केंद्र के अध्यादेश के बाद पलटा दिल्ली सरकार का ये फैसला, खुला सतर्कता अधिकारी के दफ्तर का ताला

नई दिल्ली,

दिल्ली में चुनी हुई सरकार और एलजी के बीच जारी जंग अभी थमने का नाम नहीं ले रही है. दिल्ली के ‘तख्त का असली बादशाह कौन’ वाली इस लड़ाई में अभी केंद्र सरकार के लाए गए अध्यादेश के कारण सुप्रीम कोर्ट का फैसला हाशिए पर चला गया है. वहीं अध्यादेश लाए जाने के बाद सोमवार को इस मामले में पहला आदेश जारी किया गया है. केंद्र सरकार 19 मई को एक अध्यादेश लेकर आई थी. इस अध्यादेश ने दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार फिर से उपराज्यपाल को दे दिया है.

अफसरों को 10 मई तक यथास्थिति बनाए रखने के आदेश
जानकारी के मुताबिक, अध्यादेश के बाद, विशेष सचिव (सतर्कता) वाई वीवीजे राजशेखर के कार्यालयों को डी-सील करने का आदेश जारी किया गया है. सौरभ भारद्वाज के आदेश से जिन अधिकारियों को काम दिया गया था, उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले 10 मई तक की यथास्थिति बनाए रखने को कहा गया है. डी-सीलिंग आदेश के तुरंत बाद वाई वीवी जे राजशेखर ने उन अधिकारियों को एक और आदेश जारी किया, जिन्हें मंत्री द्वारा पेजों सहित सभी फाइलों की सूची तैयार करने का काम दिया गया था. राजशेखर मुख्यमंत्री आवास के जीर्णोद्धार और शराब नीति समेत अन्य महत्वपूर्ण मामलों की जांच कर रहे थे.

सील कर दिया गया था सर्तकता अधिकारी राजशेखर का ऑफिस
बता दें कि, अभी हाल ही में दिल्ली सरकार ने राज्य के सतर्कता विभाग के विशेष सचिव वाईवीवीजे राजशेखर के कार्यालय को सील कर दिया था और अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार सहित कई आरोपों की जांच शुरू कर थी. बताया गया था कि अफसर पर जबरन वसूली और भ्रष्टाचार के कई आरोप थे. राजशेखर, हाल ही में दिल्ली सरकार बनाम एलजी विवाद के केंद्र में रहे थे. इसी बीच उन्होंने उनकी ड्यूटी से वंचित कर दिया गया था और सभी फाइलों को सौंपने का आदेश दिया गया था. वहीं राजशेखर ने आरोप लगाया था कि उनकी भूमिका से हटाए जाने के तुरंत बाद कुछ फाइलों को अज्ञात लोगों द्वारा कॉपी किया गया था.

11 मई सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के हक में दिया था फैसला
दरअसल, 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण और अधिकार से जुड़े मामले पर फैसला दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया था कि दिल्ली की नौकरशाही पर दिल्ली सरकार का नियंत्रण है और अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग पर भी उसी का अधिकार है.सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया है कि पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर को छोड़कर बाकी सभी दूसरे मसलों पर उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार की सलाह माननी होगी. हालांकि, इस फैसले के हफ्तेभर बाद ही केंद्र सरकार ने अध्यादेश के जरिए फिर से उपराज्यपाल को ही ‘बॉस’ बना दिया.

सीएम केजरीवाल अध्यादेश को बताया अवमानना
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘केंद्र का ये अध्यादेश असंवैधानिक और लोकतंत्र के खिलाफ है. हम इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. जैसे ही सुप्रीम कोर्ट बंद हुआ, उसके कुछ घंटे बाद ही फैसले को पलटने के लिए केंद्र सरकार ये अध्यादेश लेकर आ गई.’ सीएम केजरीवाल ने इस अध्यादेश को सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना बताया. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार उनके कामकाज में बाधा डालना चाहती है.

 

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