सोनागिरी चौराहे पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन

भोपाल।

श्रमश्री सेवा संस्था समिति मजदूर दिवस पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। पिपलानी पैट्रोल पंप सोनागिरी चौराहा पर देश के दिग्गज कवियों ने देर रात्रि तक कविता सुनाई। उन्होंने श्रोताओं को बांधे रखा । हास्य व्यंग, वीर रस, श्रृंगार रस, राष्ट्रभक्ति, एवं सामाजिक रचनाओं से श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन भी किया और राष्ट्रभक्ति के लिए प्रेरित भी किया ।

कवि सम्मेलन में धर्मेन्द्र सोलंकी ने ‘काम करते धूप में पर लू नहीं लगती*पेट देखा तब लगा ये क्यूं नहीं लगती’
चूड़ी,कंगन और कंठ का हार बनाने वाली थी
एक शख्स को सुधियों का संसार बनाने वाली थी
कस्मे, वादे,प्यार वफ़ा के सारे घुंघरू तोड़ गया
जिसको अपनी पायल की झनकार बनाने वाली थी,
वहीं नन्दिनी श्रीवास्तव ने वार से मिलेंगे न हथियार से मिलेंगे…
नगद से मिलेंगे न उधार से मिलेंगे
गूगल का जीपीएस तो रास्ते बताएगा…
चलने के तरीके तो संस्कार से मिलेंगे। कवि दिनेश दिग्गज, डा रूचि चतुर्वेदी, मुन्ना बैट्री, कुलदीप रंगीला ने भी अपनी काव्य रचना से सभी को भावविभोर कर दिया।

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