‘मुझे निकम्मा, नाकारा, गद्दार कहा गया…’, गहलोत पर बरसे सचिन पायलट

नई दिल्ली,

राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने जयपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इशारों-इशारों में सीएम अशोक गहलोत पर हमला बोला. उन्होंने कहा-मुझे निकम्मा, नाकारा, गद्दार कहा गया. मैं ढाई साल से यह सब सुन रहा था, लेकिन हम चुप थे, क्योंकि हम अपनी पार्टी को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते थे.

पायलट ने कहा- मैं दिल्ली गया, अपनी बात का रखी. सारे तथ्यों को देखते हुए सोनिया गांधी ने 25 सितंबर को विधायकों से बात करने के लिए अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को जयपुर भेजा था लेकिन वह विधायकों की बैठक हो ही नहीं पाई. सोनिया गांधी तब हमारी पार्टी की अध्यक्ष थीं. उनकी जो अवहेलना हुई, उनकी जो मानहानि हुई, उनकी जो बेइज्जती हुई, वो गद्दारी थी.

उन्होंने कहा कि इतने सारे विधायकों को उनकी इच्छा के खिलाफ इस्तीफा दिलवाया गया. अपनी सरकार को संकट में खड़ किया गया. बहुत से लोग कहते हैं कि मोदी और शाह के कहने पर ये इस्तीफे दिलवाए गए. अब अगर ये बात कोई मुझे कहे और मैं मंच पर जाकर बोलूं तो क्या ये शोभा देता है? अब तक जो हुआ, वह यह दिखाता है कि अनुशासनहीनता किसने की, पार्टी का डिसिपिलिन किसने तोड़ा, और सही मायने में संगठन और सरकार को कौन मजबूत और कौन कमजोर कर रहा है.

पायलट ने कहा कि अशोक गहलोत ने जो आरोप लगाए, वह कई बार लगाए जा चुके हैं, लेकिन सार्वजनिक तौर पर हम कुछ नहीं कहना चाहते थे. उन्होंने कांग्रेस के नेताओं का अपमान किया. उन्होंने कहा कि राजनीति में 40-45 साल से काम कर रहे विधायकों पर आरोप लगाए जा रहे हैं. उनके क्षेत्र के लोग जानते हैं कि वह कैसे नेता हैं, कैसा काम करते हैं. ऐसे विधायकों पर इल्जाम लगाना गलत है.

तो मेरे खिलाफ दर्ज करना चाहिए था केस
पायलट ने कहा कि मेरे खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज कराने का प्रयास किया. मेरे खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए. इसके बाद मैं दिल्ली गया. अपनी बात रखी. अगर मैं और कांग्रेस के कुछ विधायकों ने सरकार के खिलाफ साजिश रची और उनके पास इसके सबूत हैं तो उनको सार्वजनिक करना चाहिए था. इसके बाद हमारे खिलाफ केस दर्ज कर लेते, लेकिन सबूतों को सार्वजनिक नहीं किया.

नेताओं को खुश करने के लिए चुगली कर रहे
सचिन पायलट ने पिछले दिनों दिए सीएम अशोक गहलोत के बयान पर जवाब दिया कि उनका भाषण सुनकर ऐसा लगा कि अशोक गहलोत की नेता सोनिया गांधी नहीं हैं, बल्कि उनकी नेता वसुंधरा राजे सिंधिया हैं. एक तरफ ये कहा जा रहा है कि कांग्रेस सरकार को गिराने का बीजेपी ने काम रही थी, तो वहीं दूसरी तरफ यह कहा गया कि सरकार को बचाने का काम वसुंधरा राजे कर रही थीं. वह कहना क्या चाहते हैं, स्पष्ट करें.

उन्होंने कहा,’पहली बार देख रहा हूं कि कोई अपनी ही पार्टी के सांसदों और विधायकों की आलोचना कर रहे हैं. यह पूरी तरह गलत है.’ उन्होंने कहा कि अपने नेताओं को खुश करने के लिए बहुत सारे लोग बहुत सारी बातें करते हैं, चुगली करते हैं. ऐसी बातें मुझसे भी की जाती हैं, लेकिन मैं मंच पर ये कहूं तो यह शोभा नहीं देता है.’

सचिन पायलट ने कहा, ‘वसुंधरा राजे की सरकार में हुए भ्रष्टाचार पर मैंने कई बार चिट्ठियां लिखीं, अनशन पर बैठ, लेकिन जांच नहीं हुई. समझ में आ रहा है क्यों एक्शन नहीं लिया. अब मैं नाउम्मीद हूं, तो जनता के पास जाऊंगा. जनता के सामने सभी को नतमस्तक हूंगा.

अजमेर से जयपुर तक पदयात्रा निकालेंगे
पायलट ने कहा कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे. उन्होंने ऐलान किया कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ 11 मई को अजमेर से जयपुर तक यात्रा निकालेंगे. इस 125 किलोमीटर लंबी पैदल यात्रा में 5 दिन का वक्त लगेगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह पदयात्रा सरकार के खिलाफ नहीं है, बल्कि युवाओं के लिए है.

गहलोत ने ये लगाए हैं आरोप
अशोक गहलोत ने रविवार को पूर्व सीएम और बीजेपी नेता वसुंधरा राजे को कांग्रेस सरकार के लिए ‘संकट मोचक’ बताया था. उन्होंने दावा किया था कि 2020 में में कांग्रेस के कुछ विधायकों की बगावत के वक्त वसुंधरा राजे और बीजेपी नेता कैलाश मेघवाल ने उनकी सरकार बचाई थी.

इस दौरान उन्होंने सचिन पायलट खेमे पर बीजेपी से करोड़ों रुपये लेने का आरोप लगा दिया था. उन्होंने धौलपुर के राजाखेड़ा के पास महंगाई राहत कैंप की सभा में कहा था कि उस वक्त हमारे विधायकों को 10 से 20 करोड़ बांटा गया. उन्होंने यह भी कहा था कि वह पैसा अमित शाह को वापस लौटा दें. अगर आपने उनमें से कुछ खर्च कर दिया है मुझसे ले लें, लेकिन पैसे वापस कर दें.

11 जुलाई 2020 को तत्कालीन डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद कर दिया था. उन्हें पार्टी के 19 विधायकों ने अपना समर्थन भी दे दिया था. इन विधायकों के साथ पायलट गुरुग्राम के मानेसर स्थित रिजॉर्ट में पहुंच गए था. 12 जुलाई को पायलट ने गहलोत सरकार को गिराने के संकेत भी दे दिए थे. हालांकि गहलोत किसी तरह अपनी सरकार बनाने में सफल हो गए थे.

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