क्या पाकिस्तान का दिवालिया होना तय? बिल्कुल श्रीलंका जैसे हालात

नई दिल्ली,

कुछ महीने पहले जो स्थिति श्रीलंका की थी, कुछ उसी तरह के मामलों से अब पाकिस्तान जूझ रहा है. श्रीलंका के दिवालिया होने के पीछे सरकार की नीतियां जिम्मेदार थीं, पाकिस्तान की नीतियां दुनिया में किसी से छिपी नहीं हैं. इन दोनों देशों के राजनेताओं ने समय पर ठोस कदम नहीं उठाए, जिससे देश की आर्थिक सेहत इतनी बिगड़ गई.

दरअसल, मौजूदा समय में पाकिस्तान के नेता कर्ज के लिए जगह-जगह हाथ फैला रहे हैं, देश अब दिवालिया होने के कगार पर खड़ा है. पिछले कुछ महीनों में देश के हालात तेजी से बिगड़े हैं, महंगाई चरम पर है. लोगों की आमदनी घट रही है. यहां तक कि रोजमर्रा की चीजों के लिए लोगों को अपनी जिंदगी दांव पर लगानी पड़ रही है.

आइए जानते हैं, कैसे श्रीलंका की राह पर पाकिस्तान तेजी से आगे बढ़ रहा है….

1. कर्ज उठाने में दोनों देश आगे यानी कर्ज में डूबे हैं दोनों देश
श्रीलंका की आर्थिक सेहत राजनेताओं की वजह से बिगड़ी. सरकार का खजाना खाली होने के बावजूद सत्ता में बने रहने के लिए लोकलुभावन फैसले लिए गए. ये सबकुछ कर्ज लेकर किया जा रहा था, फिर तो दिवालिया होना तय था. अब पाकिस्तान की बात करते हैं. पाकिस्तान भी कर्ज का आदी चुका है. कई दशक से पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बिगड़ रही थी. लेकिन उसे नजरअंदाज किया जा रहा था, जिसने अब भयावह रूप ले लिया है. हालांकि इस दौरान पाकिस्तानी सेना के हुक्मरानों और राजनेताओं की संपत्ति बेतहाशा बढ़ी है. राजनीतिक अस्थिरता भी पाकिस्तान को आर्थिक तंगी में धकलने का एक बड़ा कारण है.

2. भ्रष्टाचार चरम पर, नेता गुनहगार?
श्रीलंका में भ्रष्टाचार चरम पर था, सरकार ने इसे रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए, हालात आज सबके सामने हैं. पाकिस्तान में राजनेताओं पर सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. फिर जनता की कौन सुध ले. लगभग सभी बड़े राजनेता या तो पाकिस्तान छोड़कर भाग जाते हैं, या फिर सलाखों के पीछे पहुंच जाते हैं. दोनों जगहों पर जनता ने सरकार के खिलाफ मोर्चो खोल दिया है. श्रीलंका में तो राष्ट्रपति भवन पर प्रदर्शनकारियों ने कब्जा कर लिया था, तस्वीरें पूरी दुनिया ने देखीं. ठीक इसी तरह अब पाकिस्तानी आवाम का भी नेताओं के खिलाफ गुस्सा फूटने लगा है, क्योंकि जनता सब जानती है. इन दोनों देशों को कंगाली के लिए यहां के राजनेता जिम्मेदार हैं.

3. आमदनी अठन्नी… खर्चा रुपया
श्रीलंका में महंगाई दर फिलहाल पिछले 8 महीने में सबसे कम दर्ज की गई. जनवरी में महंगाई दर 54.2 फीसदी रही. यह पिछले साल के मई के बाद सबसे नीचे है. इससे पहले दिसंबर-2022 में 57.2 फीसदी थी. कोर इंफ्लेशन में गिरावट दर्ज की गई है. 47.7 फीसदी से गिरकर 45.6 फीसदी पर पहुंच गई है.

