येदियुरप्पा रिटायर हुए तो BJP ने बदली स्ट्रेटजी, कर्नाटक में बिना बिचौलिए जातियों- संप्रदायों को लुभाने पर फोकस

बेंगलुरु

कर्नाटक भाजपा में विधानसभा चुनाव को लेकर बदलती रणनीतियों का सबसे बड़ा मोड़ 25 फरवरी को सामने आया। इसके एक दिन बाद भाजपा के प्रमुख लिंगायत नेता 80 साल के बी एस येदियुरप्पा ने विधायक के रूप में अपने 40 साल के करियर के समाप्त होने की घोषणा की थी। इसके साथ एक बड़ा संकेत कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु नहीं, बल्कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दिखा। क्योंकि दिल्ली कर्नाटक संघ के अमृत महोत्सव कार्यक्रम में मंच पर मुख्य अतिथि के रूप में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद थे।

दिल्ली के कार्यक्रम में नहीं दिखे ये बड़े नेता
दिल्ली कर्नाटक संघ के अमृत महोत्सव कार्यक्रम में कर्नाटक के पांच प्रमुख धार्मिक नेता यानी तीन शीर्ष लिंगायत संत, एक शीर्ष वोक्कालिगा संत, एक शीर्ष ब्राह्मण मठ के प्रमुख और एक जैन आध्यात्मिक नेता शामिल हुए थे। कर्नाटक भाजपा के शीर्ष लिंगायत नेता जैसे येदियुरप्पा, जगदीश शेट्टार, बसनगौड़ा पाटिल यतनाल, मुरुगेश निरानी वगैरह कार्यक्रम में अनुपस्थित थे। जबकि डॉ सी एन अश्वथनारायण, आर अशोक और के सुधाकर जैसे वोक्कालिगा नेता वहां हाजिर थे।

कर्नाटक में जाति समूहों का बड़ा प्रभाव
लिंगायत समुदाय कर्नाटक में सबसे बड़ा जाति समूह है। वहीं, वोक्कालिगा राज्य का दूसरा सबसे प्रभावशाली जाति समूह है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई एक लिंगायत हैं। उन्हें अपना बहुत कम दबदबा रखने वाला माना जाता है। वह दिल्ली के इस आयोजन में राज्य की सबसे बड़ी राजनीतिक शख्सियत के तौर पर मौजूद थे। कर्नाटक भाजपा में कई लोगों के लिए यह आयोजन भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की पिछले कुछ वर्षों में पार्टी के लिए समर्थन पैदा करने के लिए जाति-आधारित नेताओं पर निर्भरता कम करने और सीधे धार्मिक नेताओं के पास जाने की रणनीति की समाप्ति का संकेत था।

धर्मगुरुओं को करीब ला रहा भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व
वोक्कालिगा संत निर्मलानंदनाथ स्वामी, लिंगायत संत शिवरात्रि देशिकेंद्र स्वामी, नंजवदुथ स्वामी और शिवमूर्ति शिवाचार्य स्वामी, ब्राह्मण पेजावर मठ के पुजारी विश्वप्रसन्ना तीर्थ स्वामी और जैन आध्यात्मिक नेता डॉ वीरेंद्र हेगड़े (एक राज्यसभा सांसद) की दिल्ली के कार्यक्रम में उपस्थिति को इस रूप में देखा जाता है कर्नाटक में अपने दम पर धार्मिक नेताओं को साधने की भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की रणनीति का हिस्सा है।

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