सम्राट चौधरी के सियासी चक्रव्यूह में ‘फंस’ गई जेडीयू, ‘हिट मी’… और निशाने पर लगा तीर!

पटना

और तीर निशान पर लगा। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी आपने आक्रामक बयान का को प्रतिफल चाहते, वह मिल गया। दरअसल, सम्राट चौधरी की रणनीति का ही एक हिस्सा था कि वे महागठबंधन की तरफ से समस्त विरोध का केंद्र बन जाएं। हर दल के शीर्ष नेता और प्रवक्ताओं के गुस्से का शिकार बने। ऐसा इसलिए भी कि सम्राट चौधरी को महागठबंधन के नेताओं के लिए ‘हिट मी’ बनना उनकी राजनीतिक करियर को उठान देगा और भाजपा के भीतर स्वीकार्यता का ग्राफ भी बढ़ेगी। फिलहाल सम्राट चौधरी के लक्ष्य के मोहरा बने हैं पूर्व सूचना मंत्री नीरज कुमार। इन्हें सम्राट चौधरी के बयान काफी तीखे लगे और फिर खुली चुनौती भी दी डाली।

पूर्व मंत्री का खुलमखुला चुनौती?
जनता दल यूनाइटेड के पूर्व सूचना मंत्री और प्रवक्ता नीरज कुमार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के एक बयान से इतने नाराज हुए कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को ही खड़का डाला। वह भी साफ शब्दों में चुनौती दे डाली और उन्हें ललकारते हुए कहा कि संभाल लीजिए अपने प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी को। वे लगातार अनर्गल बयान दे रहे हैं। हम आपसे स्पष्ट रूप से कहना चाहते हैं कि उनपर लगाम लगाएं अन्यथा आपके शीर्ष नेताओं के जहरीले और विषैले बयान की रेला लगा दी जाएगी। दरअसल, जदयू एमएलसी नीरज कुमार भाजपा के सम्राट चौधरी के उस बयान से नाराज थे जिसमे मुख्यमंत्री के मेमोरी लॉस की बात कहते हुए उनकी तुलना गजनी से की थी। और प्रधान सचिव को प्रधानमंत्री का प्रधान सचिव बता कर खुद को प्रधानमंत्री बना डाला वाले बयान पर थी।

बिहार चुनावी रंग में रंगा
अभी लोकसभा या विधानसभा चुनाव में काफी वक्त है मगर बिहार की राजनीतिक भूमि राजनीतिक ऊष्मा से काफी तप रही है। जिसको देखे वो प्रतिद्वंदियों पर मानो गोले बरसा रहे हों। इस बयानबाजी में राजनीतिक शुचिता,लोकतंत्र की मर्यादा का हनन तो आम बात हो गई है। इस बयानबाजी में किसका अपराध कम है या ज्यादा, यह निर्णय करना भी मुश्किल हो गया है। जनता दल यू ने तो संवैधानिक संस्थाओं को भी मुद्दा बना कर राजनीति में विरोध के नए चरित्र को सामने रखा। नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का विरोध करते खुद को जदयू ने अलग कर रखा। हालंकि जदयू का यह कदम भी विपक्षी एकता की मुहिम को बढ़ावा देने की ही पहल थी। परंतु इस मुद्दे पर कई दलों ने अपने को इस मुहिम से अलग रखा।

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल (बीजद) नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल होगी। इसके साथ ही अकाली दल, जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर और बसपा ने भी समारोह में हिस्सा लेने का फैसला करने से जदयू की मुहिम को झटका लगेगा। अब बसपा का उद्घाटन समारोह जाने का फैसले से आगे भी मायावती का नीतीश कुमार की पहल में शामिल होने का कोई इरादा नहीं दिखता है।

बयानों के विरोध में भाजपा भी कम नहीं
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के अलावा भी बयान से विरोध की राजनीति को जागृत करते रहते हैं। इनमे से एक नाम सुशील मोदी का भी आता है। विपक्ष की राजनीति में सशक्त विरोध के कारण सुशील मोदी जाने जाते हैं। इनके हमले का कोण लालू प्रसाद एवम उनका परिवार बनता रहा है। रेलवे होटल टेंडर का मामला हो या जमीन के बदले नौकरी का मामला, इसको उजागर सुशील मोदी ने दस्तावेज के साथ किया था। एक समय पार्टी से अलग-थलग मोदी ने विरोध के इसी आक्रामक तेवर से राजनीति चमकाते रहे। भाजपा नेता सुशील मोदी के तर्ज पर भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने भी आक्रामक बयानबाजी को अपना हथियार बना डाला। प्रथमतयः तो यह सफल होते दिखता है। फिर भी सीएम की मंजिल इतना आसान तो नहीं पर हिम्मत मर्दा, मददे खुदा।

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