मुंबई
बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने एक आदेश में स्पष्ट किया है कि कस्टम विभाग के पास जब्त मवेशियों की बिक्री का अधिकार नहीं है। नियमानुसार जब्त मवेशियों को स्थानीय पुलिस स्टेशन को सौंपा जाना चाहिए। हाई कोर्ट ने यह बात ध्यान फाउंडेशन नामक संस्था की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद स्पष्ट की है। इससे पहले फाउंडेशन के वकील जेएस किनी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत जारी की गई एक एसओपी पेश की। इसमें साफ किया गया है कि कस्टम विभाग के पास जब्त किए गए मवेशियों की नीलामी और बिक्री का अधिकार नहीं है। इस पर न्यायमूर्ति गौरी गोडसे ने कहा कि प्रथम दृष्टया मौजूदा मामले में यह एसओपी लागू होती है। नियमानुसार जब्त मवेशियों को स्थानिय पुलिस स्टेशन को सौंपा जाना चाहिए, जिसे प्रिवेशन ऑफ क्रूएल्टी टू एनिमल के प्रावधानों के तहत प्राणियों को बेचने और जरूरी कदम उठाने का हक है।
भेड़-बकरियों की सेहत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश
पिछले दिनों कस्टम विभाग ने रत्नागिरी में अवैध तरीके से जहाज से दुबई ले जाई जा रही 3398 भेड़-बकरियां पकड़ी थीं। इनमें से 1379 की मौत हो चुकी है। दो हजार भेड़-बकरियां ही शेष बची हैं। न्यायमूर्ति ने अब राज्य के पशु संवर्धन विभाग को शेष बची भेड़-बकरियों की सेहत रिपोर्ट अगली सुनवाई के दौरान पेश करने का निर्देश दिया है। साथ ही उनकी ईयर टैंगिग की दिशा में कदम उठाने को कहा है।
मालिक को सौंपे गए पशु
जब्ती की कार्रवाई के बाद कस्टम विभाग ने पहले अपने पास भेड़-बकरियों को रखा था। बाद में इसे एक करारनामे के तहत पशुओं को उसके मूल मालिक को सौंप दिया था। फाउंडेशन का आरोप है कि कस्टम विभाग ने इस मामले में नियमों का पालन नहीं किया है, जबकि वह भेड़-बकरियों को अपने पास रखने का इच्छुक था। वर्तमान में शेष भेड़-बकरियों को अहमदनगर में उनके मूल मालिक के पास रखा गया है।