जब CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने पढ़ी पाकिस्तानी शायर की पंक्तियां, तालियों से गूंज उठा सभागार

नई दिल्ली

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने जस्टिस एमआर शाह के विदाई समारोह में पाकिस्तानी कवि ओबैदुल्ला अलीम की पंक्तियां पढ़ी।
“आंख से दूर सही दिल से कहां जाएगा, जाने वाले तू हमें याद बहुत आएगा…” हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने अपने एक ‘दोस्त’ को विदाई देते हुए पाकिस्तान के शायर उबैदुल्लाह अलीम का यह शेर पढ़ा। इसी शेर से उन्होंने अपना भाषण खत्म किया और सभागार में कुछ देर तक तालियां गूंजती रहीं।

दरअसल, बीते 15 मई, 2023 को सुप्रीम कोर्ट के चौथे सबसे वरिष्ठ जज एमआर शाह रिटायर हो गए। जस्टिस एमआर शाह के विदाई समारोह में CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने उन्हें अपना दोस्त बताया और जमकर तारीफ की।

कौन थे उबैदुल्लाह अलीम?
उबैदुल्लाह अलीम का जन्म 12 जून, 1939 को मध्य प्रदेश के भोपाल में हुआ था। उनका इंतकाल 18 मई, 1998 को कराची में हुआ। दरअसल, विभाजन के बाद अलीम के पिता बाद सियालकोट चले गए। उन्होंने कराची विश्वविद्यालय से उर्दू में एमए किया और 1967 तक एक रेडियो और टेलीविजन में बतौर निर्माता काम शुरू किया।

1974 में उनकी कविता की पहली पुस्तक ‘चांद चेहरा सितारा आंखें’ प्रकाशित हुई। बाद में वह कराची स्थित पाकिस्तान टेलीविजन कॉर्पोरेशन में सीनियर प्रोड्यूसर बने। 1978 में उनके खिलाफ एक फरमान जारी हुआ, जिसके बाद उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ा।

उनकी कविता की किताब को पाकिस्तान में साहित्य में सर्वोच्च पुरस्कार ‘अदमजी साहित्य पुरस्कार’ मिला। उन्होंने 1982 में खलीफतुल मसीह III की स्मृति में खुर्शीद मिसल शाख नामक एक लेख लिखा था। उनका दूसरा कविता संग्रह ‘वीरान सराय का दीया’ 1986 में प्रकाशित हुआ था। उबैदुल्लाह अलीम की मौत दिल का दौरा पड़ने के बाद हृदय गति रुकने से हुई थी।

CJI ने एमआर शाह को क्यों कहा टाइगर शाह?
विदाई समारोह के भाषण की शुरुआत में ही सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया कि वह एमआर शाह को ‘टाइगर शाह’ के नाम से बुलाते हैं। इंडिया टुडे से बात करते हुए, “जस्टिस एमआर शाह (सेवानिवृत्त) ने बताया कि सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने उन्हें ‘टाइगर शाह’ नाम तब दिया था, जब वह जब वे कुछ साल पहले रूस में एक सम्मेलन में शामिल हुए थे। वहीं CJI ने कहा था- कोई भी काम होगा, टाइगर को दूंगा और वो उस काम को कर देगा।” एमआर शाह शेरों की भूमि से ताल्लुक रखते हैं लेकिन सीजेआई चंद्रचूड़ ने उन्हें यह नाम उनके प्रति अपने प्यार और सम्मान जताने के लिए दिया था।

शाह के मेहनती स्वभाव की सराहना करते हुए सीजेआई ने कहा, “जस्टिस शाह हमेशा चुनौती के लिए तैयार रहते हैं और कोविड के समय में भी मैंने पाया कि जब हम अपने-अपने घरों में बैठे थे और गंभीर मामलों की सुनवाई कर रहे थे, तब वह हमेशा चुनौती के लिए तैयार रहते थे।”

शाह को याद आई ‘मेरा नाम जोकर’ की पंक्तियां
जस्टिस शाह ने कहा, “मैंने अपनी पारी बहुत अच्छी खेली है। मैंने हमेशा अपने विवेक से काम किया है। मैंने हमेशा ईश्वर और कर्म में विश्वास किया है। मैंने कभी किसी चीज की अपेक्षा नहीं की… मैंने हमेशा गीता का पालन किया।’ उन्होंने फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ की कुछ पंक्तियों को याद करते हुए कहा- “कल खेल में हम हो ना हो, गर्दिश में तारे रहेंगे सदा।”

रो पड़े एमआर शाह
विदाई समारोह में पुराने दिनों को याद करते हुए एमआर शाह भावुक हो गए। उन्होंने कहा, “मुझे क्षमा करें यदि मैं भावुक हो जाता हूं और रोना शुरू कर देता हूं। मैं नारियल की तरह हूं। आप सभी ने मुझे परिवार के सदस्य के रूप में स्वीकार किया है और मुझे पूरा समर्थन दिया है। CJI ने मुझे एक भाई के रूप में प्रोत्साहित किया है और मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है।”

 

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