​तिहाड़ में क्यों रहती है तमिलनाडु पुलिस, सुरंग से 13 कैदी भागने वाला 1976 का वह किस्सा जानिए

नई दिल्ली

1976 में तिहाड़ जेल में सुरंग खोदकर 13 कैदी भाग गए थे। इसके बाद यहां तमिलनाडु स्पेशल पुलिस यानी टीएसपी को तैनात किया गया था। मकसद था कि टीएसपी यहां के कैदियों और स्टाफ की भाषा नहीं समझ पाएगी और यहां के लोग टीएसपी की। ऐसे में जेलों में राज्य पुलिस के मुकाबले टीएसपी अच्छे से संभाल सकेगी। दूर राज्य की पुलिस होने के चलते यहां भ्रष्टाचार होने की आशंका भी कम रहेगी और कैदियों पर अंकुश बेहतर होगा, लेकिन मौजूदा समय में अब यह सारे मामले फेल साबित होते दिखाई दे रहे हैं।

1980 के आसपास तैनात की गई थी TSP
लंबे समय तक तिहाड़ जेल के लॉ अफसर रहे सुनील गुप्ता बताते हैं कि 1980 के आसपास तिहाड़ जेल में टीएसपी को तैनात कर दिया गया था। मकसद यही था कि एक-दूसरे की भाषा सीधे तौर पर ना जानने और समझने की वजह से यह अच्छा काम कर पाएगी। तिहाड़ में एक हजार से अधिक टीएसपी के जवान होंगे। इनकी ड्यूटी तिहाड़ परिसर में स्थित 9 जेलों की ड्योढ़ी में आने वाले तमाम कैदियों की अच्छे से तलाशी लेना है, ताकि कोई भी कैदी जेल के अंदर ड्रग्स और मोबाइल जैसा कोई प्रतिबंधित सामान ना ले जाने पाए। अब जेल स्टाफ की भी यह तलाशी लेने लगे हैं। इतनी सघन तलाशी के बावजूद तिहाड़ के अंदर गैंगस्टर ना केवल मोबाइल ले जाने में काबयाम हो रहे हैं, बल्कि जेल के अंदर से ही बाहर की दुनिया में फोन कर लोगों को डराते-धमकाते और मर्डर तक करा रहे हैं। जेल स्टाफ के अलावा कई मामलों में टीएसपी भी गलत काम करने के मामलों में पकड़ी गई है।

​तिहाड़ मामले में सात पुलिसवालों पर ऐक्शन
तिहाड़ जेल में गैंगस्टर टिल्लू हत्या मामले में जहां तिहाड़ जेल के सात कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया है। वहीं इस मामले में हत्या के दौरान मूकदर्शक बनकर खड़ी टीएसपी के भी सात जवानों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। टीएसपी की ओर से इन्हें चार्जशीट देकर इनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं। मामले में एनबीटी ने लगातार टीएसपी की लापरवाही को उजागर करते हुए इनकी कमी को बताया। मामले में टीएसपी के सूत्रों का कहना है कि मौके पर टीएसपी को जेल स्टाफ के साथ मिलकर एक्शन लेना चाहिए था। जो इन्होंने नहीं लिया। इनसे इसके कारण भी पूछे गए हैं। वीडियो में दिखाई दे रहा है कि चारों आरोपियों ने पहले टिल्लू को उसके सेल के बाहर चाकुओं से गोदा। इसके बाद फिर कंबल में ले जाते वक्त टीएसपी की मौजूदगी में दोबारा फिर से चाकू और सुएं मारे गए।

​तिहाड़ के 8 स्टाफ की विभागीय जांच के आदेश​
तिहाड़ जेल नंबर-8/9 के 8 स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की गई है। इनमें से तीन असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट, दो हेड वॉर्डर और दो वॉर्डर हैं। हालांकि, अभी इन्हें सस्पेंड नहीं किया गया है, लेकिन इनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं। जिससे कि वारदात के वक्त इनकी ड्यूटी और इसे निभाने तक की सारी जांच की जा सके। इनके अलावा जेल सुपरिंटेंडेंट और डिप्टी सुपरिंटेंडेंट के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है। इनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दिल्ली सरकार को लिखना होगा। मामले में तिहाड़ जेल प्रशासन की ओर से टीएसपी को भी लिखकर उनकी फोर्स की ड्यूटी के बारे में पूछा गया है कि वारदात के वक्त मूकदर्शक बने रहने का क्या कारण रहा। इसमें लापरवाही मिलने पर टीएसीपी की ओर से ही उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। बताया यह भी जाता है कि इस मामले की जांच कर रहे जेल प्रशासन की रिपोर्ट में भी टीएसपी की लापरवाही सामने आ रही है। बताया जाता है कि रिपोर्ट में वारदात के दौरान जेल स्टाफ के नदारद रहने का भी जिक्र किया गया है। जांच का कुछ पार्ट पूरा हो चुका है। जिसकी रिपोर्ट तिहाड़ जेल के डीजी को सौंपी गई है।

​तिहाड़ जेल में हत्या और हत्या के प्रयास के मामले
2 मई, 2023 को गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया की जेल नंबर-8/9 में चार कैदियों ने चाकू और सुए गोदकर सरेआम हत्या कर दी
14 अप्रैल 2023 को बदमाश प्रिंस तेवतिया की जेल नंबर-3 में तीन कैदियों ने चाकू घोंपकर हत्या कर दी
4 अगस्त 2021 को जेल नंबर-3 में बदमाश अंकित गुर्जर को मार डाला गया। आरोप है कि इसमें तिहाड़ जेल के अफसर और स्टाफ ही शामिल रहे
7 अप्रैल 2022 को जेल नंबर-8/9 में एक कैदी पर सर्जिकल ब्लेड और चाकू से जानलेवा हमला किया गया
23 से 25 अप्रैल 2022 के बीच जेल नंबर-5 में पांच कैदियों पर चाकू से हमला कर घायल किया गया
4 मई 2022 को एक असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट समेत चार कैदियों पर चाकूबाजी की गई
11 जून 2022 को जेल नंबर-3 में दो कैदियों ने तीन कैदियों पर चाकू मारे। इस मामले में 15 कैदी घायल हुए थे
8 सितंबर 2022 को जेल नंबर-1 में चार कैदियों ने दो कैदियों को चाकू मारे

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