जिस हेट स्पीच केस में आजम खान की गई थी विधायकी… उसमें हो गए बरी

रामपुर,

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मंत्री आजम खान के लिए आज राहत भरी खबर आई. हेट स्पीच मामले में आजम खान को कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया गया है. जिस हेट स्पीच मामले में आजम खान को 3 साल की सजा हुई थी और विधायकी भी गई थी, उसी केस में रामपुर कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए आजम खान को बरी कर दिया है.

आजम खान के वकील विनोद शर्मा ने बताया, ‘यह 185/2019 क्राइम नंबर का मुकदमा था, जिसकी हमने अपील फाइल की थी, हमें लोअर कोर्ट से सजा मिली थी, आज अपील में सेशन कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत का जजमेंट गलत था और हेट स्पीच के मामले में बाइज्जत बरी कर दिया है… हमें खुशी है कि हमें इंसाफ मिल गया है.’

आजम खान के वकील विनोद शर्मा ने बताया, ‘आज न्यायालय ने हमें दोषमुक्त किया है, जो प्रॉसीक्यूशन यानी अभियोजन था, वह अपना केस साबित नहीं कर पाया… हमें झूठा फंसाया गया… हमने अपील की थी कि हमें झूठा फंसाया गया है… हमारी बात मानी गई…. यह अपील हमारे फेवर में गई है… अब दोषमुक्त कर दिया है.’

क्या है पूरा मामला
हेट स्पीच से जुड़ा यह मामला 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान का है. कथित रूप से आजम खान ने रामपुर की मिलक विधानसभा में एक चुनावी भाषण के दौरान आपत्तिजनक और भड़काऊ टिप्पणियां की थी. इसकी शिकायत बीजेपी नेता और रामपुर सीट से मौजूदा विधायक आकाश सक्सेना ने की थी. इसी मामले में रामपुर कोर्ट ने आजम को दोषी ठहराया था.

पिछले साल 27 अक्टूबर को एमपी-एमएलए कोर्ट ने आजम खान को तीन साल की सजा सुनाई थी. इस सजा के आधार पर आजम खान की सदस्यता रद्द कर दी गई थी. कोर्ट के फैसले से पहले आजम खान ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन लोअर कोर्ट का फैसला आने के कारण आजम खान की याचिका को औचित्यहीन बताते हुए खारिज कर दिया गया था.

हालांकि, तीन साल की सजा सुनाने के बाद आजम खान को जमानत मिल गई थी, लेकिन उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म कर दी गई थी. इसके बाद रामपुर सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें आकाश सक्सेना ने बतौर बीजेपी प्रत्याशी जीत हासिल की. आकाश सक्सेना ने ही आजम के खिलाफ हेट स्पीच का मुकदमा दर्ज कराया था.

फैसला आने के बाद बीजेपी का रिएक्शन
फैसला आने के बाद बीजेपी प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा कि आजम खान को तीन साल की सजा सुनाए जाने के तुरंत बाद उनकी विधायकी चली गई थी, कानून और संविधान की सभी को हक देता है कि वह अपने हक के लिए ऊपरी अदालत में अपील कर सकता है, कानून के मुताबिक सजा मुकर्रर होते ही तुरंत सदस्यता खत्म की जाएगी, सपा को चाहिए कि की वो पहले कानून को पढ़े उसके बाद अपनी मांग रखे.

 

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