नए संसद भवन की क्या थी जरूरत? सामना में उद्धव गुट ने साधा पीएम मोदी पर निशाना, कहा- संसद के उद्घाटन में सिर्फ ‘मैं’

नई दिल्ली

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई संसद भवन का उद्घाटन किया है। इससे पहले शिवसेना (उद्धव गुट) ने अपने मुख पत्र सामना में नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर कई सवाल उठाए हैं। सामना में एक बार फिर पीएम मोदी पर हमला किया गया है। संपादकीय में कहा गया है कि नए संसद भवन का उद्घाटन मान्यता और परंपराओं के अनुरूप नहीं है। संसद पर इस तरह से कब्जा हासिल करना लोकतंत्र के लिए खतरा है। सामना में नई संसद पर सवाल उठाते हुए कहा गया कि इसकी जरूरत क्या थी? लेख में नई संसद को लेकर गैर जरूरी भी बताया गया है।

संसद में डर का माहौल-सामना
सामना में कहा गया कि एक तरफ नई संसद का निर्माण किया जा रहा है कि जबकि दूसरी तरफ संसद के दोनों सदनों में भय का माहौल है। लेख में कहा गया कि राष्ट्रपति को संसद के उद्घाटन में ना बुलाना पुरानी परंपरा और मान्यता के अनुरूप नहीं है। राहुल गांधी ने मांग की थी कि नई संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति करें। बाद में इस मांग को अन्य विपक्षी दलों ने माना। कांग्रेस समेत 20 दलों ने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार भी किया है।

‘सब कुछ ‘मैं’ मतलब मोदी’
सामना में पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा गया कि नई संसद के उद्घाटन में राष्ट्रपति और विपक्षी नेताओं को ना बुलाना मतलब सब कुछ ‘मैं’ यानी मोदी। यह अहंकार दिखाता है। सामना में कहा गया कि राहुल गांधी ने कहा कि है कि संसद अहंकार की ईंटों से नहीं, बल्कि संवैधानिक मूल्यों से बनाई जाती है। उद्घाटन में राष्ट्रपति को ना बुलाना सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है।

सामना में नए संसद भवन की आवश्यकता का फैसला कांग्रेस शासनकाल में ही लिया गया था। सेंट्रल विस्टा का भी कोई विरोध नहीं कर रहा है। मुद्दा सिर्फ ये है कि संसद के उद्घाटन में राष्ट्रपति को आमंत्रित ना करना संवैधानिक परंपरा का उल्लंघन है।

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