महरौली में फिलहाल नहीं चलेगा डीडीए का बुलडोजर, हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार और डीडीए से मांगा जवाब

नई दिल्ली

दिल्ली के महरौली में फिलहाल कहीं पर भी डीडीए का बुलडोजर नहीं चलेगा। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वह संबंधित पक्षों के साथ मिलकर बैठक करें और एकमत से फैसला लें। कोर्ट ने आदेश के मुताबिक डिमार्केशन प्लान करने और उसके बाद ही तोड़फोड़ की कार्रवाई पर विचार करने को कहा है। हाई कोर्ट ने गोसिया सेवा समिति की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश जारी किया। जमीन रेलवे की है, इसीलिए इस बस्ती को खाली कराने से पहले वहां रहने वालों के पुनर्वास के बारे में फैसला लेने का निर्देश दिया गया है। इस बीच, मंगलवार को बीजेपी के एक प्रतिनिधिमंडल ने एलजी वीके सक्सेना से मुलाकात के बाद दावा किया कि उन्होंने भरोसा दिया है कि अतिक्रमण हटाने का अभियान मंगलवार को बंद हो जाएगा और नए सिरे से डिमार्केशन किया जाएगा।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक नई ‘सीमांकन रिपोर्ट’ (Demarcation Plan) तैयार किए जाने तक शहर के दक्षिणी हिस्से में स्थित महरौली पुरातत्व पार्क में मकानों और दुकानों को ढहाये जाने पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका पर दिल्ली सरकार और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से जवाब मांगा। जस्टिस मिनी पुष्कर्णा ने फिलहाल तोड़फोड़ कार्रवाई में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए महरौली माइनॉरीटीज रेजीडेंट एंड शॉप ओनर्स वेलफेयर की याचिका पर नोटिस जारी किया। साथ ही, उन्होंने निर्देश दिया कि विषय को मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष रखा जाए, जहां इसी तरह का एक विषय पहले से लंबित है।

अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘नोटिस जारी किया जाए। खंडपीठ-1 के समक्ष इसी तरह के मुद्दे लंबित रहने की दलीलों और तथ्यों पर विचार करते हुए यह विषय इसी खंडपीठ के समक्ष रखा जाए। इसे खंडपीठ-1 के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए, जो 17 फरवरी को मुख्य न्यायाधीश के आदेश पर निर्भर करेगा।’उल्लेखनीय है कि अधिकारियों ने अतिक्रमण रोधी अभियान के तहत महरौली पुरातत्व पार्क में करीब 20 बहुमंजिला भवन, बड़ी संख्या में दुकानों और मकान तथा एक निजी स्कूल भवन की पहचान ऐसे ढांचे के रूप में की है जो पिछले कुछ दशकों में अवैध रूप से निर्मित किये गये हैं।

अधिकारियों ने इन ढांचों को ढहाये जाने पर रोक लगाने के लिए कुछ पक्षकारों द्वारा अदालत का रुख किये जाने के बाद कहा कि केवल उन ढांचों को हटाया जाएगा जो किसी वाद का हिस्सा नहीं हैं। दक्षिण दिल्ली के इस पार्क में जी20 की एक प्रस्तावित बैठक से एक महीने पहले बीते शुक्रवार को यह अभियान शुरू किया गया था। डीडीए के मुताबिक, इस पुराने पार्क में करीब 55 स्मारक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण , राज्य पुरातत्व विभाग और शहरी निकाय के संरक्षण के तहत हैं।

 

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