पाकिस्तान में महंगाई बढ़कर 38.42 फीसदी से ऊपर निकल गई है. नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में वार्षिक मुद्रास्फीति की ऑल टाइम हाई पर पहुंच गई है. क्योंकि महत्वपूर्ण वस्तुओं की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही हैं. पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के ताजा आंकड़ों के अनुसार, संवेदनशील मूल्य सूचकांक (SPI), जिसका उपयोग अल्पकालिक मुद्रास्फीति का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है, पिछले सप्ताह में सालाना आधार पर 38.42 फीसद तक उछल गया.

3. महंगाई चरम पर
पाकिस्तान में महंगाई का आलम ये है कि दूध, ब्रेड और आटा जैसी रोजमर्रा की चीजों के दाम इतने बढ़ गए हैं. पाकिस्तान ने जो ‘मिनी बजट’ पेश किया है. अभी और बुरे दिन आने बाकी हैं, क्योंकि सरकार ने देश के लोगों पर जो नया टैक्स थोपा है, उसके बाद लग्जरी आइटम्स पर सेल्स टैक्स 17 फीसदी से बढ़कर 25 फीसदी हो जाएगा. जनरल सेल्स टैक्स को 17 से बढ़ाकर 18 फीसदी कर दिया गया है.

श्रीलंका में खाने-पीने की चीजों के भाव-
दूध – 417 रुपये लीटर
चावल- 230 रुपये किलो
चिकन- 1300 रुपये किलो
संतरा- 1089 रुपये किलो
आलू- 341 रुपये किलो
टमाटर- 400 रुपये किलो

पाकिस्तान में खाने-पीने की चीजों के भाव-
दूध – 149 रुपये लीटर
चावल- 209 रुपये किलो
चिकन- 550 रुपये किलो
संतरा- 169 रुपये किलो
आलू- 65 रुपये किलो
टमाटर- 126 रुपये किलो

फिलहाल एक डॉलर की वैल्यू 262 पाकिस्तानी रुपये के बराबर है. जबकि 365.34 श्रीलंकाई रुपये एक डॉलर के बराबर है. ऐसे में जिस तरह से दिन प्रतिदिन पाकिस्तान कंगाल हो रहा है वो दिन दूर नहीं है, जबकि पाकिस्तान खुद को दिवालिया घोषित कर दे.

4. गिरता विदेशी मुद्रा भंडार
श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार जनवरी में करीब 1900 मिलियन डॉलर के करीब था. जबकि दिसंबर 1806 मिलियन डॉलर था. एक समय यह गिरकर 1272 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया था. पाकिस्तान में विदेशी मुद्रा भंडार गिरकर 3 बिलियन डॉलर से नीचे पहुंच गया है. अब जब जेब मैं पैसे नहीं होंगे तो आयात कैसे करेंगे, श्रीलंका के दिवालिया के पीछे यह एक सबसे बड़ा कारण था, अब पाकिस्तान का खजाना खाली है. अगर IMF से मदद मिल भी जाती है तो कितने दिन उससे चलना वाला है.

पाकिस्तान के ऊपर कुल कर्ज और देनदारी 60 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये से अधिक है. यह देश की जीडीपी का 89 फीसदी है. वहीं इस कर्ज में करीब 35 फीसदी हिस्सा केवल चीन का है, इसमें चीन के सरकारी वाणिज्यिक बैंकों का कर्ज भी शामिल है. पाकिस्तान पर चीन का 30 अरब डॉलर का कर्ज बकाया है, जो फरवरी 2022 में 25.1 अरब डॉलर था. पाकिस्तान को चीनी सहायता IMF लोन से तीन गुना अधिक है.

गौरतलब है कि पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली ने 21 फरवरी को उस वित्त विधेयक को पारित कर दिया है, जिसमें टैक्स रेवेन्यू बढ़ाने का प्रस्ताव है. IMF ने पाकिस्तान की सरकार के सामने टैक्स रेवेन्यू बढ़ाने की शर्त रखी थी. इस शर्त के पूरी होने पर पाकिस्तान को IMF से 1.1 अरब डॉलर का कर्ज मिलने की उम्मीद बढ़ गई है. लेकिन इससे कितने दिन तक पाकिस्तान का खतरा टलेगा?

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