नई दिल्ली,
बॉलीवुड एक्टर सतीश कौशिक की मौत कार्डिएक अरेस्ट से होना बताई जा रही है. कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव, म्यूजिक कंपोजर और सिंगर केके, भाभी जी घर पर है फेम मलखान उर्फ दीपेश भान आदि सेलेब्स की जिंदगी भी कार्डियक अरेस्ट ने ही छीनी थी. कुछ समय से काफी सारे ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिसमें युवाओं की सड़क पर घूमने, जिम में वर्कआउट करने या फिर शादी में डांस करते समय भी कार्डियक अरेस्ट के कारण मौत हो रही है. ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में हो रहा है.
कार्डियक अरेस्ट के मामले पहले जहां अधिक उम्र के लोगों में देखे जाते थे. वहीं आज कम उम्र के लोग भी इससे नहीं बच पा रहे हैं. कार्डियक अरेस्ट के बारे में गहराई से जानने के लिए हमने एक्सपर्ट से जाना कि आखिर कार्डियक अरेस्ट क्या होता है कार्डियक अरेस्ट के लक्षण क्या हैं? कार्डियक अरेस्ट का खतरा किन लोगों को अधिक है? इससे बचने का क्या उपाय है? तो आइए जानते हैं कार्डियक अरेस्ट संबंधित हर वो सवाल का जवाब जो आप जानना चाहते हैं.
डरावना है कार्डियक अरेस्ट से होने वाली मौतों का आंकड़ा
गुड़गांव के आर्टेमिस अस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट और एंजियोप्लास्टी हार्ट सर्जन डॉ. मनजिंदर संधू के अनुसार, भारत में कार्डियक अरेस्ट से पीड़ित 30 प्रतिशत लोग 45 साल से कम उम्र के हैं. डॉ. संधू ने दावा किया कि भारत में हर साल लगभग 12 लाख युवाओं की मौत का कारण कार्डियक अरेस्ट है और यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. कोच्चि के लिसी हार्ट इंस्टीट्यूट हॉस्पिटल के कार्डिएक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट डॉ. अजीत थचिल के मुताबिक, भारत में लगभग 10 प्रतिशत मौतें सडन कार्डियक अरेस्ट के कारण होती हैं जो दुनिया में मौत का सबसे आम कारक भी है. कार्डिएक अरेस्ट हार्ट संबंधित काफी खतरनाक स्थिति है. इस स्थिति में हार्ट काम करना बंद कर देता है और इंसान की मौत हो जाती है.
कार्डियक अरेस्ट को ऐसे समझें
कार्डियक अरेस्ट में हार्ट काम करना बंद कर देता है. यदि हार्ट काम करना बंद कर देता है तो वह खून को पंप नहीं कर पाता और और कुछ ही समय में पूरे शरीर पर असर दिखने लगता है. कार्डियक अरेस्ट के बारे में सबसे अहम बात जो जानना जरूरी है वो है कि हार्ट अचनाक से नहीं रुकता. पहले वह 3-5 मिनट की अवधि तक आमतौर पर 350-400 बीपीएम (बीट्स प्रति मिनट) की दर से बहुत तेजी से धड़कता है और फिर रुकता है. इस दौरान इंसान को बचाने के लिए 3-5 मिनट का समय मिलता है. अगर किसी को इस समय सीपीआर या फिर इलेक्ट्रिक शॉक (डिफिब्रिलेशन) मिल जाए तो उसकी जान बच सकती है.
आपातकालीन स्थिति में कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) और इलेक्ट्रिक शॉक (डिफिब्रिलेशन) से कार्डियक अरेस्ट में कुछ मदद मिल सकती है. इन तरीकों से फेफड़ों में पर्याप्त ऑक्सीजन बनी रहती है. अगर समय पर सीपीआर और इलेक्ट्रिक शॉक मिल जाता है तो कार्डियक अरेस्ट से जान बचाई जा सकती है.
कोरोना के बाद से बिगड़ने लगे हैं हालत: डॉ. विवेका कुमार
कार्डियक साइंसेज, मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, साकेत के प्रिंसिपल डायरेक्टर और कैथ लैब्स के चीफ डॉ. विवेका कुमार ने बताया, ‘पिछले कुछ सालों से देखा जा रहा है कि कार्डियक अरेस्ट के मामले हर एज ग्रुप में काफी अधिक बढ़ रहे हैं. वहीं जिन लोगों को कुछ अन्य रिस्क फैक्टर्स जैसे मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां हैं, स्मोकिंग करते हैं, अल्कोहल पीते हैं, उन लोगों में कार्डियक अरेस्ट के मामले अधिक देखे जा रहे हैं. कोरोना के बाद से स्थिति और अधिक खतरनाक हो गई है. कोविड के बाद के हालात ऐसे हो गए हैं कि जिसे कोरोना हुआ था उनके मसल्स में कुछ सूजन आई है जिसके कारण कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ गया है.’
