‘देश को नए संसद भवन की जरूरत थी,’ मोदी सरकार को मिला अजित पवार का समर्थन!

नई दिल्ली,

महाराष्ट्र में नेता विपक्ष और एनसीपी लीडर अजित पवार ने नए संसद भवन पर एक बार फिर केंद्र सरकार के समर्थन में बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा, देश की जनसंख्या जो 135 करोड़ के पार जा रही है, उसे ध्यान में रखते हुए उनका प्रतिनिधित्व करने वाले लोग भी बढ़ेंगे, इसलिए मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि इस नए संसद भवन की जरूरत थी. इसे कोविड काल के दौरान भी रिकॉर्ड समय में बनाया गया है. उन्होंने पहलवानों के विरोध पर भी बयान दिया है.

बता दें कि नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम का NCP समेत विपक्ष के 21 दलों ने बायकॉट किया है. एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने मोदी सरकार पर भरोसे में नहीं लेने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, मैंने एक-दो घंटे ये कार्यक्रम देखा. मुझे लगा कि अच्छा हुआ कि इस आयोजन में नहीं गया. वहां जो लोग मौजूद थे और जो धर्मकांड चल रहा था, उसे देखकर पंडित जवाहरलाल नेहरू के आधुनिक भारत की कल्पना और संसद में चल रहे आयोजन में अंतर दिख रहा था.

अंग्रेजों ने बनाई थी पुरानी संसद’
अजित ने आगे कहा, अब इस नए संसद भवन में सभी को संविधान के अनुसार काम करना चाहिए और आम लोगों के मुद्दों को हल करना चाहिए. सभी को इसमें भाग लेना चाहिए. अजित पवार ने कहा, इसे बिना राजनीतिक एंगल से देखें तो मैं यह कहना चाहता हूं कि हम सभी जानते हैं कि अंग्रेजों ने संसद बनाई थी. आप जानते हैं कि कई राज्यों ने अपने विधानसभा भवन बनाए हैं. वर्तमान में हमारे बीच चर्चा है कि महाराष्ट्र में नया विधानसभा भवन होना चाहिए.

देश को नए संसद भवन की जरूरत थी’
उन्होंने कहा, देश की जनसंख्या को ध्यान में रखना चाहिए. जब पुरानी इमारत बनी थी, तब 35 करोड़ आबादी थी. अब हम 135 करोड़ पार कर गए हैं. यानी लोगों का प्रतिनिधित्व भी बढ़ा है. मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि इस नए भवन की आवश्यकता थी. निर्माण एजेंसी ने कोरोना काल के बीच रिकॉर्ड समय में काम पूरा किया है और आखिरकार हमें एक अच्छा संसद भवन मिल ही गया.

‘महानुभावों का लगातार अपमान किया जा रहा है’
वहीं, महाराष्ट्र सदन के कार्यक्रम में अहिल्याबाई की मूर्ति को कथित रूप से हटाने की घटना पर अजित ने शिंदे सरकार को घेरा. उन्होंने कहा, हम एकनाथ शिंदे सरकार के सत्ता में आने के बाद से देख रहे हैं विभिन्न महानुभावों का अपमान किया जा रहा है. राज्यपाल ने भी शिवाजी महाराज के खिलाफ विवादित बयान दिया था, लेकिन किसी ने इस पर बात नहीं की.

‘क्या यह जानबूझकर किया जा रहा है?’
उन्होंने कहा, महाराष्ट्र सदन में जो हुआ वो अब हद पार कर चुका है. कल के कार्यक्रम में अहिल्याबाई देवी और सावित्रीबाई फुले की प्रतिमा को हटाने गया. इस तरह की घटना नियमित रूप से क्यों हो रही हैं? क्या यह जानबूझकर किया गया है. मैं इस कृत्य की निंदा करता हूं.

‘पहलवान खिलाड़ी हैं, राजनीति नहीं करते’
अजित ने दिल्ली में विरोध करने वाले पहलवानों के मसले पर कहा, पहलवान कई दिनों से न्याय पाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं. वे राजनीति नहीं कर रहे हैं. वे खिलाड़ी हैं. वे किसी भी राजनीतिक दल से ताल्लुक नहीं रखते हैं. हम यह सोच रहे थे कि नए संसद भवन उद्घाटन से पहले उनका मुद्दा हल हो जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अगर उन्हें इस मुद्दे को हल करना है तो इस पर चर्चा होनी चाहिए.

‘MVA में योग्यता के आधार पर उम्मीदवार तय करेंगे’
पुणे में संभावित उपचुनाव पर अजित ने कहा, किसी भी हालत में किसी भी चुनाव में हम एमवीए के नेता एक साथ बैठेंगे और अपनी पार्टी के बारे में सोचे बिना चुनावी योग्यता के आधार पर उम्मीदवार तय करेंगे. हम चर्चा करेंगे और एमवीए के विधायक और सांसद को कैसे बढ़ाया जाए, इस पर बात करेंगे. हर पार्टी इसके लिए काम कर रही है. हर कोई अपने स्तर पर बैठक कर रहा है. शिवसेना UBT, एनसीपी और कांग्रेस. यह रूटीन है- हर कोई अपने लिए तैयारी करता है.

‘लोकसभा और विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ेंगे’
उन्होंने कहा, हमारे वरिष्ठों ने आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ने का मन बना लिया है. हम (जूनियर नेता, कार्यकर्ता) इसका समर्थन कर रहे हैं. अगर हम मौजूदा शिंदे और बीजेपी गठबंधन को हराना चाहते हैं तो हमें साथ आना होगा. बिना किसी मतभेद के एक साथ चुनाव लड़ें तो निश्चित तौर पर हम चुनाव जीतेंगे.

जनवरी 1927 में हुआ था संसद भवन का उद्घाटन
बताते चलें कि पुराना संसद भवन 96 साल पुराना है. संसद भवन का उद्घाटन 18 जनवरी 1927 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने किया था. उस समय इसे हाउस ऑफ पार्लियामेंट कहा जाता था. इसका निर्माण साल 1921 में शुरू हुआ था और 1927 में पूरा हुआ था. ड्यूक ऑफ कनॉट ने 12 फरवरी 1921 को संसद भवन की आधारशिला रखी थी. इस भवन का निर्माण अंग्रेजों ने दिल्ली में नई प्रशासनिक राजधानी बनाने के लिए किया था. उस दौर में संसद भवन के निर्माण में 83 लाख रुपए खर्च हुए थे. संसद भवन का डिजाइन उस दौर के मशहूर ब्रिटिश वास्तुकार एडविन के लुटियन और हर्बर्ट बेकर ने साल 1912-13 में तैयार किया था.

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