नई दिल्ली
जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ग्वालियर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर एक बयान देकर सोशल मीडिया की सुर्ख़ियों में आ गए हैं। उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कि अधिकतर लोगों को भ्रांति है कि गांधीजी के पास लॉ की डिग्री थी। सच्चाई यह है कि उनके पास कोई डिग्री नहीं थी। मनोज सिन्हा का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो लग कई तरह के रिएक्शन देने लगे।
मनोज सिन्हा ने महात्मा गांधी पर दिया ऐसा बयान
मनोज सिन्हा ने आईटीएम, ग्वालियर में आयोजित राममनोहर लोहिया व्याख्यायानमाला को संबोधित करते हुए कहा कियह भ्रांति है कि गांधी जी के पास कानून की डिग्री थी। उनके पास एक भी विश्वविद्यालय की डिग्री नहीं थी? उनकी एकमात्र योग्यता हाई स्कूल डिप्लोमा थी। उन्होंने कानून का अभ्यास करने की योग्यता प्राप्त की। उसके पास कोई डिग्री नहीं थी लेकिन वह कितने शिक्षित थे? इसके बावजूद वे राष्ट्रपिता बने।
पीयूष बबेले ने मनोज सिन्हा के बयान पर कसा तंज
एमपी कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ के मीडिया सलाहकार पीयूष बबेले ने कहा कि जब से मोदी जी और स्मृति ईरानी जी की डिग्री पर सवाल शुरू हुए हैं तब से बड़ा लोचा है। ग्वालियर के एक कार्यक्रम में जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा कह रहे हैं कि महात्मा गांधी के पास कोई डिग्री नहीं थी। हुज़ूर वे बाक़ायदा बैरिस्टर थे, डिग्रीधारी।इनके चक्कर में उन्हें क्यों निपटा रहे हैं?
जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल बयान पर लोगों के रिएक्शन
आप नेता नरेश बालियान ने कमेंट किया कि ये लोग इतने बड़े पद पर होने के बाद भी मूर्खतापूर्ण बाते कैसे कर लेते हैं? इन्हें कोई बताए की गांधी जी बैरिस्टर थे और लंदन से लॉ की पढ़ाई की थी। पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने हंसने वाली इमोजी के साथ लिखा- व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी जिंदाबाद। @govindprataps12 नाम के एक ट्विटर हैंडल से लिखा गया- अरे कोई बताओ कि गांधी जी बैरिस्टर थे और 1888-91 के बीच यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन से लॉ की पढ़ाई की थी।
@JaikyYadav16 नाम के एक यूजर ने मनोज सिन्हा के बयान पर कहा कि हैरानी होगी आपको जानकर कि ये IIT(BHU) से पढ़े हुए हैं। @puneetsinghlive नाम के एक ट्विटर हैंडल से कमेंट किया गया- सिन्हा जी आप बीएचयू IIT से एमटेक है और आप को ये भी पता नही की गांधी जी बैरिस्टर थे। उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन से लॉ की पढ़ाई की थी। @rajatkmishra1 नाम के एक यूजर ने पूछा- कई इतिहासविद् इस तथ्य को सही मानते है।