसिका लेविस ने डील में देरी के सवाल पर कहा कि इस बारे में उन्हें सटीक जानकारी नहीं है. माना जा रहा है कि हाल ही में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उनके अमेरिकी समकक्ष जेक सुलविन ने इस मुद्दे पर चर्चा की है. इस चर्चा के बाद ये डील जल्द ही फाइनल हो सकती है.

अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री ने कहा, “दोनों देशों ने इस ड्रोन डील के प्रति रुचि दिखाई है. भारत भी इस ड्रोन डिलीवरी प्राप्त करने को लेकर उत्सुक है. MQ-9 B प्रीडेटर ड्रोन की मदद से भारत न केवल हिंद महासागर में बल्कि LAC के साथ-साथ सभी राष्ट्रीय सुरक्षा और निगरानी तंत्र को मजबूत करेगा.”

क्या है MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन
MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन MQ-9 रीपर का दूसरा वर्जन है. यह ड्रोन लगातार 48 घंटे की उड़ान भर सकता है. इस ड्रोन की खासियत यह है कि दुश्मन को इसकी आने-जाने तक की कोई खबर नहीं लगती है. अमेरिका इस ड्रोन को हंटर-किलर यूएवी श्रेणी में रखता है.

अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को खोजने और कई आतंकियों को खत्म करने के लिए अमेरिका MQ-9 सीरीज के ड्रोन्स का कई बार सफल उपयोग कर चुका है. अगस्त 2022 में आतंकी संगठन अल-कायदा के लीडर अयमान अल-जवाहिरी को ढ़ेर करने के लिए अमेरिका ने इसी ड्रोन का इस्तेमाल किया था.

इस मानवरहित ड्रोन को कंप्यूटर के माध्यम से उड़ाया जाता है. इस ड्रोन को नियंत्रित करने के लिए दो लोगों की जरूरत होती है. एक बार उड़ान भरने पर यह 1900 किलोमीटर तक निगरानी कर सकता है.

इस ड्रोन में क्या है खास
जनरल एटॉमिक्स ग्लोबल कॉरपोरेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विवेक लाल के अनुसार, MQ-9B ड्रोन अन्य ड्रोन्स की तुलना में अधिक दूर तक उड़ान भरने, हवा में अधिक समय बिताने और किसी भी अन्य एयरक्राफ्ट की तुलना में मिशन को सफल बनाने में अधिक सक्षम है. ड्रोन के स्काईगार्जियन (SkyGuardian) और सीगार्जियन (SeaGuardian) की मदद से दिन हो या रात, किसी भी स्थिति में फुल-मोशन वीडियो प्राप्त किया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि यह एयरक्राफ्ट किसी खास मिशन के लिए कई प्रकार के अहम पेलोड को भी ले जा सकता है. उदाहरण के लिए, जब यह 360 डिग्री समुद्री रडार की खोज करता है, तो इसका स्काईगार्जियन एक सीगार्जियन बन जाता है. जो सेना को और अधिक समुद्री जानकारी देता है. यह जानकारी किसी अन्य तरीके से हासिल नहीं की जा सकती है.उन्होंने यह भी कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और अन्य परिष्कृत (sophisticated) टेक्नोलॉजीज इसे और खास बनाती है.

भारत क्यों खरीदना चाहता है MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन?
दो पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के रिश्ते मुश्किल दौर में हैं. इस लिहाज से भारत की सैन्य ताकत में प्रीडेटर ड्रोन का शामिल होना महत्वपूर्ण माना जा रहा है. 2020 में बॉर्डर पर चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प के बाद इस हथियार की जरूरत और भी बढ़ गई है.

दरअसल, भारत ने मानव रहित ड्रोन बेड़े का इस्तेमाल कर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अपनी निगरानी काफी बढ़ा दी है. ऐसे में अमेरिकी MQ-9B ड्रोन को शामिल करना भारत के निगरानी तंत्र में एक बड़ा अपग्रेड होगा.

इसके अलावा, भारतीय नौसेना हिंद महासागर में चीनी युद्धपोतों और पनडुब्बियों की गतिविधियों पर नजर रखना चाहती है. यह ड्रोन इसके लिए परफेक्ट होंगे.श्रीलंका में Yuan Wang 5 जहाज की डॉकिंग सहित हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती नौसैनिक गतिविधि भारत के लिए रीपर ड्रोन की आवश्यकता को और भी महत्वपूर्ण बना देती है.

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