हिस्ट्री की क्लास में धायं-धायं-धायं और फिर 8 बच्चों की मौत, सर्बिया की इस खबर से क्यों डरने लगा है

सर्बिया

रोज की तरह उस दिन भी सुबह स्कूल शुरू हो चुका था। बच्चे अपनी-अपनी क्लास रूम में थे। कई बच्चे प्लेग्राउंड में भी थे। इसी स्कूल में पढ़ने वाला 13 साल का एक बच्चा गेट से अंदर घुसा। उसके हाथ में पिस्टल थी। सिक्योरिटी गार्ड ने उसे रोकने की कोशिश की, उस बच्चे ने गार्ड के ऊपर गोली चला दी। उसके बाद ये 13 साल का बच्चा गेट के एकदम पास वाली क्लासरूम में पहुंच गया। वहां हिस्ट्री यानी इतिहास की पढ़ाई हो रही थी। इस बच्चे ने धायं-धायं-धायं कर पूरे क्लासरूम में फायरिंग शुरू कर दी।

सर्बिया में 8 बच्चों की हत्या ने भारत को भी डरा दिया
ये कहानी दो दिन पहले सर्बिया के एक स्कूल में घटी। जहां एक सिक्योरिटी गार्ड समेत 8 स्कूली बच्चों की मौत हो गई। आरोपी लड़का सातवीं क्लास में पढ़ने वाल था। ये लड़का अपने घर से अपने पिता की पिस्टल ले कर आया और अपने ही साथियों को निशाना बना डाला। सर्बिया में इस तरह की घटना पहली बार सामने आई। इस देश को काफी शांतिप्रिय माना जाता है, लेकिन इस घटना ने सबको चौंका दिया और साथ भारत समेत पूरी दुनिया की चिंता भी बढ़ा दी। इस बच्चे ने घटना से पहले बकाया पूरी प्लानिंग की और पेपर पर एक स्केच भी तैयार किया।

खेलने कूदने की उम्र में बच्चे क्यों बन रहे हैं हत्यारे?
यहां सवाल ये नहीं है कि आरोपी कौन है, यहां सवाल ये है कि बच्चे इस तरह की घटनाओं के आरोपी बन क्यों रहे हैं? आखिर क्यों इस तरह की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। सर्बिया में हुआ ये मामला पूरी दुनिया समेत हमारे देश के लिए भी चिंता का विषय है। चिंता देश के बच्चों के भविष्य की, चिंता उनके ऊपर हावी होती हिंसा की। जो उम्र बच्चों के पढ़ने-लिखने, खेलने-कूदने की होती है उस उम्र में क्यों बच्चे हिंसक होते जा रहे हैं। पश्चिमी देशों में इस तरह की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। अब भारत समेत दूसरे देशों को भी ये सता रहा है कि कहीं उनके देश में भी बच्चे ऐसी घटनाओं से प्रभावित न हों।

बच्चों के दिमाग में क्यों हावी हो रही है हिंसा?
अमेरिका और युरोप में ऐसे कई मामले पहले हुए हैं। पहले भी कई बार ऐसा हो चुका है कि स्कूल के अंदर फायरिंग में कई बच्चों की मौत हो गई और मारने वाला भी स्कूल का ही बच्चा था। टीवी और दूसरे माध्यमों से पूरी दुनिया के बच्चे ये सब देखते हैं। पश्चिमी कल्चर वैसे ही बच्चों पर हावी रहता है। ऊपर से इस तरह की घटनाएं उनके दिमाग में बुरा असर डालती हैं। कई बार बच्चे ऐसी चीजों को कॉपी करने की कोशिश करते हैं।

12वीं के बच्चे ने प्रिसिंपल पर चलाई थी गोली
भारत में स्कूलों के तौर तरीके वैसे तो पश्चिमी देशों से बिल्कुल अलग हैं। स्कूलों में बच्चों को अनुशासन सिखाया जाता है, लेकिन इंटरनेट के बढ़ते क्रेज ने बच्चों को पिछले कुछ सालों में बदल कर रख दिया है। ऐसे में डर तो लाजमी है और इस डर को सच साबित करती हैं यहां हुई कई घटनाएं। पिछले कुछ समय में हमारे देश में भी बच्चों के हिंसक होने की कई वारदातें सामने आईं हैं। अभी कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के सितापुर जिले के एक स्कूल म12वीं के छात्र ने अपने ही प्रिंसिपल पर फायरिंग कर दी। इस लड़के ने ये फायरिंग सिर्फ इसलिए की क्योंकि प्रिंसिपल ने इस बच्चे को डांटा था। घटना में प्रिसिंपल बुरी तरह से जख्मी हो गए।

पिता की पिस्टल से मां को मार दी थी गोली
ऐसे ही पिछले साल लखनऊ में एक बच्चे ने अपने पिता की पिस्टल से अपनी मां को गोली मार दी। वजह थी मां बच्चे को वीडियो गेम खेलने से रोक रही थी। सोचिए बच्चे के दिमाग में कितनी हिंसा होगी जो उसने अपनी मां का कत्ल कर दिया। इसमें कोई शक नहीं है कि इंटरनेट, टीवी जैसे माध्यमों ने दुनिया को जोड़ने में अहम भूमिका निभाई, लेकिन इसके दुष्परिणाम भी सामने हैं। बच्चे इंटरनेट में फायरिंग, फाइटिंग जैसे हिंसक गेम देखते हैं। उनके कच्चे दिमाग में ये बुरा असर करते हैं। वो रियल लाइफ में भी उसी तरह से बनने की कोशिश करते हैं और फिर कई बार परिणाम इतने भयानक हो जाते हैं।

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