डॉ. विवेका ने आगे कहा, ‘हार्ट संबंधिक बीमारी जैसे हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट के मामले पहले भी आते थे लेकिन कोरोना के बाद से इनकी संख्या में काफी इजाफा हुआ है. जिन लोगों को कोरोना हुआ था वह कोरोनावायरस से तो रिकवर हो चुके हैं लेकिन क्रोनिक कोविड सिंड्रोम से अभी भी पीड़ित हो सकते हैं. इस सिंड्रोम में कोरोना के कारण शरीर की काम करने की क्षमता तो प्रभावित होती ही है, साथ ही साथ उसे कुछ हेल्थ संबंधित समस्या भी हो सकती है. कुछ मामलों में कार्डियक अरेस्ट के लिए क्रोनिक कोविड सिंड्रोम भी जिम्मेदार हो सकता है. वहीं अगर किसी व्यक्ति को एक्टिव इंफेक्शन जैसे वायरल, फ्लू, इंफ्लूएंजा हैं तो रिस्क फैक्टर और अधिक बढ़ जाता है. जैसे पिछले एक या दो महीने से वायरल काफी फैला हुआ है. यह वायरल H2N2 के कारण हो रहा है और इस वायरस की प्रजेंस में नॉर्मल वायरल भी काफी अधिक फैल रहा है.’
यंगस्टर्स कैसे कम कर सकते हैं कार्डियक अरेस्ट का खतरा
डॉ. विवेका कुमार बताते हैं, ‘ओवरवेट, शुगर, हाई ब्लड प्रेशर, फैमिली हिस्ट्री, कोविड रिकवरी आदि कार्डियक अरेस्ट के मुख्य जोखिम हो सकते हैं. अगर कोई हेल्दी लाइफस्टाइल जीता है, वजन को कंट्रोल में रखता है, ब्लड प्रेशर मेंटेन रखता है और अगर हार्ट संबंधित बीमारी से फैमिली में किसी की डेथ हो चुकी है तो समय-समय पर डॉक्टर से मिलता है तो उसे कार्डियक अरेस्ट और हार्ट संबंधित बीमारी का जोखिम कम हो सकता है.’
डॉ. विवेका ने आगे कहा,‘ यंगस्टर्स की बात की जाए तो क्षमता से अधिक मेहनत करना, जिम जाकर हैवी वेट उठाना, घंटों एक्सरसाइज करना, स्मोकिंग, अल्कोहल, गलत खान-पान, पर्याप्त नींद ना लेना आदि कार्डियक अरेस्ट के जोखिम को बढ़ा देता है. फिजिकल एक्टिविटी के लिए 30-40 मिनिट की रोजाना एक्सरसाइज या फिर हफ्ते में 150-180 मिनिट की एक्सरसाइज से हेल्दी रहा जा सकता है. यह जरूरी नहीं है कि जिम जाकर हैवी वेट ही उठाया जाए. घर या पार्क में बॉडी वेट एक्सरसाइज या कार्डियोवैस्कुल एक्सरसाइज जैसे, जॉगिंग, रनिंग, साइकिलिंग, ब्रीदिंग एक्सरसाइज से भी फिट रहा जा सकता है. स्मोकिंग-अल्कोहल से दूर रहें और कम से कम 7-8 घंटे की पूरी नींद ना लें. यंगस्टर्स कहते हैं कि उन्हें जल्दी नींद नहीं आती तो उसका कारण मोबाइल का अधिक यूज भी है. अगर आप एक समय बना लें कि इतने बजे के बाद मोबाइल का यूज नहीं करेंगे तो आप जल्दी सो सकते हैं जिससे नींद जल्दी पूरी होगी.’
कार्डियक अरेस्ट के लक्षण
वैसे तो कार्डियक अरेस्ट के लक्षण को समझने और उनके मुताबिक सही इलाज करने के लिए इंसान को समय ही नहीं मिल पाता. एक्सपर्ट के मुताबिक, कार्डियक अरेस्ट आने से शरीर में कुछ अंतर दिखाई देने लगते हैं. अगर उन पर ध्यान दिया जाए तो कार्डियक अरेस्ट से निपटा जा सकता है.
– बेहोशी
– हार्ट रेट तेज होना
– सीने में दर्द
– चक्कर आना
– सांस लेने में कठिनाई
– उल्टी होना
– पेट और सीने में साथ में दर्द होना
किन लोगों को है कार्डियक अरेस्ट का अधिक खतरा
बत्रा हार्ट सेंटर के चेयरमैन और डॉक्टर उपेंद्र कॉल का कहना है कि 35-40 की उम्र के लोगों में कार्डिक अरेस्ट के मामले अधिक देखने मिल रहे हैं. नीचे 9 बड़े कारक बताए गए हैं जो 90 प्रतिशत कार्डियक अरेस्ट या हार्ट संबधिक बीमारियों के लिए इनमें से दो या दो से ज्यादा रिस्क फैक्टर होने पर हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ जाता है. ये कारक हैं…
– सिगरेट पीना
– खराब कोलेस्ट्रॉल
– हाई ब्लड प्रेशर
– मधुमेह
– मानसिक और सामाजिक तनाव
– वर्क आउट नहीं करना
– ओबेसिटी यानी मोटापा
– सब्जी और फल बेहद कम खाना
– शराब पीना