‘जल्लीकट्टू-कंबाला और बैलगाड़ी दौड़ कानूनन वैध’, सुप्रीम कोर्ट का आया फैसला

नई दिल्ली,

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने गुरुवार को जल्लीकट्टू, कंबाला और बैलगाड़ी दौड़ की इजाजत देने वाले कानूनों की संवैधानिकता पर तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र सरकार को बड़ी राहत दी. सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु संशोधन अधिनियम, महाराष्ट्र अधिनियम, कर्नाटक अधिनियम पर कहा कि राज्य के तीनों अधिनियम वैध हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा जल्लीकट्टू, बैलगाड़ी दौड़ कानून वैध हैं. राज्यों को कानून के तहत पशुओं की सुरक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश है.

मालूम हो कि कोर्ट ने पिछले साल 8 दिसंबर को एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया बनाम भारत संघ और अन्य डब्ल्यू पी ( सी) नंबर 23/2016 और इससे जुड़े मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था. एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया बनाम ए नागराजा और अन्य के नाम से दाखिल याचिकाओं में भारत सरकार की 7 जनवरी 2016 को जारी अधिसूचना को रद्द और निरस्त करने की मांग की गई है.

जानकारी के मुताबिक यह मामला लंबित था, लेकिन इसी दौरान तमिलनाडु में पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम (संशोधन) अधिनियम, 2017 पारित किया गया. बाद में इस अधिनियम को रद्द करने की मांग करने के लिए रिट याचिकाओं को दाखिल किया गया था.

सुप्रीम कोर्ट ने तब इस मामले को संविधान पीठ को सौंपते हुए पूछा था कि क्या तमिलनाडु संविधान के अनुच्छेद 29(1) के तहत अपने सांस्कृतिक अधिकार के रूप में जलीकट्टू का संरक्षण कर सकता है, जो नागरिकों के सांस्कृतिक अधिकारों की सुरक्षा की गारंटी देता है.

तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस रोहिंटन नरीमन की पीठ ने महसूस किया था कि जलीकट्टू के इर्द-गिर्द घूमती रिट याचिका में संविधान की व्याख्या से संबंधित पर्याप्त प्रश्न शामिल हैं. इसके बाद रिट याचिकाओं में उठाए गए सवालों के अलावा इस मामले में पांच सवालों के जवाब तय करने के लिए संविधान पीठ के पास भेजने की सिफारिश कर दी थी.

दिसंबर में जजों ने ये की थी टिप्पणी
जस्टिस अजय रस्तोगी ने कहा था- क्या हम इन रिपोर्टों/तस्वीरों के आधार पर कोई धारणा बना सकते हैं? छिटपुट घटनाएं हो सकती हैं, लेकिन हम संविधान के संदर्भ में अधिनियम का परीक्षण कर रहे हैं. तस्वीरों के आधार पर कोई राय एक खतरनाक स्थिति होगी. हम उनके आधार पर एक खोज रिकॉर्ड नहीं कर सकते.”

जस्टिस हृषिकेश रॉय ने कहा था- खूनी खेल से क्या मतलब है. इसे खूनी खेल क्यों कहा जा रहा है? कोई भी हथियार का इस्तेमाल नहीं कर रहा है. खूनी खेल की अवधारणा के बारे में आपकी समझ क्या है? यहां लोग नंगे हाथ हैं. क्रूरता हो सकती है. हमें परिभाषाएं मत दिखाइए. हमें बताइए कैसे? इस खेल में मौत होती है, इसका मतलब यह नहीं है कि यह खूनी खेल है. मुझे अभी तक अपना जवाब नहीं मिला है. वहां के लोग जानवर को मारने नहीं जा रहे हैं. खून एक आकस्मिक चीज हो सकती है.”

जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा था, “पर्वतारोहण भी खतरनाक है, तो क्या हम इसे रोक दें? अगर हम इन नियमों का पालन कर रहे हैं, तो आप ऐसा क्या रखना चाहेंगे जिससे स्थिति में सुधार हो. क्या आप हमें एक न्यायशास्त्रीय अर्थ में जानवर के निहित अधिकारों पर स्थिति बता सकते हैं?”

 

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