कभी 12 मंत्री अचानक हटे तो कभी मंत्रालय बदला…. मोदी सरकार ने कब-कब चौंकाया?

नई दिल्ली,

मोदी कैबिनेट में गुरुवार को बड़ा फेरबदल हुआ. न्यायपालिका के खिलाफ बयान देकर चर्चा में रहे किरेन रिजिजू से कानून और न्याय मंत्रालय छिन गया है. उनकी जगह अब अर्जुन राम मेघवाल को कानून और न्याय मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया है.राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि किरेन रिजिजू को भू-विज्ञान मंत्रालय सौंपा गया है. वहीं, अर्जुन राम मेघवाल को उनके मौजूदा पोर्टफोलियो के अलावा कानून और न्याय मंत्रालय भी दे दिया गया है. इतना ही नहीं, रिजिजू के डिप्टी यानी कानून मंत्रालय में राज्य मंत्री रहे एसपी बघेल को भी स्वास्थ्य मंत्रालय भेज दिया गया है.

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में किरेन रिजिजू गृह राज्य मंत्री बनाया गया था. दूसरे कार्यकाल में पहले उन्हें खेल मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया था. बाद में जुलाई 2021 में जब कैबिनेट विस्तार हुआ तो उन्हें कानून और न्याय मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.

कानून मंत्रालय से हटाए जाने के बाद क्या बोले किरेन रिजिजू?
किरेन रिजिजू के मंत्री पद से अचानक हटने ने चौंकाया जरूर, लेकिन मोदी सरकार में ये नया नहीं है. दो साल पहले रविशंकर प्रसाद से न सिर्फ कानून मंत्रालय छिना था, बल्कि कैबिनेट से भी छुट्टी हो गई थी. इसी तरह प्रकाश जावड़ेकर को भी कैबिनेट से बाहर कर दिया गया था. स्मृति ईरानी से भी पहले मानव संसाधन विकास और फिर सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय वापस लिया गया था.

जब अचानक हटे थे 12 मंत्री
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के 2021 में जब दो साल पूरे हुए तो कैबिनेट में बड़े फेरबदल की चर्चा शुरू हो गई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी मंत्रालयों और मंत्रियों की समीक्षा करना शुरू कर दी. फिर जुलाई 2021 में कैबिनेट विस्तार की अटकलें शुरू हो गई. ये अटकलें को और बल तब मिला जब चार राज्यों के राज्यपाल बदल दिए गए और चार नए राज्यपाल बनाए गए. आखिरकार 7 जुलाई 2021 को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला कैबिनेट विस्तार हुआ.नए मंत्रियों के शपथ लेने से पहले ही पुराने मंत्रियों के इस्तीफे आने शुरू हो गए. चंद घंटों में ही मोदी कैबिनेट के 12 मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया.

किन-किन से छिना था मंत्री पद?
1. डॉ. हर्षवर्धनः स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ-साथ विज्ञान और तकनीकी, भू-विज्ञान मंत्रालय का जिम्मा था.
2. रमेश पोखरियाल निशंकः शिक्षा मंत्री का जिम्मा था.
3. रविशंकर प्रसादः कानून और न्याय मंत्री, संचार मंत्री और इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री थे.
4. प्रकाश जावड़ेकरः पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री, सूचना और प्रसारण मंत्री, भारी उद्योग और लोक उद्यम मंत्री थे.
5. संतोष गंगवारः श्रम और रोजगार मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे.
6. बाबुल सुप्रियोः पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे.
7. थावरचंद गहलोतः सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय का जिम्मा था.
8. देबोश्री चौधरीः महिला और बाल विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री थीं.
9. सदानंद गौड़ाः रसायन और उर्वरक मंत्री का पद था.
10. संजय धोत्रेः शिक्षा मंत्रालय, संचार मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिकी-सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में राज्य मंत्री थे.
11. प्रताप सारंगीः सूक्ष्म, लघु, मध्यम और उद्यम मंत्रालय में राज्य मंत्री के साथ-साथ मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय में राज्य मंत्री थे.
12. रतन लाल कटारियाः जल शक्ति मंत्रालय और सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय में राज्य मंत्री थे.

क्यों हटाया गया था इन्हें?
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का ये पहला मंत्रिमंडल विस्तार था. इसमें कुल 43 मंत्री शामिल किए गए थे, जिनमें से 15 को कैबिनेट मंत्री बनाया गया था.इस कैबिनेट विस्तार की तैयारी महीनों से शुरू हो गई थी. बताया जाता है कि जून 2021 से प्रधानमंत्री ने सभी मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा शुरू कर दी थी. उसी समय तय हो गया था कि किसे-किसे हटाना है. कोरोना महामारी के समय डॉ. हर्षवर्धन स्वास्थ्य मंत्री थे. लेकिन विपक्ष का आरोप था कि सरकार महामारी का प्रबंधन करने में नाकाम रही है. दूसरी लहर में तो हालात और भी ज्यादा बिगड़ गए थे, जिसने सरकार को बैकफुट पर ला दिया था. हर्षवर्धन के इस्तीफे की वजह यही मानी गई थी.

