‘सारे जहां से अच्छा…’ लिखने वाले मोहम्मद इकबाल DU सिलेबस से होंगे आउट!

नई दिल्ली,

दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद ने कुछ सदस्यों की असहमति के बावजूद चार साल के एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम को लागू करने जैसे कुछ विवादास्पद प्रस्तावों सहित कई अन्य प्रस्तावों को भी मंजूरी दे दी है. अधिकारियों ने बताया कि परिषद ने बीए राजनीति विज्ञान पाठ्यक्रम से पाकिस्तान के राष्ट्र कवि मोहम्मद इकबाल पर लिखे गए एक अध्याय को खत्म करने सहित कई पाठ्यक्रमों में बदलाव के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है जिस पर कार्यकारी परिषद अंतिम फैसला लेगी.

शुक्रवार से शुरू हुई बैठक शनिवार दोपहर 1:30 बजे तक चली. परिषद ने चार साल के एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम के साथ बैचलर ऑफ एलीमेंट्री एजुकेशन (B.El.Ed.) कार्यक्रम को बदलने के एक प्रस्ताव को मंजूरी दी. अकादमिक परिषद के छह सदस्यों ने प्रस्ताव के खिलाफ असहमति जताते हुए कहा कि इस संबंध में शिक्षकों से कोई परामर्श नहीं किया गया.

इकबाल होंगे सिलेबस से आउट!
परिषद ने राजनीतिक विज्ञान पाठ्यक्रम से पाकिस्तान के राष्ट्रीय कवि मोहम्मद इकबाल पर एक अध्याय को हटाने का भी प्रस्ताव भी पारित किया. अविभाजित भारत के सियालकोट में 1877 में जन्मे इकबाल ने प्रसिद्ध गीत ‘सारे जहां से अच्छा’ लिखा था. उन्हें अक्सर पाकिस्तान का विचार देने का श्रेय दिया जाता है. अधिकारियों ने कहा कि ‘आधुनिक भारतीय राजनीतिक विचार’ नाम का अध्याय बीए के छठे सेमेस्टर के पाठ्यक्रम का हिस्सा है. यह मामला अब विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा जो अंतिम फैसला लेगी.

अकादमिक परिषद के एक सदस्य ने कहा, ‘राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम में बदलाव के संबंध में एक प्रस्ताव लाया गया था. प्रस्ताव के अनुसार, इकबाल पर एक अध्याय था, जिसे पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है.’ इस बीच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने इस घटनाक्रम का स्वागत किया है.

कुछ सदस्यों ने किया विरोध
अकादमिक परिषद की सदस्य माया जॉन ने बताया, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सदस्यों की असहमति के बावजूद एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम (आईटीईपी) पारित किया गया. हम हितधारकों के हितों की रक्षा के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.’ माया जॉन उन सदस्यों के समूह का हिस्सा थीं, जिन्होंने प्रस्ताव के खिलाफ असहमति जताई थी. आईटीईपी अब B.El.Ed. कार्यक्रम की जगह लेगा, जिसे 1994 में पेश किया गया था. दिल्ली विश्वविद्यालय एकमात्र विश्वविद्यालय था जिसका अपना एकीकृत चार वर्षीय कार्यक्रम था.

असहमति जताने वाले सदस्यों ने तर्क दिया है कि ITEP पर NCTE की अधिसूचना को सीधे अकादमिक परिषद में लाने के दौरान पाठ्यक्रम समिति और शिक्षा संकाय को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया. अकादमिक परिषद के सदस्यों के एक वर्ग ने भी इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि व्याख्यान, ट्यूटोरियल और प्रैक्टिकल के समूह आकार में वृद्धि शिक्षण तथा शिक्षण प्रक्रिया को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने वाली है.

ये प्रस्ताव भी पारित
परिषद ने दो नए केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव भी पारित किया – एक विभाजन अध्ययन से संबंधित और दूसरा जनजातीय अध्ययन से संबंधित. कुछ सदस्यों ने दोनों प्रस्तावों के खिलाफ असहमति नोट भी जारी किया. उन्होंने कहा कि सेंटर फॉर इंडिपेंडेंस एंड पार्टीशन स्टडीज देश के बंटवारे से जुड़ी ‘हाई वोल्टेज पॉलिटिक्स’ और कैसे तत्कालीन केंद्रीय नेतृत्व ‘अलगाववाद के रोगाणु’ को रोकने में विफल रहा, इस पर शोध की सुविधा प्रदान करेगा.

 

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