पायलट के चेहरे पर मंद-मंद मुस्कान, टेंशन में गहलोत, राहुल ने ऐसा क्या कर दिया!

नई दिल्ली

दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास के बाहर सोमवार देर रात गहलोत और पायलट बाहर आए, दोनों के साथ कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता थे। बीच में AICC महासचिव केसी वेणुगोपाल खड़े थे, उन्होंने मीडिया से बात की और कहा कि राजस्थान में कोई विवाद नहीं है। दोनों नेता मिलकर चुनाव लड़ेंगे। हालांकि, इस दौरान गहलोत और पायलट ने कुछ नहीं बोला, लेकिन दोनों के चेहरों के भाव पूरी कहानी कह रहे थे।

पत्रकारों से बात करते हुए वेणुगोपाल ने कहा कि राजस्थान में सब मिलकर चुनाव लड़ेंगे और हम जीत हासिल करेंगे। इसके बाद सब चले गए, तो क्या मान लिया जाए कि विवाद खत्म हो गया? क्योंकि तस्वीर तो ऐसा नहीं कह रही थी तो फिर अंदर की बात क्या है?

बता दें कि, 29 मई को करीब चार घंटे तक दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर गहलोत और पायलट विवाद को लेकर मंथन हुआ। इस बैठक में राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल, अशोक गहलोत, सचिन पायलट और राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा मौजूद थे। अंदर क्या बात हुई कुछ सामने नहीं आया लेकिन, दोनों नेताओं की बॉडी लैंग्वेज बहुत कुछ बोल गई।

दरअसल, बैठक के बाद जब सभी बाहर आए तो पहले गहलोत और पायलट दोनों के चेहरे शांत नजर आ रहे थे, लेकिन जैसे-जैसे केसी वेणुगोपाल में पत्रकारों के सवालों का जवाब देना शुरू किया गहलोत और पायलट के चेहरे के भाव भी बदलने लगे। पत्रकारों से इस बातचीत के दौरान गहलोत थोड़े बुझे हुए से लग रहे थे। जबकि, पायलट के चेहरे पर थोड़े आत्मविश्वास और संतोष के भाव नजर आ रहे थे।

वहीं, इस बातचीत के दौरान वेणुगोपाल ने कहा कि ‘4 घंटे की बैठक चली है। राजस्थान में कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ेगी और जीतेगी भी। पायलट और गहलोत को लेकर वेणुगोपाल ने कहा कि जो भी बात होगी, उस पर हाईकमान बाद में मिल बैठ कर फैसला कर लेगा। लेकिन, जब पत्रकार गहलोत और पायलट को लेकर कई सवाल करने लगे तो दोनों ही नेताओं के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई। जिसको देखकर यह साफ कहा जा सकता है कि गहलोत की मुस्कुराहट थोड़ा खिंचाव था और सचिन पायलट की मुस्कान ज्यादा संतोष जनक लग रही थी।

फिर सवाल ये है कि तो सोमवार को पूरे दिन हुआ क्या? कांग्रेस से जुड़े सूत्रों की मानें तो, राहुल गांधी अमेरिका जाने से पहले दोनों के बीच सुलह चाहते थे। उन्होंने सचिन पायलट को आश्वासन दिया कि उनके सम्मान का पूरा ख्याल रखा जाएगा। वहीं, पायलट समर्थकों की मानें तो, पायलट को एक बार फिर साथ लाने और दोनों नेताओं के बीच सहमति बनाने की कोशिश जरूर की गई है। फिलहाल, पायलट ने सब कुछ कांग्रेस नेतृत्व पर छोड़ दिया है। अगले कुछ दिनों में फिर मीटिंग होने की संभावना है।

हालांकि, इस सब के बावजूद कई सवाल अभी भी खड़े हैं जैसे, कांग्रेस अब गहलोत-पायलट के विवाद को पूरी तरह कैसे खत्म करेगी? क्या पार्टी आलाकमान दोनों को साथ लाने में सफल होगी? क्या पायलट आलाकमान की बातों से संतुष्ट होंगे या 11 जून को कोई बड़ा फैसला लेंगे? हालांकि, ये सब तो आने वाले समय में ही साफ हो पाएगा। फिलहाल, कांग्रेस ने ये संदेश जरूर दे दिया कि वो दोनों में किसी एक नेता को भी खोना नहीं चाहती है।

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