जिन हथियारों से गलवान में किया था खूनी संघर्ष, वैसे ही हथियार फिर क्यों खरीद रहा चीन?

नई दिल्ली,

चीन एक तरफ सीमा विवाद सुलझाने के लिए बातचीत की टेबल पर बैठा हुआ है तो वहीं दूसरी तरफ अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने के लिए खास तरह के हथियार खरीद रहा है. चीन जिन हथियारों को खरीद रहा है, वह उसी तरह के हथियार हैं, जिनका इस्तेमाल चीन ने 2020 गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हुई खूनी झड़प में किया था.

इंडिया टुडे की जानकारी के मुताबिक, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने कोल्ड वेपन्स श्रेणी के इन कंबाइन्ड मेसेज हथियार खरीदे हैं, जिनका इस्तेमाल 2020 गलवान घाटी में हुई झड़प में हुआ था. इस झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे. इस खूनी झड़प के बाद चीन और भारत के बीच सैन्य गतिरोध बढ़ गया था और मामले को सुलझाने के लिए कई दौर की वार्ता हुई थी. कंबाइन्ड मेसेज दरअसल उस तरह के गैर परंपरागत हथियार हैं, जिनके ऊपरी सिरे पर नुकीले औजार लगाकर हमला किया जाता है.एक्सपर्ट्स को आशंका है कि चीन इन हथियारों का इस्तेमाल एलएसी पर भारतीय सैनियों के खिलाफ कर सकता है.

चीन के विदेश मंत्री किन गांग ने इस महीने की शुरुआत में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बातचीत में कहा था कि भारत और चीन को द्विपक्षीय संबंध सुधारने के लिए सीमा विवाद को सही तरह से सुलझाना चाहिए और सीमा पर स्थिति सामान्य करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए.

सार्वजनिक मंच पर भारत के साथ संबंध सुधारने की दुहाई देने वाले चीन ने इस साल जनवरी में अपनी सेना के लिए इन नुकीले औजारों की खरीद के लिए टेंडर निकाला था. इसके एक महीने बाद इन हथियारों को खरीद लिया गया. चीनी सेना ने दो तरह के नुकीले हथियार खरीदे हैं, जिनमें नुकीली कीलें लगी हुई हैं. इनमें से एक को Maces और दूसरे को Combined Maces कहा जाता है.

सैन्य खरीद नेटवर्क के जरिएमिली जानकारी के मुताबिक, चीनी सेना ने दो करह के हथियार खरीदे हैं. चीन की सेना सीमा पर इसी तरह के नुकीले हथियारों का इस्तेमाल करती है. भारत और चीन की विवादित एलएसी सीमा पर इसी तरह के नुकीले हथियारों से लैस चीनी सैनिकों को देखा जा सकता है.

कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन की सेना ने तियानजिन में गश्ती के दौरान पहले भी अपराधियों से निपटने के लिए इसी तरह के हथियारों का इस्तेमाल किया था. चीन सेना में भर्ती के समय अपने सैनिकों को इसी तरह के हथियारों का इस्तेमाल करना सिखाता है.एक अन्य रिपोर्ट से पता चला है कि चीनी सेना ने इस तरह के 2600 Maces खरीदने का ऑर्डर दिया था.

चीन ने क्या-क्या खरीदा?
चीनी सेना के पर्चेज ऑर्डर के मुताबिक, इन Maces की लंबाई लगभग 1.8 मीटर होती है. इसके तीन भाग होते हैं, जिनमें ऊपरी हिस्सा हथौड़ा जैसा होता है, हथियार के बीच का सिरा रॉड का जबकि आखिरी हिस्सा रॉड ड्रिल की तरह का होता है. इस हथियार के दोनों सिरों पर स्टील के स्पाइक्स और नुकीले कीले लगी हैं. इस हथियार की रॉड बॉडी जिंक स्टील की बनी होती है. लंबी रोड के सिरों पर नुकीली कीले हैं. यह काफी खरतरनाक हथियार है.

चीन के विदेश मामलों पर पकड़ रखने वाले एक्सपर्ट सुयश देसाई का कहना है कि Maces और Combined Maces की तस्वीरें पीएलए की पर्सेज वेबसाइट पर मौजूद है. चीन की सेना यकीनन भारत-चीन सीमा पर इनका इस्तेमाल करने जा रही है.

उन्होंने कहा कि इन हथियारों का पहले भी सीमा पर इस्तेमाल हो चुका है. इसलिए यह तय है कि सीमा पर दोबारा इनका इस्तेमाल होगा. इन हथियारों की खरीद के लिए जिस तरह से टेंडर निकाले गए हैं, उससे साफ पता चलता है कि सीमा पर भारत का मुकाबला करने के लिए ये उपयुक्त हैं. इस तरह के हथियारों की खरीद से पता चलता है कि सीमा पर अब दिक्कतें बढ़ने जा रही हैं.

चीन के सोशल मीडिया पर सुगबुगाहट
चीन में कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने आशंका जताते हुए कहा कि चीनी सेना आम लोगों के खिलाफ इन हथियारों का इस्तेमाल करने जा रही है. लेकिन सबसे बड़ी चिंता भारत-चीन सीमा पर तनाव बढ़ने की भी है.चीन के सोशल मीडिया पर यह चर्चा भी जोरों पर है कि ये हथियार बहुत खतरनाक हैं और जिस मैटीरियल से इन्हें तैयार किया गया है, वह खतरनाक है.इंडो पैसिफिक क्षेत्र के मामलों पर नजर रखने वाले एक्सपर्ट मनोज केवलरमानी ने कहा कि चीनी सेना दरअसल भारत की सेना का मुकाबला करने के लिए इन हथियारों को खरीद कर रही है ना कि घरेलू स्तर पर लोगों से निपटने के लिए.

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