भोपाल ,
बीजेपी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के लड़कियों को लेकर शूर्पणखा वाले बयान पर राजनीति जारी है. अब उनके बयान के जरिए मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने बीजेपी पर निशाना साधा है. साथ ही सीएम शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधा है.
कमलनाथ ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि किया करते हुए लिखा है कि मध्य प्रदेश जैसे देश के हृदय प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने महिलाओं का अपमान और उत्पीड़न करने की कसम खा ली है. भाजपा के एक नेता ने कल हमारी बेटियों के वस्त्रों के बारे में अत्यंत शर्मनाक टिप्पणी की और उन्हें शूर्पणखा कहा.
उन्होंने अपने ट्वीट में आगे लिखा है कि जबलपुर में शराब की दुकान का विरोध कर रही बहनों के ऊपर शिवराज सरकार ने पुलिस से बर्बरता पूर्वक दमन कराया. उनके बाल पकड़कर घसीटा गया. कटनी में एक महिला का निधन होने के बाद उसका शव ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली और परिजनों को मृतका के गहने बेचकर एंबुलेंस की व्यवस्था करनी पड़ी.
एमपी बना महिला उत्पीड़न में पूरे देश में नंबर वन: कमलनाथ
कमलनाथ ने आगे लिखा है कि मुरैना में मुख्यमंत्री जी मंच से महिला हितैषी भाषण देते रहे और एक महिला सभा में खड़ी अपनी पीड़ा को लेकर रोती रही. यह तो सिर्फ वे घटनाएं हैं जो पिछले तीन-चार दिन में मध्यप्रदेश में घटित हुई हैं. शिवराज जी की सरकार में पिछले 18 साल से प्रदेश महिला उत्पीड़न में पूरे देश में नंबर वन हो चुका है.
महिलाओं का अपमान करना, उनका उत्पीड़न करना और उनके बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करना भाजपा की पहचान बनता जा रहा है. मैं देश की माताओं, बहनों और बेटियों से निवेदन करता हूं कि वे अपने अधिकारों की लड़ाई में आगे आएं. कांग्रेस पार्टी उनके अधिकारों के संघर्ष में उनके साथ खड़ी है.
कैलाश विजयवर्गीय ने दिया था यह बयान
कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था, “महिलाओं को हम देवियां कहते हैं. मगर, उनमें देवी का स्वरूप नहीं दिखता, बल्कि शूर्पणखा जैसी दिखती हैं. मैं हनुमान जंयती पर झूठ नहीं बोलूंगा. रात को जब निकलता हूं, तो लड़कों को नशे में देखता हूं तो ऐसा लगता है गाड़ी से उतरकर इनके चार-पांच धर दूं, भगवान कसम हनुमान जयंती पर झूठ नहीं बोल रहा हूं. सच में भगवान ने अच्छा सुंदर शरीर दिया है. जरा अच्छे कपड़े पहनों यार.”
बीजेपी महासचिव ने यह भी कहा था कि माता-पिता को अपने बच्चों को संस्कार देना चाहिए. शिक्षा जरूरी नहीं है, संस्कार जरुरी हैं. हमें अपने माता-पिता को खाने से पहले रामायण की चौपाई सुनानी पड़ती थीं. तब खाने के लिए भोजन मिलता था. तभी तो हम सुधर गए नहीं तो नंदा नगर में कही घूमते रहते है. वहां तो पहले ऑटो भी नहीं जाता था, अब बड़ा मार्केट है.