सीएम हाउस के गेट से लौटा दिया’… ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के परिवार से किया वादा सरकार ने नहीं निभाया, पिता का छलका दर्द

भोपाल

दिसंबर 2021 में तत्कालीन सीडीएस बिपिन रावत समेत 12 अन्य लोगों की मौत एक हेलिकॉप्टर हादसे में हो गया था। इसमें भोपाल के शौर्य चक्र विजेता ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह भी थे। ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह को लेकर शिवराज सरकार ने कई घोषणाएं की थी। साथ ही उनकी अंतिम यात्रा में भी सीएम शामिल हुए थे। अब सरकारी वादे को पूरा करने के लिए ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का परिवार दर-दर भटकने के लिए मजबूर है। सरकार की तरफ से घोषणा की गई थी कि उनके नाम पर सड़क का नामकरण किया था। एक साल से उनके पिता रिटायर्ड कर्नल केपी सिंह इसके लिए अधिकारियों और मंत्रियों से मिल रहे हैं। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मंत्री और अधिकारी मुझसे सहानुभूति के साथ मिलते हैं लेकिन बेबसी की गुहार लगाते हैं।

ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के पिता ने कहा कि पिछले दो महीनों से वह मुख्यमंत्री से मिलने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं सीएम ऑफिस के गेट तक गया लेकिन वापस भेज दिया गया। मैंने सीएम कार्यालय को फोन किया लेकिन मुझे लगता है कि किसी ने सीएम को सूचित नहीं किया कि मैं उनसे मिलने की कोशिश कर रहा हूं। मेरा केवल यही अनुरोध है कि अगर सरकार ने कोई घोषणा की है तो उसे शहीद और उसके परिवार का सम्मान करना चाहिए।

दूसरे राज्यों ने बहू के लिए नौकरी की पेशकश की
रिटायर्ड कर्नल केपी सिंह ने कहा कि कर्नाटक सरकार, उसके मंत्रियों, वहां के नौकरशाह और यूपी के मुख्यमंत्री ने हमसे संपर्क किया। उनलोगों ने मेरी बहू के लिए सरकारी नौकरी सहित हर संभव मदद की पेशकश की थी। हमने उन्हें धन्यवाद दिया और नौकरी स्वीकरा नहीं की। परिवार सिर्फ वरुण सिंह के लिए सम्मान चाहता है। हमने कभी नहीं सोचा था कि मध्यप्रदेश में हमारे साथ ऐसा होगा, जहां मैं वर्षों से रह रहा हूं।

वीरता पदक से सम्मानित हैं वरुण सिंह
दरअसल, ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह एक बहुत ही अनुभवी पायलट थे। उन्होंने लड़ाकू विमान तेजस की सेफ लैंडिग के लिए वीरता पदक जीता था। आठ दिसंबर 2021 को जनरल रावत और 12 अन्य लोगों का हेलिकॉप्टर हादसे में निधन हो गया था। ग्रुव कैप्टन वरुण सिंह अकेले जीवित बचे थे। एक सप्ताह बाद 15 दिसंबर 2021 को उन्होंने इलाज के दौरान अंतिम सांस ली थी।

भोपाल में हुआ था अंतिम संस्कार
वरुण सिंह का अंतिम संस्कार 17 दिसंबर 2021 को भोपाल में किया गया था, जहां उनके माता-पिता रहते हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उस समय उन्हें सम्मानित करने के लिए दो घोषणाएं की थी। एक प्रतिमा की स्थापना और एक संस्थान का नामकरण उनके नाम पर करना। इसके साथ ही शहीद के परिजनों को सहानुभूति के लिए सड़क का नामकरण किया जाता है।

सीएम शिवराज सिंह चौहान छह मार्च 2022 को सम्मान निधि चेक देने के लिए परिवार से मिले। परिवार ने उनसे लालघाटी से सुल्तानिया इन्फैंट्री तक की सड़क का नाम वरुण के नाम पर रखने का अनुरोध किया। अगर यहां उनकी मूर्ति स्थापित की जाती तो उसकी देखरेख में दिक्कत होती। सीएम ने इसे स्वीकार कर लिया। सीएम के आदेश के बाद सरकारी दस्तावेजों में सड़क का नाम बदल दिया गया है।

