बाबा बागेश्वर के बिहार दौरे पर टूटे कई रिकॉर्ड, 18 लाख से ज्यादा लगी अर्जियां, भावुक हुए धीरेंद्र शास्त्री

पटना,

बिहार में शनिवार 13 मई से 17 मई तक धीरेंद्र शास्त्री उर्फ बागेश्वर बाबा का दरबार चला. अपनी पांच दिनों की बिहार यात्रा के दौरान बाबा बागेश्वर और उनके भक्तों ने कई नए कीर्तिमान बनाए हैं. बागेश्वर सरकार के दरबार में अर्जी लगाने के सभी पुराने रिकॉर्ड टूट गए. पटना से लेकर नौबतपुर के तरेत पाली मठ तक सबकुछ बागेश्वर सरकार के रंग में रंग गया.

बता दें कि बाबा बागेश्वर का बिहार दौरे का जब ऐलान हुआ था, उसके बाद से सियासत शुरू हो गई थी. आरजेडी ने बागेश्वर बाबा का विरोध किया था. मंत्री तेज प्रताप यादव ने बागेश्वर सरकार के कार्यक्रम का विरोध करते हुए कहा था कि उनको एयरपोर्ट से बाहर नहीं निकलने देंगे.

मगर, बागेश्वर बाबा पटना के जिस इलाके में भी गए, भक्तों की भारी भीड़ उमड़ गई थी. वहीं, बाबा बागेश्वर ने नौबतपुर स्थिति तरेत पाली मठ में पांच दिनों तक हनुमंत कथा सुनाई. इस दौरान 15 मई को बागेश्वर सरकार की तरफ से दिव्य दरबार का भी आयोजन किया गया.

तरेत पाली मठ में हनुमंत कथा के दूसरे दिन ऐसी भीड़ उमड़ी कि बागेश्वर सरकार को दिव्य दरबार स्थगित करने का ऐलान करना पड़ा. हालांकि, भक्तों की मांग पर 15 मई को दिव्य दरबार का आयोजन किया गया.एक आंकड़े के मुताबिक, 13 से 17 मई तक हनुमंत कथा के दौरान भक्तों की संख्या 30 लाख के पार हो गई थी. बाबा बागेश्वर के सामने अर्जी लगाने के मामले में भी बिहार ने सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए. माना जा रहा है कि बिहार के लोगों ने तकरीबन 18 लाख अर्जियां लगाईं.

दुकानदारों ने 5 करोड़ रुपये से ज्यादा का किया कारोबार
बाबा बागेश्वर के सामने अर्जी लगाने की जो प्रक्रिया है, उसमें नारियल को लाल कपड़े में बांधकर कथा वाले स्थान पर रखा जाता है. लिहाजा, तरेत पाली मठ के प्रसाद और नारियल की बिक्री करने वाले दुकानदारों ने सिर्फ इन दोनों चीजों की बिक्री से ही 5 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार किया.

पांचवें दिन बागेश्वर सरकार हुए बेहद भावुक
इसी बीच बाबा बागेश्वर जब पटना के महावीर मंदिर पहुंचे, तब भी लोगों का जनसैलाब उमड़ा. आखिरकार जब पांचवें दिन की हनुमंत कथा खत्म हुई, तो बागेश्वर सरकार भी बेहद भावुक नजर आए. जाते-जाते बागेश्वर सरकार ने ऐलान कर दिया कि वह फिर से नौबतपुर आएंगे.साथ ही बाबा बागेश्वर ने भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का संकल्प लोगों को दिलाया. इसके अलावा पांच करोड़ बिहारियों के माथे पर तिलक और घरों के आगे धर्म ध्वज लगाने का काम भी उन्होंने सौंप है.

 

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