क्या नीतीश को कुशवाहा चुनौती दे पाएंगे? लोकसभा चुनाव से पहले बिहार की राजनीति में आया नया मोड़

पटना

आखिर वही हुआ, जिसका अनुमान काफी दिनों से लगाया जा रहा था। नीतीश कुमार से हक मांगते-मांगते उपेंद्र कुशवाहा एक बार फिर रुखसत हो गए। नीतीश कुमार को भी इसी का इंतजार था, उनकी मुराद पूरी हो गई। पार्टी से निकालने की औपचारिकता से बच गए। उपेंद्र कुशवाहा अपने राजनीतिक करियर में तीसरी बार पार्टी बनाए हैं। तीनों बार इसकी वजह कुशवाहा के लिए नीतीश रहे। दरअसल, आदमी से बड़ा जब उसकी महात्वाकांक्षा हो जाती है तो उपेंद्र कुशवाहा बन जाता है। वैसे हर किसी को अपने जीवन और करियर में शीर्ष पर पहुंचने का अधिकार होता है, मगर सबको सफलता मिले ये जरूरी तो नहीं। उपेंद्र कुशवाहा की ख्वाहिश शुरू से बिहार के मुख्यमंत्री बनने की रही है, मगर अब तक कामयाबी नहीं मिली। अब एक बार फिर नई पार्टी बनाए हैं।

‘राष्ट्रीय लोक जनता दल’ कुशवाहा की नई पार्टी
उपेंद्र कुशवाहा ने ‘राष्ट्रीय लोक जनता दल’ नाम से नई पार्टी का ऐलान किया। उपेंद्र कुशवाहा अब राष्ट्रीय लोक जनता दल पार्टी के जरिए ही नीतीश और लालू को चुनौती देंगे। लोकसभा चुनाव 2024 के पहले उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी नई पार्टी के जरिए लालू-नीतीश पर हमला बोल दिया है। उन्होंने कहा कि JDU की विधान परिषद की सदस्यता का भी त्याग कर दिया है। वो जमीर बेचकर अमीर नहीं बनेंगे। अब वो जो भी करेंगे, अपनी नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल के जरिए करेंगे।

वैसे, 2005 में उपेंद्र कुशवाहा ने राष्ट्रीय समता पार्टी बनाई, फिर उसका विलय जेडीयू में करा दिया। ये तीसरा मौका है, जब उन्होंने नई पार्टी बनाई है। इन सबके बीच सवाल भरोसे का है। पार्टी के चलाने के लिए लॉयल लोगों की जरूरत पड़ती है। इतना इधर-उधर कर चुके हैं कि कुशवाहा के साथ ये सबसे बड़ी संकट है।

  • पलटी मार कुशवाहा की कुंडली
  • बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे कुशवाहा ने 2007 में JDU से बगावत की। पार्टी से निकाले जाने के बाद राष्ट्रीय समता पार्टी बनाई।
  • लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कुशवाहा ने 2009 में फिर से पाला बदला और नीतीश कुमार ने राज्यसभा सांसद बना दिया।
  • जेडीयू-बीजेपी में जब खटपट हुई तो 2013 में कुशवाहा ने नीतीश को झटका दिया। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी बनाकर बीजेपी से तालमेल कर लिए।
  • बीजेपी से गठबंधन कर कुशवाहा ने 2014 में लोकसभा की चार सीटों पर उम्मीदवार उतारे, तीन पर जीत मिली और केंद्र में मंत्री बन गए।
  • उपेंद्र कुशवाहा ने 2018 में केंद्र की मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दिया। आरजेडी-कांग्रेस के नेतृत्व वाली महागठबंधन में शामिल हो गए।
  • 2019 लोकसभा चुनाव में हार के बाद कुशवाहा ने महागठबंधन का साथ छोड़ दिया। बीएसपी और ओवैसी की पार्टी के साथ मोर्चा बनाए।
  • बिहार चुनाव 2020 में कुशवाहा का मोर्चा फेल हो गया। बाद में उन्होंने अपनी पार्टी ‘राष्ट्रीय लोक समता पार्टी’ का जेडीयू में विलय कर दिया।
  • एक बार फिर नीतीश कुमार से खटपट होने के बाद 20 फरवरी 2023 को उपेंद्र कुशवाहा ने ‘राष्ट्रीय लोक जनता दल’ नाम से नई पार्टी बनाई।
  • 1985 में राजनीतिक करियर की शुरुआत करनेवाले उपेंद्र कुशवाहा अब तक आठ बार पलटी मार चुके हैं।

नीतीश को कितना नुकसान पहुंचाएंगे कुशवाहा?
इलेक्टोरल पॉलिटिक्स के हिसाब के देखें तो कुर्मी-कुशवाहा वोट बैंक पर नीतीश कुमार और उनकी पार्टी सौ फीसदी दावेदारी जताती है। अगर उपेंद्र कुशवाहा अपनी जाति का कुछ भी वोट काटते हैं तो वो सीधे-सीधे नीतीश कुमार को नुकसान करेंगे। अगर अनुमानित आंकड़ों पर गौर करें तो कुशवाहा वोटर करीब छह फीसदी बताए जाते हैं। वहीं, कुर्मी-धानुक साढ़े सात फीसदी के आसपास हैं। पूरा मामला नीतीश कुमार के हिडेन वोट बैंक से जुड़ा है। ये साइलेंट वोटर (कुर्मी-कुशवाहा) नीतीश कुमार के हैं, जो उनके नाम पर वोट डालते हैं। इसी के बदौलत नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने हुए हैं। नीतीश कुमार ये बात जानते हैं कि अगर कोई कुशवाहा नेता आया तो उनको नुकसान करेगा। उपेंद्र कुशवाहा को लगता है कि जिस कुर्मी-कुशवाहा वोट बैंक के बदौलत वो आजतक मुख्यमंत्री बने हुए हैं तो कोई दूसरा क्यों नहीं बन सकता है?

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