तमिलनाडु के CM से चिन्मयी की गुहार- नियम सबके लिए बराबर, वैरामुत्तु के खिलाफ हो कार्रवाई

प्लेबैक सिंगर और डबिंग आर्टिस्ट चिन्मयी श्रीपदा ने गीतकार वैरामुत्तु के खिलाफ भी आवाज उठाई है, जिनको मीटू मूवमेंट के दौरान 17 से ज्यादा महिलाओं ने दरिंदा बताया था। अब उन्होंने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को टैग करके लंबा-चौड़ा ट्वीट किया है। इसमें उन्होंने वैरामुत्तु के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने ये भी बताया है कि उनको तमिल फिल्म इंडस्ट्री में बैन कर दिया गया है और इस मामले के लिए कोर्ट में लड़ाई लड़ रही हैं।

बात साल 2018 की है। जब मीटू मूवमेंट के दौरान चिन्मयी ने गीतकार वैरामुत्तु को सेक्शुअल प्रीडेटर बताया था। उन्होंने खुलासा किया था कि जब वह इंडस्ट्री में नई थीं तो गीतकार ने उनके साथ छेड़छाड़ की थी। इसके बाद 17 और महिलाओं ने भी वैरामुत्तु पर सेक्शुअल हरैसमेंट का आरोप लगाया था। अब 29 मई, 2023 को चिन्मयी ने एक लंबा पोस्ट लिखा।

चिन्मयी ने किया ट्वीट
उन्होंन एमके स्टालिन और डीएमके की कनिमोझी को एक लंबा ट्वीट लिखकर बताया कि कैसे वैरामुत्तु ने अपने राजनीतिक संबंधों का इस्तेमाल करके कई महिलाओं को चुप करा दिया था। उन्होंने यह भी बताया कि नियम वैरामुत्तु और बृज भूषण के लिए समान होने चाहिए, जिन्होंने सात महिला पहलवानों का कथित रूप से यौन उत्पीड़न किया था।

मुख्यमंत्री से की अपील
चिन्मयी ने ट्वीट में लिखा, ‘बृज भूषण और वैरामुत्तु के लिए नियम अलग नहीं हो सकते हैं। हमारे चैंपियन पहलवानों और एक नाबालिग सहित देश के गौरव ने बृज भूषण का नाम लिया है। 17 से ज्यादा महिलाओं ने वैरामुथु का नाम लिया है। जिन्होंने मुझे और दूसरों को चुप कराने और प्रतिभाशाली और सपने देखने वाली महिलाओं के करियर को बर्बाद करने के लिए, आपकी पार्टी और आप से करीबी संबंध का इस्तेमाल किया है। उनकी प्रतिभा हम सभी से बड़ी नहीं है। यह ठीक आपकी नाक के नीचे हो रहा है।’

इसलिए अब बोलीं चिन्मयी श्रीपदा
उन्होंने आगे कहा, ‘प्लीज जरूरी कार्रवाई करें, जिससे पूरे तमिलनाडु में काम करने की जगह सुरक्षित हो सकें। मैं किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में बोल रही हूं, जिसे इंडस्ट्री ने निकाल दिया है क्योंकि लोग इसके राजनीतिक संबंधों के कारण खिलाफ में बोलने से डरते हैं।’ इंडिया टुडे टीवी से बात करते हुए, चिन्मयी ने कहा, ‘मैंने अभी बोलने का फैसला किया है क्योंकि यह सही समय है। अगर यह लोगों का आंदोलन नहीं बनता, तो मुझमें बोलने की हिम्मत नहीं होती और मैं इसे अपने अंदर ही दफन कर लेती। जब वैरामुत्तु ने ऐसा किया, तो मैं इससे अनजान थी। मेरी मां मुझे इससे बचाना चाहती थी। उसने वैरामुत्तु के मैनेजर से कहा कि वह मेरे करियर का ध्यान रखेगी और अगर मेरा करियर नहीं भी है तो भी अच्छी बात है।’

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