बिना ट्रायल के 14 साल तक जेल में बंद रहा इंडियन मुजाहिद्दीन का संदिग्ध, अब बॉम्बे HC ने दी जमानत

मुंबई,

मुंबई पुलिस ने 14 साल पहले मोहम्मद जाकिर अब्दुल हक शेख को गिरफ्तार किया था. मोहम्मद जाकिर अब्दुल हक शेख को इंडियन मुजाहिद्दीन (IM) से जुड़े होने का आरोप था. मोहम्मद जाकिर अब्दुल हक शेख को बॉम्बे हाईकोर्ट ने अब जमानत दे दी है. मोहम्मद जाकिर अब्दुल हक शेख के खिलाफ अहमदाबाद में भी एक आतंकी मामले में मुकदमा चला था. मोहम्मद जाकिर को अहमदाबाद के आतंकी हमले के मामले में कोर्ट ने बरी कर दिया था.

कबाड़ का कारोबार करने वाले 40 साल के शेख ने कथित रूप से कुछ समाचार चैनलों को 2008 में हुए अहमदाबाद बम धमाकों जिम्मेदारी लेते हुए धमकी भरे ईमेल मिले थे. जांच से पता चला था कि मुंबई के एक कॉलेज से यह ईमेल भेजे गए थे. आईपी एड्रेस के सहारे पुलिस ने कॉलेज की पहचान की थी.

इस आधार पर मांगी थी जमानत
अहमदाबाद मामले में बरी होने के बाद, शेख ने मुंबई में विशेष अदालत का दरवाजा खटखटाया था. शेख ने निर्दोष साबित होने और समानता की दलील देते हुए जमानत मांगी थी. उसकी ओर से ये दलील भी दी गई थी कि मामले के दो सह-आरोपियों को जमानत मिल गई है. हालांकि, सत्र न्यायालय ने शेख की याचिका को खारिज कर दिया था.

कोर्ट ने कहा कि अहमदाबाद मामले में उसका बरी होना मुंबई मामले में जमानत पर रिहाई का आधार नहीं हो सकता. अदालत ने यह भी कहा था कि उसका नाम तीन सह-अभियुक्तों के इकबालिया बयानों में सामने आया था जो बाद में मुकर गए थे. इन लोगों ने दावा किया था कि शेख ने पाकिस्तान में प्रशिक्षण लिया था.

हाईकोर्ट से मिली राहत
निचली अदालत में जमानत याचिका खारिज होने के बाद शेख ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. शेख ने बॉम्बे हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी कि वह 2008 से ही बिना सुनवाई शुरू हुए सलाखों के पीछे है. उसने ये दलील भी दी कि जेल में बिताया गया समय उन आरोपों में न्यूनतम सजा के प्रावधान से कहीं अधिक है जिसके लिए उसकी गिरफ्तारी हुई थी. इस मामले में कई आरोपी ऐसे थे जो अहमदाबाद के साथ-साथ दिल्ली में भी आतंकी मामले में मुकदमे का सामना कर रहे थे. दोनों मुकदमे शुरू हुए और अभियुक्तों को उन शहरों की जेलों में भेज दिया गया था. इसके बाद मुंबई में कई आरोपी मौजूद नहीं रहे जिसकी वजह से सुनवाई शुरू नहीं हो सकी.

कोर्ट ने दी जमानत
मुंबई मामले में, विशेष लोक अभियोजक एएम चिमलकर ने मामले के गुण-दोष के आधार पर जमानत याचिका का विरोध करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष एक जवाब दायर किया था. एएम चिमलकर ने हाईकोर्ट में ये भी स्वीकार किया कि अभियुक्त 14 साल और 4 महीने से बिना किसी ट्रायल के सलाखों के पीछे है. इसके बाद जस्टिस एएस गडकरी और जस्टिस पीडी नाइक की पीठ ने आरोपी को जमानत देने का फैसला किया.

 

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