नई दिल्ली
साल 2023 में दिग्गज टेक कंपनियां बड़े स्तर पर छंटनी जारी है। साल के पहले माह में ही गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन जैसी कंपनियों ने 40,000 कर्मचारियों को निकालने की घोषणा की। भारत की भी कई बड़ी कंपनियों ने छंटनी की घोषणा की है। अब तक इन घोषणाओं को एक समस्या की तरह देखा जा रहा है। लेकिन जाने-माने अर्थशास्त्री और नीति आयोग के पहले उपाध्यक्ष अरविन्द पानगड़िया इन छंटनियों को अच्छा संकेत मान रहे हैं।
‘छंटनी होना अच्छा है’
अरविन्द पानगड़िया ने कहा कि हालिया छंटनी के बावजूद नया साल उम्मीदों का वर्ष साबित होगा। जनसत्ता डॉट कॉम के संपादक विजय कुमार झा को दिए इंटरव्यू में डॉ. पानगड़िया कहते हैं, “ये छंटनी अच्छी बात है। वर्कर्स को भी अपनी नौकरी बदलते रहनी चाहिए। वह जमाना अब चला गया, जब हम एक ही नौकरी लेते थे और उसे पूरी जिंदगी करते थे। अब वर्कर को कंपनी बदलनी होती है। उन्हें नई चीजें सीखनी होती हैं।”
छंटनी को एक दूसरे कोण से देखते हुए डॉ. पानगड़िया कहते हैं, “पिछले दो-तीन सालों में टेक कंपनियों (अमेरिकी) में बड़ा बूम हुआ है। उस दौरान उन्होंने काफी हायरिंग की थी। अब जब जोर पड़ रहा है तो छंटनी हो रही है। लेकिन ओवरऑल देखें तो पिछले महीने अमेरिका में 5,17,000 नई नौकरियां आई हैं। हमें इस तरह से सोचना चाहिए।”
‘भारत में कम हुई है बेरोजगारी’
सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए बेरोजगारी के डाटा के आधार पर डॉ. पानगड़िया कहते है, “हमारे देश का भी अर्बन अनइंप्लॉयमेंट रेट कम हुआ है। सितंबर तक का हमारे पास डेटा है। जिस क्वार्टर का हमारे पास डाटा है, अगर उसकी तुलना 2021 के सेम क्वाटर से करें तो पाएंगे कि अर्बन अनइंप्लॉयमेंट रेट पांच प्रतिशत कम हुआ है। अब अर्बन अनइंप्लॉयमेंट रेट 7.2 प्रतिशत रह गया है।
टेक का सेक्टर बड़ा सेक्टर है। कुछ लीडिंग हैं। कुछ लेगिंग हैं। उसमें तो यह होना भी चाहिए। सारे रिसोर्स जहां लगे हुए हैं, वहीं लगे रहेंगे तो प्रगति बहुत कम होगी। इसलिए एक डायनेमिक इकॉनमी के लिए यह अच्छी बात है।असल में यह स्वाभाविक प्रवृति है कि नकारात्मक चीजें हमें दिख जाती हैं और सकारात्मक चीजें नहीं दिखती हैं। अर्थशास्त्रियों को सभी को देखना होता है।”
कौन हैं अरविन्द पानगड़िया?
डॉ. अरविंद पानगड़िया वर्तमान में अमेरिका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र पढ़ाते हैं। भारत में वह 2015 से 2017 तक नीति आयोग के पहले उपाध्यक्ष रहे थे। डॉ. पानगड़िया एशियन डेवलपमेंट बैंक में चीफ इकोनोमिस्ट भी रह चुके हैं। उन्होंने 20 किताबें भी लिखी हैं।