फिर से वो दिन देख लेना… अडानी संकट पर मजे लेने वालों को 5 बातें गिना महिंद्रा ने पूछा- कोई शक?

नई दिल्ली

हाल में अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म Hindenburg Research की एक रिपोर्ट से देश के बिजनस सेक्टर में हंगामा मचा हुआ है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अडानी ग्रुप दशकों से खुल्लम-खुल्ला शेयरों में गड़बड़ी और अकाउंट धोखाधड़ी में शामिल रहा है। इससे अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई है और उसका मार्केट कैप 100 अरब डॉलर से ज्यादा घट चुका है। शेयर बाजार में हाल में आई गिरावट के कारण भारत भी मार्केट कैप के हिसाब से दुनिया के टॉप पांच देशों में नहीं रह गया है। इस लिस्ट में अब वह छठे स्थान पर फिसल गया है। ऐसे में सवाल उठाए जा रहे हैं कि भारत का बिजनस सेक्टर इस चुनौती से पार पा सकेगा? क्या इससे भारत की आर्थिक ताकत बनने की महत्वाकांक्षा को झटका लगेगा? इसका जवाब महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने एक ट्वीट के जरिए दिया है।

पद्म विभूषण से सम्मानित महिंद्रा ने अडानी संकट के जरिए भारत की आर्थिक ताकत पर सवाल उठा रहे लोगों को करारा जवाब दिया है। बेबाकी के साथ अपनी बात कहने वाले महिंद्रा ने एक ट्वीट में कहा, ‘ग्लोबल मीडिया में अटकलें लगाई जा रही है कि क्या बिजनस सेक्टर की मौजूदा चुनौतियां भारत की आर्थिक ताकत बनने का सपना पूरा कर सकेगा। मैंने भूकंप, सूखा, मंदी, युद्ध और आतंकवादी हमलों के कई दौर देखे हैं। मैं केवल यही कहूंगा कि भारत के खिलाफ कभी शर्त मत लगाना।’ इस तरह महिंद्रा ने विदेश ही नहीं बल्कि देश में भी ऐसे लोगों को जवाब दिया है जो अडानी संकट के बहाने सरकार की इकॉनमिक पॉलिसीज पर सवाल खड़े कर रहे हैं। ट्विटर पर उनके एक करोड़ से अधिक फॉलोअर्स हैं।

108 अरब डॉलर का झटका
Hinderburg Research ने अडानी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज के 20 हजार करोड़ रुपये के एफपीओ से ठीक पहले अपनी रिपोर्ट जारी की थी। हालांकि अडानी ग्रुप ने इस रिपोर्ट को झूठ का पुलिंदा बताते हुए इसे भारत के खिलाफ साजिश करार दिया था। हालांकि अडानी एंटरप्राइजेज का एफपीओ पूरी तरह सब्सक्राइब हो गया था लेकिन अडानी ग्रुप ने नैतिकता का हवाला देकर इसे वापस लेने और निवेशकों का पूरा पैसा लौटाने का फैसला किया है। लेकिन Hinderburg Research की रिपोर्ट के कारण अडानी ग्रुप के मार्केट कैप में 108 अरब डॉलर की गिरावट आई है और अडानी भी दुनिया के अमीरों की लिस्ट में तीसरे से 21वें नंबर पर खिसक गए हैं।

लेकिन यह पहला मौका नहीं है जब ग्लोबल मीडिया ने भारत की क्षमता पर सवाल उठाए हैं। लेकिन भारतीय बिजनस कम्युनिटी हर बार चुनौतियों से उबरने में कामयाब रही। इसका ताजा उदाहण कोरोना महामारी है। दुनिया अब भी इसके असर से उबर नहीं पाई है लेकिन भारत पूरी तरह इसके प्रभाव से बाहर आ चुका है। भारतीय इकॉनमी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था है और खुद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत को ग्लोबल इकॉनमी का चमकता सितारा बताया है। इसी तरह 2008 में मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले के दौरान भी ऐसी बातें कही गई थी। इस हमले में 166 लोग मारे गए थे और 300 से अधिक घायल हो गए थे। इससे पूरा देश सकते में था लेकिन हमले के अगले ही दिन लोग अपने काम पर लग गए थे।

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