भारी भूकंप आया तो दिल्ली में क्या होगी इमारतों की हालत? HC ने 4 हफ्ते में दिल्ली सरकार से मांगा जवाब

नई दिल्ली,

तुर्की में आए भूकंप के बाद दिल्ली में इमारतों की भूकंपीय स्थिरता की जांच के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाई कोर्ट के सामने कहा कि कोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार और एजेंसी ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.

दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का और समय दिया. दिल्ली हाई कोर्ट में इस मामले से संबंधित अगली सुनवाई 10 मई को होगी. दिल्ली में इमारतों की भूकंपीय स्थिरता की जांच को लेकर पहले दिल्ली कोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा था कि भूकंप आने पर सरकार की निष्क्रियता से लाखों लोगों की जान जा सकती है.

‘कागजों पर नहीं धरातल पर काम करे दिल्ली सरकार’
हाई कोर्ट ने कहा था कि किसी भी सरकार के हाथ अपनी ही जनता के खून से रंगे हुए नहीं होने चाहिए. दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि भूकंप के बड़े झटकों से निपटने के लिए सरकार अपनी तैयारी पुख्ता करें, यह तैयारी सिर्फ कागजों पर नहीं होनी चाहिए, सरकार को इस पर गंभीरता से काम करना होगा.

सरकार ने नहीं माने कोर्ट के आदेश
इस याचिका में कहा गया कि 2015 से 2020 के बीच में भूकंप को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट की तरफ से जो आदेश दिल्ली सरकार और एजेंसियों को दिए गए थे, उनका पालन अभी तक नहीं हुआ.

भारत में क्या होगा?
तुर्की और सीरिया में आए भयानक भूकंप ने दुनियाभर के तमाम देशों के इंफ्रास्ट्रक्चर पर सवाल खड़े कर दिए हैं. इसके बाद यह सोचना जरूरी हो जाता है कि अगर भारत ऐसा भूकंप आए तो स्थितियां कैसी होंगी. एक आंकड़े के मुताबिक भारत में हर साल कम से कम 1000 बार भूकंप आते हैं. कभी इससे थोड़े ज्यादा कभी थोड़े कम. दो सौ से ढाई सौ बार धरती का हिलना महसूस होता है. हमारे देश की जमीन का करीब 59 फीसदी हिस्सा भूकंप के उच्च खतरे वाले जोन में है. सबसे ज्यादा खतरा हिमालयी इलाकों को है.

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