JDU को तगड़ा झटका, चुनाव से पहले दिग्गज नेता ने चिराग पासवान की पार्टी का थामा दामन

दीमापुर/पटना

बिहार में सत्ताधारी जेडीयू अब दूसरे राज्यों में भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है। यही वजह है कि पार्टी ने नागालैंड विधानसभा चुनाव में दावेदारी की तैयारी की है। इसके लिए पार्टी ने उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। हालांकि, चुनाव से ठीक पहले ही पार्टी को तगड़ा झटका लगा है। जेडीयू के अब तक अकेले घोषित उम्मीदवार कितोहो एस रोतोका ने पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया। यही नहीं उन्होंने चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) में शामिल हो गए।

जानिए कौन हैं जेडीयू छोड़ने वाले नेता
जेडीयू कैंडिडेट कितोहो एस रोतोखा को पार्टी ने घासपानी-II निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया था। इसी बीच उन्होंने शुक्रवार सुबह पार्टी छोड़ दी और शाम को उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की सदस्यता ले ली। रोतोखा के साथ कई और पार्टी नेताओं ने ये कदम उठाया। उनकी ओर से जारी बयान में कहा गया कि महासचिव इम्सुमोंगबा पोंगेन के नेतृत्व में नागालैंड जेडीयू के पदाधिकारियों ने गुरुवार को आपात बैठक की थी। इसी में सर्वसम्मति से पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफे का फैसला लिया गया। उन्होंने नागालैंड जेडीयू अध्यक्ष लोथा पर सवाल खड़े किए। साथ ही कहा कि उनका जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष पर से विश्वास उठ गया है।

जेडीयू ने बदले सियासी घटनाक्रम पर क्या कहा?
हालांकि, जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव अफाक अहमद खान की ओर से इस घटनाक्रम पर कमेंट किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य कार्यकारी दल की बैठक आधिकारिक नहीं थी। ऐसा इसलिए क्योंकि ये महासचिव पोंगेन की अध्यक्षता में नहीं थी, वह नागालैंड में जेडीयू का अहम हिस्सा हैं। उन्होंने बताया कि रोतोखा के अलावा प्रदेश के दूसरे तथाकथित कार्यकर्ताओं के पास जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यालय की मंजूरी नहीं थी। ऐसे में उनकी नियुक्तियां अमान्य हैं और उन्हें फर्जी करार दिया जा सकता है।

नागालैंड में चुनाव से ठीक पहले बड़ा ‘खेला’
अफाक अहमद खान ने आगे कहा कि पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते जेडीयू ने कितोहो एस रोतोखा को निष्कासित कर दिया है। उनके उठाए गए कदम की निंदा भी की गई है। नागालैंड जदयू के महासचिव रहे रोतोखा ने शुक्रवार सुबह मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जेडीयू छोड़ने का उनका फैसला बेहद दुखद है। हालांकि प्रदेश जेडीयू में राजनीतिक परिस्थितियों और स्थिति ने उन्हें पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने प्रदेश इकाई के अध्यक्ष लोथा पर सामूहिक निर्णय लिए बिना निरंकुश तरीके से काम करने का आरोप लगाया।

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