अडानी ग्रुप पर एक और बड़ा आरोप, रूस के बैंक से कर्ज के लिए किया ये काम

नई दिल्ली,

अमेरिकी शॉर्ट-सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की आई रिपोर्ट के बाद से अडानी ग्रुप के लिए मुश्किलें खत्म ही नहीं हो रही हैं. अडानी ग्रुप को लेकर अब फोर्ब्स ने अपनी रिपोर्ट में गौतम अडानी बड़े भाई विनोद अडानी को लेकर बड़ा दावा किया है. हिंडनबर्ग ने भी फोर्ब्स की रिपोर्ट को ट्वीट किया, जिसमें दावा किया है कि अडानी ग्रुप के प्रमोटर के स्टेक को कर्ज के लिए गिरवी रखा गया है. रिपोर्ट के अनुसार, विनोद अडानी द्वारा नियंत्रित एक प्राइवेट कंपनी की सिंगापुर की यूनिट ने एक रूसी बैंक से कर्ज के लिए अडानी के प्रमोटर के 240 मिलियन डॉलर के स्टेक को गिरवी रखा है.

ऑफशोर कंपनियों से जुड़े हैं विनोद अडानी
हिंडनबर्ग की 24 जनवरी को आई रिपोर्ट के बाद से अडानी समूह की सात लिस्टेड फर्मों का मार्केट वैल्यू 125 अरब डॉलर घटा है. फोर्ब्स ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि विनोद अडानी, जो प्रवासी भारतीय हैं. वो लंबे समय से अडानी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनियों के केंद्र में हैं. मतलब कि मुख्य रूप से कारोबार से जुड़े हैं. विनोद अडानी दुबई में रह रहे हैं और वहां के साथ-साथ वो सिंगापुर और जकार्ता में व्यापारिक व्यवसायों का प्रबंधन करते हैं. हुरुन इंडिया रिच लिस्ट के अनुसार, वह दुनिया के सबसे अमीर नॉन रेजिडेंट भारतीय हैं.

रूस के बैंक से लोन एग्रीमेंट
फोर्ब्स ने अपनी रिपोर्ट में ये भी दावा किया है विनोद अडानी द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से नियंत्रित सिंगापुर की कंपनी Pinnacle Trade and Investment Pte. Lte. ने साल 2020 में रूस के सरकारी VTB बैंक के साथ एक लोन एग्रीमेंट किया था. इसे यूक्रेन युद्ध के कारण पिछले साल अमेरिका ने मंजूरी दे दी थी. अप्रैल 2021 तक Pinnacle ने 263 मिलियन डॉलर उधार लिए थे और एक अनाम संबंधित पार्टी को 258 मिलियन डॉलर उधार दिए थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि उस साल के बाद Pinnacle ने दो निवेश फंडों- एफ्रो एशिया ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट्स लिमिटेड और वर्ल्डवाइड इमर्जिंग मार्केट होल्डिंग लिमिटेड को कर्ज के लिए गारंटर के रूप में पेश किया.

अडानी ग्रुप के शेयरहोल्डर
एफ्रो एशिया ट्रेड और वर्ल्डवाइड दोनों ही अडानी ग्रुप के बड़े शेयरधारक हैं. दोनों फंडों के पास अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी ट्रांसमिशन, अडानी पोर्ट्स और अडानी पावर में 4 बिलियन डॉलर (16 फरवरी के बाजार मूल्य के अनुसार) का स्टॉक है, जो सभी फंड को ‘प्रमोटर’ संस्थाओं के रूप में स्वीकार करते हैं. किसी भी फंड ने चार अडानी ग्रुप की कंपनियों के लिए भारतीय वित्तीय फाइलिंग में गिरवी शेयर का खुलासा नहीं किया है, जिसमें उन्होंने निवेश किया है.

हिंडनबर्ग का दावा
हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि अडानी ग्रुप की लिस्टेड सात कंपनियां 85 फीसदी ओवरवैल्यूड हैं. रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि अडानी समूह दशकों से स्टॉक हेरफेर और मनी लॉन्ड्रिंग में लगा हुआ है. इस रिपोर्ट के बाद से अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई है और कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन घटकर आधा हो गया है.

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