सिद्धारमैया vs शिवकुमार: 2-3 साल का CM या 3 डिप्टी सीएम… कर्नाटक में सामने आए ये फॉर्मूले

नई दिल्ली,

कर्नाटक का मुख्यमंत्री कौन होगा? विधानसभा चुनाव नतीजों के 3 दिन बाद भी इस सवाल का जवाब अब तक नहीं मिल पाया है. कांग्रेस ने कर्नाटक में चुनाव तो जीत लिया, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी अब दो दावेदारों के बीच में फंस गई है. जहां एक तरफ 77 साल के सिद्धारमैया हैं और दूसरी तरफ 61 साल के डीके शिवकुमार हैं. इसी बीच कर्नाटक में पावर शेयरिंग के तीन फॉर्मूले भी शामिल आए हैं. हालांकि, अंतिम मुहर कांग्रेस आलाकमान ही लगाएगा. आइए जानते हैं कि अभी तक कौन कौन से फॉर्मूले सामने आए हैं.

पहला फॉर्मूला- 2 साल सिद्धारमैया, तीन साल शिवकुमार सीएम
सूत्रों के मुताबिक, सिद्धारमैया ने सत्ता में साझेदारी का सुझाव देते हुए कहा कि पहले 2 साल उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाए और बाद के 3 साल डीके शिवकुमार को सीएम की कुर्सी सौंपी जाए. सिद्धारमैया ने कहा, ‘चूंकि वह उम्रदराज़ हैं, इसलिए वह कम से कम 2024 के संसदीय चुनावों तक पहले चरण में सरकार चलाना चाहते हैं.’ हालांकि शिवकुमार ने सिद्धारमैया के इस फॉर्मूले को राजस्थान और छत्तीसगढ़ का हवाला देते हुए खारिज कर दिया.

दूसरा फॉर्मूला- एक सीएम और तीन डिप्टी सीएम बनाए जाएं
कर्नाटक में दूसरा फॉर्मूला तीन डिप्टी सीएम वाला सामने आया है. यानी किसी एक नेता को सीएम बनाया जाए और तीन डिप्टी सीएम बनाए जाएं. ये तीनों अलग अलग समुदाय से हों. लिंगायत समुदाय से एमबी पाटिल को डिप्टी सीएम बनाया जाए. इसके अलावा 21% आबादी वाले SC/ST समुदाय से जी परमेश्वर और 7 बार के पूर्व सांसद केएच मुनियप्पा को डिप्टी सीएम बनाया जाए. मुनियप्पा पहली बार विधानसभा चुनाव में उतरे हैं. माना जा रहा है कि इस फॉर्मूले से 2024 लोकसभा चुनाव में भी सियासी समीकरण साधने की कोशिश की जा सकती है.

तीसरा फॉर्मूला- सिद्धारमैया सीएम बनाए जाएं, जबकि मजबूत मंत्रालय के साथ डिप्टी सीएम डीके बने
इसी बीच तीसरा फॉर्मूला भी सामने आया है. माना जा रहा है कि हाईकमान के दबाव में शिवकुमार डिप्टी सीएम पद के लिए राजी हो सकते हैं. लेकिन इसके साथ उन्हें अहम मंत्रालय दिए जाएं. साथ ही डीके को भरोसा दिया जाए कि उन्हें 2-2.5 साल बाद सीएम बना दिया जाएगा.

कांग्रेस आलाकमान के पाले में गेंद
उधर, कांग्रेस के सभी 135 विधायकों ने मुख्यमंत्री पद को लेकर अपनी राय बता दी है. केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने विधायकों की राय वाली रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. सीएम पद के दोनों दावेदारों को सोमवार को आलाकमान ने दिल्ली बुलाया था. सिद्धारमैया तो दिल्ली पहुंच गए, लेकिन शिवकुमार ने खराब तबीयत का हवाला देकर इनकार कर दिया. माना जा रहा है कि वे आज दिल्ली पहुंच सकते हैं और आलाकमान से मुलाकात कर अपनी बात रखेंगे. इसके सबके बीच सिद्धारमैया ने ये कहा है कि कर्नाटक के ज्यादातर विधायक उन्हें मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं.जबकि डीके शिवकुमार ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक का चुनाव उनकी अध्यक्षता में जीता है. उनके पक्ष में 135 विधायक हैं.

सिद्धारमैया VS डीके, किसका पलड़ा कहां भारी-कहां कमजोर?
– डीके शिवकुमार को जब कांग्रेस ने कर्नाटक का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था, उस वक्त पार्टी अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही थी. प्रदेश अध्यक्ष रहते शिवकुमार ने न सिर्फ पार्टी को खड़ा किया, बल्कि राज्य में पार्टी को पूर्ण बहुमत दिलाने में भी अहम भूमिका निभाई. शिवकुमार, कांग्रेस के वफादार हैं. वे 1989 से अब तक 8 बार विधायक बन चुके हैं. डीके वोक्कालिगा समुदाय के सबसे बड़े नेताओं में से एक माने जाते हैं. इस समुदाय का कर्नाटक में 50 सीटों पर प्रभाव माना जाता है.

