नई दिल्ली
सरकार ने जब आठ नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा की थी तो उससे ट्रेडर्स और आम लोगों में अफरातफरी फैल गई थी। लेकिन इस बार 2000 रुपये का नोट वापस लेने की घोषणा से मिलाजुला रिएक्शन देखने को मिल रहा है। बड़े ट्रेडर्स परेशान हैं क्योंकि उनके पास ज्यादातर 2000 रुपये के ही नोट हैं। लेकिन छोटे कारोबारी और रिटेलर खुश हैं। उन्हें लग रहा है कि आरबीआई के इस फैसले से उनके बिजनस में बूम आ सकता है। छोटे कारोबारियों के संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) का कहना है कि 2000 रुपये का नोट वापस लेने के आरबीआई के फैसले से छोटे दुकानदारों और रिटेलर्स पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन उन लोगों पर जरूर असर होगा जिनके पास भारी मात्रा में कैश है।
बिजनस टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक रिटलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सीईओ कुमार राजगोपालन ने कहा कि 2016 की नोटबंदी के उलट ज्यादातर दुकानदार 2000 रुपये का नोट ले रहे हैं। इसकी वजह यह है कि आरबीआई ने साफ कहा है कि 2000 रुपये का नोट 30 सितंबर तक वैध रहेगा। इसलिए अगर कोई ग्राहक 2000 रुपये के नोट से खरीदारी कर रहा है तो दुकानदारों को उसे लेने में कोई दिक्कत नहीं है। कुछ मामलों में दुकानदार 2000 रुपये के नोट का छुट्टा देने से इन्कार कर रहे हैं। दिल्ली के खान मार्केट एसोसिएशन के प्रेजिडेंट संजीव मेहरा ने कहा कि जिन लोगों के पास 2000 रुपये का नोट है, वे इससे खरीदारी करेंगे। ऐसी स्थिति में बिजनस में कुछ बूम देखने को मिल सकता है।
नोटबंदी और नोट वापसी में फर्क
राजगोपालन ने कहा कि पिछले कुछ साल में कैश ट्रांजैक्शंस में कमी आई है लेकिन रिटेलर्स को टोटल टर्नओवर में 25 से 40 फीसदी हिस्सा कैश का है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपका बिजनस किस तरह का है। सीएआईटी का कहना है कि 2000 रुपये का नोट वापस लिए जाने से देश में डिजिटल एडॉप्शन बढ़ेगा। संगठन ने एक बयान में कहा कि यह लोगों को रोजमर्रा की खरीदारी में डिजिटल पेमेंट्स के लिए प्रोत्साहित करेगा। 2016 की नोटबंदी में 500 और 1000 रुपये के नोट रातोंरात इनवैलिड हो गए थे। लेकिन इस बार 2000 रुपये के नोट को इनवैलिड नहीं किया गया है।