‘मंत्री अपने पिता के नाम पर चाहते हैं सड़क का नाम’
टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के पिता ने कहा कि मुझे एक डेप्युटी कलेक्टर ने बताया कि उन्हें सेना से कुछ आवश्यक मंजूरी चाहिए। मैंने इसके लिए उनसे पूछा, लेकिन यह केवल एक बहाना था। उन्होंने कहा कि सीएम का वादा जून 2022 में, घोषणा संख्या C1195 के रूप में दिखाई दिया। इसके बाद मैंने संभागीय आयुक्त, नगर निगम आयुक्त और सीनियर नौकरशाह से मुलाकात की। उन्होंने मुझे एक सड़क का नाम घोषित करने के लिए एसओपी की सूची दी। अंत में, एक दिन मुझे अनौपचारिक रूप से बताया गया कि एक मंत्री सड़क का नाम अपने पिता के नाम पर रखना चाहते हैं, जिसके कारण प्रशासन असहाय था।

प्रभारी मंत्री से की मुलाकात
ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के पिता ने सितंबर 2022 में भोपाल के प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह से मुलाकात की। उन्होंने यह भरोसा दिया कि सीएम की घोषणा को पूरा किया जाएगा। वहीं, पिता ने कहा कि मैं दफ्तर दर दफ्तर घूमता रहा। अधिकारियों ने सहानुभूति दिखाई लेकिन कोई कुछ करने को तैयार नहीं था।

नवंबर 2022 में मेयर इन काउंसिल की बैठक में सड़का नाम ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह मार्ग रखने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। रिटायर्ड कर्नल ने कहा कि भोपाल की मेयर ने मुझे अपने कार्यालय में बुलाया। मैं अपनी पत्नी के साथ गया। मेयर ने कहा कि सड़क का नाम वरुण सिंह के नाम पर रखा जाएगा लेकिन इस शर्त पर कि इसका नाम पहले नहीं रखा गया है। उन्होंने कहा कि मेयर काउंसिल के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद हमें बधाई संदेश मिलने लगे। हमारी सेना के लोग भी खुश थे। उन्होंने पूछा कि वे अपनी तरफ से क्या कर सकते हैं, जैसे बोर्ड लगाना।

उन्होंने कहा कि जब दो दिनों के बाद सामान्य परिषद की बैठक में प्रस्ताव रखा गया तो एक नगरसेवक ने इस पर आपत्ति जताई। यह इंगित करते हुए कि अतीत में किसी और के नाम पर सड़क का नाम तय किया गया था और प्रस्ताव बिना किसी चर्चा के खारिज कर दिया गया था।

सीएम ने मिलने का फैसला किया
पिता ने कहा कि इस फैसले से परिवार सदमे में था। मैंने इसकी उम्मीद नहीं की थी और सीएम से मिलने का फैसला किया। मैंने सीएम के साथ बैठकों की व्यवस्था करने के लिए जिम्मेदार एक वरिष्ठ अधिकारी को लिखा। मैं सीएम हाउस गया, मुझे अलग-अलग गेट पर भेजा गया, मेरा ब्यौरा नोट किया गया लेकिन कुछ नहीं हुआ। सीएम ने घोषणा की, मैं उन्हें कम से कम एक बार अवगत कराना चाहता हूं। यदि वह नहीं कहते हैं तो मुझे कुछ नहीं कहना है।

वहीं, सेना के पूर्व उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एमएल नायडू ने कहा कि इसे सिस्टम के भीतर से आने की जरूरत है, तभी चीजें की जाएंगी। कोई किसी को मजबूर नहीं कर सकता। एक बार तय कर लेने के बाद, यह किया जाना चाहिए। वरुण के परिवार ने परिवार ने प्रतिष्ठित रक्षा सेवा स्टॉफ कॉलेज, वेलिंगटन में एक ट्रॉफी स्थापित की है, जहां वे एक उच्च श्रेणी के प्रशिक्षक थे। उसका नाम वरुण सिंह ट्रॉफी रखा गया है।

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