– डीके गांधी परिवार के करीबी माने जाते हैं. राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी उन्हें पसंद करते हैं. जब शिवकुमार को ईडी ने गिरफ्तार किया था, तब सोनिया गांधी उनसे मिलने पहुंची थीं. डीके शिवकुमार को संकटमोचक भी कहा जाता है. जब कर्नाटक में ऑपरेशन लोटस हुआ था, तब उन्होंने कांग्रेस विधायकों को एकजुट रखने के लिए पूरी जान लगा दी थी. इतना ही नहीं जब कांग्रेस शासित अन्य राज्यों में भी संकट आया, तब तब शिवकुमार ने अहम भूमिका निभाई. उनकी देखरेख में ही कांग्रेस विधायकों को रिजॉर्ट में ठहराया गया.

– शिवकुमार सबसे अमीर विधायक हैं. उनके पास 1214 करोड़ रुपये की संपत्ति है. कांग्रेस नेतृत्व जानता है कि शिवकुमार पर दूसरे राज्यों में चुनाव लड़ने और आने वाले लोकसभा चुनावों के लिए धन जुटाने के लिए भरोसा किया जा सकता है.

– कांग्रेस ने इस चुनाव में सीएम का चेहरा घोषित नहीं किया था. ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष के नाते उन्होंने ही टिकट बंटवारे से लेकर चुनावी रणनीति बनाने तक अहम भूमिका निभाई. इसलिए जीत का सेहरा उनके सिर बंध रहा है.

वे फैक्टर जो डीके की राह में रोड़ा
– डीके के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले दर्ज हैं. वे जेल भी जा चुके हैं. उनके खिलाफ कई मामलों में जांच चल रही है. ऐसे में कांग्रेस अगर उन्हें सीएम बनाती है, तो बीजेपी इसे मुद्दा बना सकती है. क्योंकि कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के दौरान भ्रष्टाचार को लेकर बोम्मई सरकार पर जमकर हमला बोला है. डीके अभी एक भी बार सीएम नहीं बने हैं. हालांकि, वे मंत्री रहे हैं. ऐसे में उनके पास प्रशासनिक अनुभव नहीं है. इतना ही नहीं राज्य में उनकी लोकप्रियता सिद्धारमैया की तुलना में कम है.

सिद्धारमैया का का पलड़ा कहां भारी?
– कांग्रेस के कर्नाटक में सबसे बड़े नेताओं में से एक हैं. उन्हें सीएम पद का सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है. सिद्धारमैया ने अपने राजनीतिक जीवन में 12 चुनाव लड़े, इनमें से 9 में जीत हासिल की. सिद्धारमैया सीएम रहे हैं. वे इससे पहले 1994 में जनता दल सरकार में कर्नाटक के उप-मुख्यमंत्री थे. उनकी प्रशासनिक पकड़ मानी जाती है.

– सिद्धारमैया भी डीके की तरह गांधी परिवार के करीबी माने जाते हैं. सिद्धारमैया को 2008 में जेडीएस से कांग्रेस में लाने में मल्लिकार्जुन खड़गे की अहम भूमिका मानी जाती है. ऐसे में वे खड़गे के काफी करीबी बताए जाते हैं. सिद्धारमैया 2013 से 2018 तक कर्नाटक के सीएम रहे. इस दौरान उन्होंने टीपू सुल्तान को कर्नाटक में नायक के तौर पर स्थापित करने की कोशिश की. ऐसे में मुस्लिम समुदाय में उनकी अच्छी पैठ मानी जाती है.

– सिद्धारमैया कुरुबा समुदाय (ओबीसी) से आते हैं. कर्नाटक में तीसरा बड़ा समुदाय है. इतना ही नहीं सिद्धारमैया राज्य के सबसे बड़े ओबीसी नेता माने जाते हैं. शिवकुमार की तुलना में सिद्धारमैया को ज्यादा बड़ा जन नेता माना जाता है.

वे फैक्टर सिद्धारमैया की राह में रोड़ा
– 2018 में सिद्धारमैया के नेतृत्व में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था. इस बार पार्टी ने सिद्धारमैया के चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ा. वे शिवकुमार की तुलना में कम एक्टिव दिखे. सिद्धारमैया 76 साल के हैं. अगर पार्टी भविष्य की राजनीति को देखकर युवा नेतृत्व पर भरोसा जताती है, तो सीएम बनने में उनकी उम्र रोड़ा बन सकती है.

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