चिराग पासवान होंगे इन और पशुपति पारस आउट, मोदी कैबिनेट में ‘हनुमान’ की एंट्री की तैयारी?

पटना

लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी में जुटी भाजपा अपनी रणनीति को अंजाम देने जा रही है। वर्षों से लोजपा और लोजपा (आर) की राजनीति को भाजपा अब एक नया रूप देने जा रही है। अभी तक लोजपा परोक्ष रूप से NDA गठबंधन में साथ है तो लोजपा (आर) अपरोक्ष रूप से NDA के साथ दिखता रहा है। अब लोजपा (आर) की राजनीति में एक बदलाव आने जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद लोजपा (आर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व जमुई सांसद चिराग पासवान या कह लें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हनुमान केंद्रीय कैबिनेट में शामिल होने जा रहे हैं। यह पुरस्कार उन्हें NDA से बाहर रह कर भी मोदी की रणनीति का एक हिस्सा बन कर उनकी मदद करने के कारण मिल रहा है।

मंत्री पद के हकदार क्यों हैं चिराग? समझिए
लोजपा (आर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान भले NDA से बाहर हैं ,पर वे लगातार खुद को मोदी का हनुमान बताते कई चुनावों में भाजपा के चुनावी राजनीति का हिस्सा बनते रहें हैं। बिहार विधानसभा 2020 में लोजपा के अकेले चुनाव लड़ने को भाजपा की रणनीति ही माना जाता है। इस रणनीति से JDU को काफी नुकसान हुआ। 115 सीट लाने वाली जनता दल यू 43 सीटों में सिमट कर रह गई और अपने राज्य में ही तीसरे नंबर की पार्टी बन गई। कहा जाता है कि इस रणनीति के तहत भाजपा के कई कद्दावर बागी नेताओं को चुनावी मैदान में उतार जदयू के कद को छोटा करने के काम को अंजाम दिलाने का काम किया गया।

तीन विधानसभा उपचुनाव में भी लोजपा का सहयोग
कुछ माह पहले राज्य में हुए उपचुनाव में भी चिराग मोदी भक्त हनुमान ही बने रहे हैं। चिराग ने एन मौके पर भाजपा के उम्मीदवार का प्रचार किया और उपचुनाव में एक बार फिर भाजपा ने चिराग की मदद से महागठबंधन के उम्मीदवारों को परास्त करने का काम किया। इस उप चुनाव में भाजपा ने कुढ़नी और गोपालगंज विधानसभा में जीत का परचम लहराया और मोकामा में जहां भाजपा को कभी 2 से 3 हजार मत मिला करता था वहा 65 हजार से ज्यादा वोट मिले।

नीतीश विरोधी चेहरा बना बड़ा कारण
लोक जनशक्ति पार्टी (आर) के प्रमुख चिराग पासवान ने जातीय जनगणना को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जातीय जनगणना पर नहीं, कुर्सी बचाने पर बात हो रही है। जातीय जनगणना के लिए कौन रोक रहा है।लेकिन सच्चाई यही है कि इन्हें जातिगत जनगणना से कोई लेना देना नहीं है। केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि वे जातिगत जनगणना नहीं कराने वाले हैं। सांसद ने कहा कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ मुख्यमंत्री देश के प्रधानमंत्री से मुलाकात भी कर चुके हैं, उस समय भी नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव उनके साथ थे। अब परेशानी कहां है कि आपको बंद कमरे में बातचीत करने की क्या जरूरत पड़ गई। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना के लिए नहीं, कुर्सी पर बने रहने पर बात हो रही है।

मिलने लगे चिराग को लेकर इशारे
जब से राजनीतिक हल्के में चिराग पासवान के मंत्री बनने की बात चली है, लोजपा के नेता और मंत्री पशुपति पारस की मुश्किल बढ़ने लगी है। उनके सांसद चंदन सिंह, वीणा सिंह और महबूब अली कैसर ने चिराग पासवान से नजदीकियां बढ़ा ली है। नवादा सांसद ने तो मिल कर अपनी चिंता भी जताई कि नवादा को भाजपा के हवाले मत होने दे। अब तो इस बात पर आप चर्चा कर लोजपा की विनिंग सीट बचा लें। बहरहाल, भाजपा को अपना गठबंधन मजबूत करना है तो बिहार में चिराग एक फैक्टर बन सकते हैं। लोजपा की बागडोर भले पशुपति पारस के पास हो पर रामविलास पासवान का अर्जित वोट चिराग के पास है। दूसरी बड़ी बात यह है कि चिराग पासवान अब तक की राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विश्वास प्राप्त कर चुके हैं, साथ ही हर मोर्चे पर सफल हो कर भी दिखाया है। अब देखना होगा कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के घोषित परिणाम के बाद भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व चिराग पासवान को मंत्रिपरिषद में जगह देता है या नहीं?

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