मणिपुर जल रहा, गांव में गोलियों की तड़तड़ाहट डरा रही… शाह के दौरे के बीच जानिए 5 बड़े अपडेट

इंफाल

म्यांमार से सटा भारत का पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर पिछले एक महीने से सुलग रहा है। इस दौरान कर्नाटक विधानसभा के चुनाव नतीजे आए, दिल्ली में नई संसद का उद्घाटन भी हो गया लेकिन देश के सुदूर राज्य की आग नहीं बुझी। घरों के धू-धू कर जलने की डरावनी तस्वीरें आ रही हैं। सोशल मीडिया पर भयावह मंजर दिखाई दे रहा है। सीएम एन. बीरेन सिंह का कहना है कि राज्य में शांति कायम करने के लिए ऑपरेशन चलाया जा रहा है और अब तक 40 हथियारबंद उग्रवादियों को ढेर किया जा चुका है। लेकिन राज्य के कई इलाकों में गोलीबारी और मुठभेड़ की घटनाएं थमी नहीं हैं। रविवार को भी दो लोगों की जान चली गई। सुरक्षाबलों से कूकी उग्रवादी लड़ रहे हैं।

कुछ दिन पहले सेना ने हथियार ढूंढने के लिए तलाशी अभियान शुरू किया था, जिसके बाद उग्रवादी फिर हमलावर हो गए। मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि उग्रवादियों के पास AK-47 और M-16 और स्नाइपर राइफलें हैं। 38 संवदेनशील क्षेत्रों की पहचान की गई है और स्टेट पुलिस ताबड़तोड़ ऐक्शन ले रही है। कुछ जगहों पर कर्फ्यू अब भी जारी है। सेना के जवान भी फील्ड में हैं और अब गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर पहुंच रहे हैं। आइए जानते हैं राज्य के अब तक के 5 बड़े अपडेट।

मणिपुर की आग बुझती क्यों नहीं है?
यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मेइती बहुसंख्यक हैं और दो आदिवासी समुदाय कुकी और नगा हैं। इनमें आपस में काफी मतभेद रहा है। मणिपुर में रहने वाले 53 प्रतिशत मेइती प्रभावशाली समुदाय है। मैइती अपर कास्ट से ताल्लुक रखते हैं और हिंदू हैं। ये इंफाल घाटी में रहते हैं। एक समय यहां के पहाड़ी क्षेत्रों में 50-60 उग्रवादी समूह एक्टिव थे। सीएम भी मेइती समुदाय से आते हैं। कुकी और नगा की नाराजगी यह है कि उनके साथ सौतेला व्यवहार होता है। ज्यादातर कुकी और नगा ईसाई हैं। मणिपुर में माना जाता है कि ज्यादातर कुकी म्यांमार से आए हैं। हाल में हिंसा इसलिए भड़की क्योंकि बहुसंख्यक मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने का फैसला लिया गया और आरक्षित वन क्षेत्र से आदिवासियों (कुकी और नगा) को खाली कराने की कोशिशें हो रही हैं। 27-28 अप्रैल से ही चुराचंदपुर में तोड़फोड़ और आगजनी शुरू हो गई। राज्य में अर्धसैनिक बलों के अलावा सेना और असम राइफल्स के 10,000 से ज्यादा जवानों को तैनात किया गया है।

​​कुकी उग्रवादी कौन लोग हैं​
कुकी एक जातीय समूह है जो मुख्य रूप से मणिपुर के दक्षिण पूर्वी क्षेत्र और मिजोरम में रहते हैं। इन्हें भारत, बांग्लादेश और म्यांमार की पहाड़ी जनजाति समझिए। पूर्वोत्तर भारत में ये अरुणाचल प्रदेश को छोड़कर बाकी राज्यों में मौजूद हैं। आजादी के कुछ साल बाद बाद ही कुकी समुदाय को अनुसूचित जनजाति के रूप में मान्यता मिली थी। कुछ कूकी समुदाय अपने लिए अलग कूकीलैंड की मांग कर रहे हैं। इसी समूह में से कुछ लोग भारत में रहते हुए अलग कूकीलैंड की बात करते हैं। 3 मई को पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद मणिपुर में भड़की हिंसा 75 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई।

​​धाड़ धाड़ धाड़…गांवों में बरस रहीं गोलियां​
मणिपुर के तनावपूर्ण हालात को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल कल यानी 30 मई की सुबह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करने वाला है। आज कांग्रेस के एक ट्विटर हैंडल से वीडियो ट्वीट किया गया जिसमें जलता घर और गाड़ी में गोलियों के निशान दिखाई दे रहे हैं। रिपोर्टर बताता है कि सड़क के इस तरफ गांव जल चुके हैं। जिस समय रिपोर्टर यह वीडियो शूट कर रहा होता है, बिल्कुल करीब फायरिंग की आवाज सुनाई देती है।

​​तीन दिन इंफाल में रहेंगे शाह​
उग्रवादियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प के बाद मणिपुर में स्थिति शांत लेकिन तनावपूर्ण बनी हुई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज मणिपुर जाने वाले हैं। वह जातीय संघर्ष का समाधान तलाशने के लिए कई बैठक करेंगे। वह तीन दिन तक कई स्थानों पर लोगों से बात करेंगे और हालात को समझने के साथ ही संकट का समाधान निकालने की कोशिश करेंगे। शाह पहले ही कह चुके हैं कि समाज के सभी वर्गों के लिए न्याय सुनिश्चित किया जाएगा। मीडियाकर्मियों को हिंसा वाले इलाकों से दूर रखा गया है।

 

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