सरकार थी तो मंत्री पद भोगा, संकट आया तो इमरान को छोड़ रहे नेता, अब शीरीन माजरी ने कह दिया- बाय

इस्लामाबाद

पाकिस्तान की पूर्व मानवाधिकार मंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की करीबी रहीं शिरीन मजारी ने पार्टी छोड़ने और सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की। हालिया हिंसा को लेकर गिरफ्तारी के बाद मंगलवार को उन्‍होंने यह ऐलान किया है। मजारी (72) को 12 मई के बाद से चार बार गिरफ्तार किया जा चुका है और रिहा होने के बाद उन्होंने यह घोषणा की। पुलिस ने 12 मई को उन्हें उनके आवास से पकड़कर जेल भेजा था। खान के शासन में वह 2018 से 2022 तक मानवाधिकार मंत्री रही थीं। मीडिया कॉन्‍फ्रेंस में उन्होंने नौ मई को खान की गिरफ्तारी के बाद हुई हिंसा की निंदा की और कहा कि उन्होंने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में ऐसा ही हलफनामा दिया है।

सेना पर हमले की निंदा
उन्होंने कहा, ‘न सिर्फ नौ और 10 मई की हिंसा बल्कि मैंने हमेशा हर तरह की हिंसा खासकर सरकारी प्रतिष्ठानों और जनरल मुख्यालय, उच्चतम न्यायालय एवं संसद जैसे प्रतीकों के खिलाफ हिंसा की निंदा की है।’ उन्होंने इसके बाद खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी को छोड़ने के साथ सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की। उन्‍होंने कहा कि गिरफ्तारी का उनके स्वास्थ्य और परिवार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा, ‘आज से मैं पीटीआई का हिस्सा नहीं हूं, न ही सक्रिय राजनीति में शामिल हूं क्योंकि मेरे लिए प्राथमिकता मेरा परिवार, मेरी माता और बच्चे हैं।’ कानूनी प्रक्रियाओं का सामना कर रहे कई पीटीआई नेता पार्टी छोड़ चुके हैं।

इमरान के लिए झटका
खान से अलग होने के मजारी के फैसले को पार्टी के लिए बड़ा राजनीतिक नुकसान माना जा रहा है। माजरी के पार्टी छोड़ने के फैसले को कई विशेषज्ञ इमरान और उनकी पार्टी के लिए बड़ा झटका करार दे रहे हैं। माइकल कुगलमन जो विल्‍सन सेंटर में दक्षिण एशिया संस्थान के निदेशक हैं उनका कहना है कि मजारी का पीटीआई से इस्तीफा पार्टी के लिए बड़ा झटका है। पार्टी के अन्य नेताओं ने हाल के दिनों में दबाव में इस्तीफा दिया है, लेकिन माजरी जैसा सीनियर और हर जगह नजर आने वाला नेता कोई और नहीं है। कुगलमन की मानें तो सत्ता से लेकर सेना तक हर स्तर पर पार्टी पर शिकंजा कसा जा रहा है।

कुरैशी बोले पार्टी के साथ रहूंगा
दूसरी ओर इमरान की सरकार में वित्‍त मंत्री रहे शाह महमूद कुरैशी ने पार्टी छोड़ने की अटकलों पर विराम लगा दिया है। कुरैशी जो पीटीआई के डिप्‍टी चेयरमैन हैं, उन्‍हें रिहाई के तुरंत ही बाद अडियाला जेल के बाहर फिर से गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्‍होंने गिरफ्तार होने से पहले कहा, ‘मैं पार्टी के साथ हूं और हमेशा पार्टी के साथ रहूंगा।’ दूसरी ओर पीटीआई का दावा है कि उसके नेता मुसर्रत चीमा को उनकी रिहाई के कुछ ही घंटों बाद फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। पार्टी ने इसे सरकार के ‘फासीवाद’ का एक उदाहरण करार दिया है। पार्टी का कहना है कि इस परंपरा को तुरंत बंद किया जाना चाहिए और अदालत के फैसलों का सम्मान होना चाहिए।

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