27 साल बाद आजम के गढ़ में बीजेपी गठबंधन ने लहराया परचम, सपा का हिंदू कार्ड भी बेअसर

रामपुर

समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान के गढ़ रामपुर जिले में बीजेपी गठबंधन ने 27 साल बाद अपना परचम लहराया है। एक तरह से आजम का आखिरी सियासी किला भी बीजेपी गठबंधन ने ध्वस्त कर दिया। बीजेपी अपना दल गठबंधन के शफीक अंसारी ने रामपुर जिले की स्वार विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के शनिवार को आए परिणाम में सपा की अनुराधा चौहान को हराया है। अपना गढ़ बचाने के लिए आजम का आखिरी वक्त में चला हिंदू कार्ड भी बेकार साबित हुआ।

दरअसल, 1996 में स्वार सीट पर बीजेपी आखिरी बार जीती थी। यह सीट आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम की अदालत से एक केस में सजा होने के कारण विधानसभा सदस्यता खत्म होने के कारण खाली हुई थी। इस तरह बीजेपी गठबंधन से जीतकर विधायक बनने वाले शकील अंसारी पहले विधायक हो गए हैं।

रामपुर जिले में आजम खान का सियासी राज चलता था। करीब 46 वर्षों से आजम खान का रामपुर में दबदबा रहा है। आजम रामपुर सीट से 10 बार विधायक और एक बार सांसद चुने गए थे। रामपुर के साथ ही जिले की बाकी सीटों पर जिनमें से एक स्वार विधानसभा सीट पर भी आजम का रुतबा कायम रहता था। इस सीट पर दो बार जम के बेटे अब्दुल्ला विधायक चुने गए। दोनों बार उनकी विधायकी चली गई। एक बार जन्मतिथि विवाद के चलते उनको विधायकी खोनी पड़ी। दूसरी बार फरवरी 2023 में अब्दुल्ला आजम को 15 साल पुराने मामले में अदालत से दो साल की सजा होने पर विधायकी चली गई थी और स्वार सीट को खाली घोषित कर उपचुनाव कराया गया है।

शनिवार को उपचुनाव के बाद हुई मतगणना में बीजेपी गठबंधन से अपना दल से शकील अंसारी जीते हैं। उन्होंने आजम की करीबी सपा कैंडिडेट अनुराधा चौधरी को हराया है। शकील चौधरी कभी आजम खां के बेहद करीबी और राजदार हुआ करते थे।

शकील अंसारी से पहले इस सीट पर 1951 से लेकर 1962 तक कांग्रेस के महमूद अली खां विधायक रहे। 1967 में मकसूद हसन स्वतंत्र पार्टी से जीते। 1969 में भारतीय जनसंघ के‌ राजेन्द्र शर्मा पहली बार विधायक बने। 1974 में कांग्रेस के सैयद मुर्तजा अली खां जीते। 1977 में कांग्रेस के मकबूल अहमद चुनाव जीते। 1980 में भाजपा के चौधरी बलबीर सिंह और 1985 में कांग्रेस के निसार हुसैन चुनाव जीते। 1989 से लेकर 1996 तक भाजपा के शिव बहादुर सक्सेना 4 बार विधायक बने।

उनके बेटे आकाश सक्सेना अब रामपुर से विधायक हैं, वह भी उपचुनाव में जीते थे। रामपुर सीट भी सजा होने पर आजम की विधायकी जाने पर खाली हुई थी। साल 2002 में कांग्रेस से नवाब परिवार के काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां, इसके 2007 में भी नावेद मियां सपा से और 2012 में कांग्रेस से जीते। हालांकि 2017 में आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम पहली बार सपा से चुनाव लड़े नवाब काजिम को हरा दिया। 2022 में अब्दुल्ला आजम फिर सपा से चुनाव जीते। अब उपचुनाव में शकील अंसारी चुनाव जीते हैं।

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