इसी तरह रमेश पोखरियाल निशंक के मंत्री रहते ही नई शिक्षा नीति बनी थी. हालांकि, लागू करने में कई दिक्कतें आईं. वहीं, रविशंकर प्रसाद के इस्तीफे की वजह ट्विटर विवाद को माना जाता है. दरअसल, 2021 में सरकार ने नए आईटी रूल्स जारी किए थे और ट्विटर इसे मानने को तैयार नहीं था. तब रविशंकर प्रसाद जिद पर अड़ गए थे कि भारत में काम करना है तो नियम मानना पड़ेगा.

बतौर पर्यावरण मंत्री रहते हुए प्रकाश जावड़ेकर ने भी कुछ खास काम नहीं किया था. संतोष गंगवार के इस्तीफे की वजह भी कोविड को माना जाता है. कोविड के समय प्रवासी संकट खड़ा हो गया. प्रवासी मजदूरों ने पलायन शुरू कर दिया. उस समय संतोष गंगवार श्रम मंत्री थे, इसलिए इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ गया.

स्मृति ईरानी और सुरेश प्रभु से छिने थे मंत्रालय
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में स्मृति ईरानी को मानव संसाधन विकास मंत्री और सुरेश प्रभु को रेल मंत्री बनाया गया था. जुलाई 2016 में स्मृति ईरानी से मानव संसाधन विकास मंत्रालय छिन गया और उसकी जगह कपड़ा मंत्रालय दिया गया. उनके पास सूचना प्रसारण मंत्रालय भी था. 2018 में उनसे सूचना प्रसारण मंत्रालय भी छीन लिया गया.

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में स्मृति ईरानी को महिला और बाल विकास मंत्री बनाया गया. लेकिन जुलाई 2021 में कैबिनेट विस्तार के बाद ईरानी से कपड़ा मंत्रालय छीन लिया गया. इस समय स्मृति ईरानी महिला और बाल विकास मंत्री होने के साथ-साथ अल्पसंख्यक मामलों की भी मंत्री हैं.इसी तरह 2017 में जब देश में रेल हादसे बढ़ने लगे थे, तो सुरेश प्रभु को रेल मंत्री के पद से हटा दिया गया था. उनकी जगह पीयूष गोयल को रेल मंत्री का पद सौंपा गया था.

जब नकवी और आरसीपी सिंह ने दिया इस्तीफा
पिछले साल 6 जुलाई को मुख्तार अब्बास नकवी और आरसीपी सिंह ने मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था. नकवी जहां अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को संभाल रहे थे तो वहीं आरसीपी सिंह के पास स्टील मंत्रालय था. हालांकि, दोनों ने इस्तीफा इसलिए दिया था, क्योंकि उनका राज्यसभा का कार्यकाल खत्म हो गया था. दोनों किसी सदन के सदस्य नहीं थे, इसलिए उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था. हालांकि, बिना सांसद रहे भी छह महीने तक मंत्री पद पर बने रह सकते हैं.इनके इस्तीफे के बाद मुख्तार अब्बास नकवी का मंत्रालय स्मृति ईरानी और आरसीपी सिंह का मंत्रालय ज्योतिरादित्य सिंधिया को सौंप दिया गया था.

मोदी सरकार में कब-कब हुआ कैबिनेट में फेरबदल?
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में तीन बार कैबिनेट विस्तार हुआ था. मई 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नवंबर 2014 में कैबिनेट विस्तार हुआ था. पीएम मोदी के पहले कार्यकाल में दूसरा कैबिनेट विस्तार 2016 और फिर तीसरा विस्तार 2017 में हुआ था. दूसरे कार्यकाल का पहला कैबिनेट विस्तार 7 जुलाई 2017 को हुआ था. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में अब तक छह बार मंत्रियों के विभागों को बदला जा चुका है.

कैबिनेट में कितने मंत्री हो सकते हैं?
संविधान के तहत, केंद्रीय कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या कुल लोकसभा सदस्यों की संख्या का 15% तक हो सकती है. लोकसभा के कुल सदस्यों की संख्या 545 होती है तो इस हिसाब से कैबिनेट में 81 मंत्री हो सकते हैं.केंद्रीय कैबिनेट में तीन प्रकार- कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) होते हैं. मौजूदा समय में प्रधानमंत्री के अलावा 28 कैबिनेट मंत्री, 45 राज्य मंत्री और 2 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं.

 

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