कर्नाटक में किसकी सरकार? एग्जिट पोल ही नहीं, वोटिंग ट्रेंड से भी मिल रहे सत्ता परिवर्तन के संकेत

नई दिल्ली,

कर्नाटक की 224 विधानसभा सीटों के लिए वोटिंग हो चुकी है. और अब 13 मई को आने वाले नतीजों का इंतजार है. लेकिन इस बार चुनाव में कर्नाटक की जनता ने रिकॉर्ड बना दिया है, जो पिछली बार से भी ज्यादा है. चुनाव आयोग से मिले आंकड़ों के मुताबिक, कर्नाटक में इस बार 72.67 फीसदी वोटिंग हुई है. अभी ये वोटिंग प्रतिशत और बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि इसमें पोस्टल बैलेट और होम वोटिंग का आंकड़ा शामिल नहीं है. वहीं, 2018 के चुनाव में 72.44 फीसदी और 2013 में 71.83 फीसदी वोट पड़े थे. इस लिहाज से देखें तो वोटिंग फीसदी में मामूली इजाफा हुआ है. कर्नाटक में सबसे ज्यादा 90.93 फीसदी वोटिंग मंड्या जिले की मेलुकोटे विधानसभा सीट पर हुई तो सबसे कम मतदान 47.43 फीसदी बेंगलुरु की सीवी रमन नगर सीट पर हुई.

कर्नाटक वोटिंग ट्रेंड के संकेत
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि अधिक या फिर कम मतदान प्रतिशत के बावजूद सत्ता में वापस आने की संभावना कम रहती है. चुनाव में एक आम धारणा है कि ज्यादा मतदान होने का अर्थ सत्ता विरोधी लहर और कम वोटिंग के होने का मतलब राज्य में सत्ता समर्थक लहर नहीं है. इस लिहाज से इस बार वोटिंग फीसदी में बढ़ोत्तरी हुई है, जिसके सियासी मायने साफ तौर पर समझे जा सकते हैं.

कर्नाटक में अब तक कुल 14 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. आठ चुनावों में वोटिंग परसेंटेज में इजाफा हुआ, जिसमें सिर्फ एक बार 1962 में कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई है. वहीं, पांच चुनावों में वोट प्रतिशत कम रहा जिसमें बीजेपी एक बार सत्ता में लौटी है.

इतिहास में पहली बार इतनी वोटिंग
कर्नाटक के चुनावी इतिहास में ये अब तक की सबसे ज्यादा वोटिंग है. 2018 के चुनाव में 72.44 फीसदी और 2013 में 71.83 फीसदी वोट पड़े थे. 1999 के चुनाव के बाद ये पहली बार है जब इतनी ज्यादा वोटिंग हुई है. 1999 के चुनाव में राज्य में 67.65 फीसदी वोटिंग हुई थी. 2004 में 65.17% और 2008 में 65.17% वोट पड़े थे.

इस बार कर्नाटक की 224 विधानसभा सीटों पर 2,615 उम्मीदवार मैदान में हैं. चुनाव आयोग ने कुल 58,545 पोलिंग बूथ बनाए थे. ये पहली बार था जब राज्य के 95 हजार से ज्यादा वोटर्स को ‘वोट फ्रॉम होम’ की सुविधा मिली थी. इनमें 80 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग और दिव्यांग वोटर्स थे.

क्या कहता है ये पैटर्न?
चुनावों में बढ़ा हुआ वोटिंग प्रतिशत दो बात का संकेत देता है. पहला- वोटर्स में सरकार बदलने का उत्साह है. और दूसरा- चुनाव नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं. एग्जिट पोल के सर्वे से भी इसी तरह से संकेत मिलते नजर आ रहे हैं. मीडिया के ज्यादातर एग्जिट पोल में नतीजे सत्ता परिवर्तन के दिख रहे हैं.

 

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