एशिया में NATO की दस्तक, इस देश में खोलेगा ऑफिस, इंडो पैसिफिक में चीन-रूस की बढ़ेंगी मुश्किलें

टोक्यो

अमेरिका के नेतृत्व वासा सैन्य संगठन नाटो जापान के टोक्यो में एक संपर्क कार्यालय खोलने की योजना बना रहा है। यह एशिया में नाटो का अपनी तरह का पहला कार्यालय होगा। यह स्टेशन नाटो को जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे प्रमुख भागीदार देशों के साथ समय-समय पर परामर्श करने में सुविधा प्रदान करेगा। इन सभी देशों को चीन और रूस की बढ़ती ताकत से खतरा है। ऐसे में अमेरिका के करीबी समझे जाने वाले ये चारों देश इंडो-पैसिफिक की चुनौतियों को नाटो के साथ मिलकर सामना कर पाएंगे। नाटो और जापान 11 और 12 जुलाई को लिथुआनिया के विलनियस में नाटो शिखर सम्मेलन से पहले एक व्यक्तिगत भागीदार कार्यक्रम पर भी हस्ताक्षर करने वाले हैं। इससे जापान और नाटो साइबर खतरों से निपटने में अपने सहयोग को और ज्यादा मजबूत करेंगे और खतरनाक तकनीकों, प्रॉपगैंडा जैसे खतरों के खिलाफ लड़ेंगे।

नाटो महासचिव की जापान यात्रा के दौरान बनी सहमति
इसी साल जनवरी के अंतर में नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने जापान की यात्रा की थी। इस दौरान टोक्यो में प्रधान मंत्री फुमियो किशिदा के साथ मुलाकात में स्टोलटेनबर्ग ने जापान में नाटो कार्यालय खोलने का प्रस्ताव रखा था। इस मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि अप्रैल में नाटो ने अपने 31 सदस्यों के बीच एक मसौदा प्रस्ताव भी पारित करवा लिया है। इसमें जापान में नाटो का ऑफिस खोलने पर सदस्यों की रजामंदी ली गई थी। हालांकि, जापान में नाटो के ऑफिस के लिए जगह और पैसों लिए बातचीत अभी चल रही है। नाटो के न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में, वियना में यूरोप में सुरक्षा और सहयोग संगठन के साथ-साथ जॉर्जिया, यूक्रेन, बोस्निया और हर्जेगोविना, मोल्दोवा और कुवैत में इसी तरह के संपर्क कार्यालय हैं।

एशिया में ऑफिस खोलकर क्या करेगा नाटो
कई मामलों में मेजबान देश नाटो के लिए ऑफिस स्पेस प्रदान करते हैं। अगर टोक्यो नाटो को जापान में पैर जमाने के लिए पैसे उपलब्ध कराता है तो यह रक्षा सहयोग में एक नए चरण की शुरुआत मानी जाएगी। नाटो और जापान सहयोग को मजबूत करने का पहले ही इरादा जता चुके हैं। जापान नाटो के लिए एक स्वतंत्र मिशन बनाने की योजना तैयार कर रहा है। इसे बेल्जियम में जापानी दूतावास से अलग स्थापित किया जाएगा। बेल्जियम में जापान के राजदूत मासाहिरो मिकामी को उनके काम से मुक्त कर नाटो के साथ संबंध मजबूत करने के लिए तैनात किया जाएगा। पीएम किशिदा ने जनवरी की बैठक में स्टोलटेनबर्ग को योजनाओं के बारे में बताया था। अधिकारियों को उम्मीद है कि आईटीपीपी पर नाटो-जापान के हस्ताक्षर विलनियस शिखर सम्मेलन के पहले हो जाएंगे।

नाटो शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे इन एशियाई देशों के नेता
नाटो के विलनियस शिखर सम्मेलन में गैर सदस्य देशों जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के नेताओं के भाग लेने की उम्मीद है। पिछले साल भी इन देशों के नेता नाटो के शिखर सम्मेलन में शामिल हुए थे। पिछले जून में किशिदा, दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति यून सुक येओल, ऑस्ट्रेलियाई प्रधान मंत्री एंथनी अल्बनीस और तत्कालीन न्यूजीलैंड के प्रधान मंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने मैड्रिड में नाटो शिखर सम्मेलन में भाग लिया था। इन नेताओं ने नाटो के एशिया-पैसिफिक पार्टनर्स (AP4) के रूप में जाने जाने वाली एक बैठक भी की थी। जापान में डेनमार्क के राजदूत पीटर टाक्सो-जेन्सेन ने बताया कि नाटो संपर्क कार्यालय इंडो-पैसिफिक में अपनी तरह का पहला होने के साथ सबसे अधिक प्रतीकात्मक होगा। यह जापान और नाटो के बीच संबंधों को मजबूत करने का एक बहुत ही शानदार और वास्तविक तरीका होगा।

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