आरोपी नंबर-4 बने रहेंगे दिल्ली LG वीके सक्सेना, हाई कोर्ट के फैसले को समझिए

अहमदाबाद

2002 साबरमती आश्रम में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर पर हमले के मामले में आरोपी दिल्ली के एलजी वी के सक्सेना को अभी फौरी राहत मिली है। गुजरात हाई कोर्ट की वेकेशन बेंच ने वी के सक्सेना की खिलाफ अपराधिक मुकादमा चलाने पर फिलहात अंतरिम रोक लगाई है। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 19 जून की तारीख तय करते हुए इस मामले में पीड़ित मेधा पाटकर को नोटिस जारी किया है। वीके सक्सेना पिछले साल 26 मई को दिल्ली के उप राज्यपाल बने थे।

हाई कोर्ट से मिली फौरी राहत
न्यायमूर्ति एम के ठक्कर ने सक्सेना को अंतरिम राहत देते हुए निचली अदालत में उनके खिलाफ मामला लंबित रहने और उनकी याचिका का निस्तारण न होने तक कार्यवाही पर रोक लगा दी है। इस याचिका में सक्सेना ने दिल्ली के उपराज्यपाल पद पर बने रहने तक उनके खिलाफ मुकदमे की सुनवाई स्थगित करने की अपील खारिज करने के मेट्रोपोलिटन अदालत के आदेश को चुनौती दी है।

मेधा पाटकर को नोटिस
अदालत ने राज्य सरकार और शिकायकर्ता पाटकर को भी नोटिस जारी किया और मामले में अगली सुनवाई के लिए 19 जून की तारीख तय की। आठ मई को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पी सी गोस्वामी की अदालत ने 10 अप्रैल 2002 के मामले में सक्सेना के खिलाफ सुनवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। आरोप है कि सक्सेना और तीन अन्य आरोपियों ने गांधी आश्रम में आयोजित शांति बैठक के दौरान पाटकर पर कथित रूप से हमला किया था।

कोर्ट ने की गलत टिप्पणी
सक्सेना के वकील ने हाई कोर्ट को बताया कि मेट्रोपोलिटन अदालत ने गलत टिप्पणी की कि अगर उन्हें राहत दी जाती है, तो गवाहों के बयान नए सिरे से दर्ज करने पड़ेंगे और इससे मुकदमे में देरी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि मुकदमे की सुनवाई में शिकायतकर्ता की स्थगन अर्जियों के कारण 94 बार देरी हुई। हाई कोर्ट में दिल्ली के एलजी वी के सक्सेना की तरफ से जल ऊनवाला ने दलीलें रखीं।

‘सरकारी वकील रखें पक्ष’
मेधा पाटकर ने हाई कोर्ट के स्टे लगाने पर के फैसले पर नवभारत टाइम्स ऑनलाइन से बातचीत में कहा कि मैं इस मामले में शिकायतकर्ता हूं। इस केस को दाखिल गुजरात सरकार ने किया। मैं उम्मीद करती हूं कि गुजरात सरकार के वकील इस मामले में अपनी मजबूत भूमिका निभाएंगे। पाटकर ने कहा वह फैसले की कॉपी देखने के बाद अपने वकीलों से कानून मशविरा करके अदालत में जवाब रखेंगी।

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