बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक, विनेश फोगाट… किसके पास कितने और कौन से मेडल?

नई दिल्ली,

हरिद्वार में हर की पौड़ी पर मंगलवार को अलग ही नजारा था. गंगा दशहरा भी था. हजारों की भीड़ थी. इसी भीड़ में बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट समेत कई बड़े खिलाड़ी भी मौजूद थे. ये सभी खिलाड़ी ओलंपिक और अंतरराष्ट्रीय खेलों में जीते मेडल को गंगा में बहाने आए थे. बाद में इन्होंने मेडल को गंगा में बहाने का प्लान पांच दिन के लिए टाल दिया.

गंगा किनारे पहुंचने से पहले साक्षी मलिक ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखी. इसमें उन्होंने लिखा, ‘मेडल हमारी जान हैं, हमारी आत्मा है. इनके गंगा में बह जाने के बाद हमारे जीने का भी कोई मतलब नहीं रह जाएगा. इसलिए हम इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे.’ साक्षी मलिक की इस पोस्ट को विनेश फोगाट ने भी शेयर किया.

इससे पहले रविवार को इन खिलाड़ियों को दिल्ली पुलिस ने जंतर-मंतर से हटा दिया था. ये खिलाड़ी बीजेपी सांसद और भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ महीनेभर से जंतर-मंतर पर धरना दे रहे थे. खिलाड़ियों ने बृजभूषण पर नाबालिग समेत कई महिला खिलाड़ियों के यौन शोषण का आरोप लगाया है. इस मामले में बृजभूषण पर दो एफआईआर भी दर्ज हुईं हैं.

पुलिस ने इन तीनों पहलवानों समेत कई लोगों के खिलाफ केस भी दर्ज किया है. रविवार को ही पुलिस ने इन खिलाड़ियों को हिरासत में भी लिया था. ये खिलाड़ी बृजभूषण की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं.बहरहाल, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया ओलंपिक में मेडल जीत चुके हैं. वहीं, विनेश फोगाट ने वर्ल्ड चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता था.

किस खिलाड़ी के पास कितने मेडल?
1.बजरंग पूनिया
ओलंपिक
– टोक्यो ओलंपिक 2020 (65 किलो): ब्रॉन्ज
वर्ल्ड चैम्पियनशिप
– बुडापेस्ट 2018 (65 किलो): सिल्वर
– बुडापेस्ट 2013 (60 किलो): ब्रॉन्ज
– नूर-सुल्तान 2019 (65 किलो): ब्रॉन्ज
– बेलग्राद 2022 (65 किलो): ब्रॉन्ज
एशियन गेम्स
– जकार्ता 2018 (65 किलो): गोल्ड
– इंचेयॉन 2014 (61 किलो): सिल्वर
कॉमनवेल्थ गेम्स
– गोल्ड कोस्ट 2018 (65 किलो): गोल्ड
– बर्मिंघम 2022 (65 किलो): गोल्ड
– ग्लास्गो 2014 (61 किलो): सिल्वर
एशियन चैम्पियनशिप
– नई दिल्ली 2017 (65 किलो): गोल्ड
– शियान 2019 (65 किलो): गोल्ड
– अस्ताना 2014 (61 किलो): सिल्वर
– नई दिल्ली 2020 (65 किलो): सिल्वर
– अल्माटी 2021 (65 किलो): सिल्वर
– उलानबटार 2022 (65 किलो): सिल्वर
– नई दिल्ली 2013 (60 किलो): ब्रॉन्ज
– बिशेक 2018 (65 किलो): ब्रॉन्ज
कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप
– ब्राकपेन 2017 (65 किलो): गोल्ड
– सिंगापुर 2016 (65 किलो): गोल्ड

2. साक्षी मलिक
ओलंपिक
– रियो ओलंपिक 2016 (58 किलो): ब्रॉन्ज
कॉमनवेल्थ गेम्स
– बर्मिंघम 2022 (62 किलो): गोल्ड
– ग्लास्गो 2014 (58 किलो): सिल्वर
– गोल्ड कोस्ट 2018 (62 किलो): ब्रॉन्ज
एशियन चैम्पियनशिप
– दोहा 2015 (60 किलो): ब्रॉन्ज
– नई दिल्ली 2017 (60 किलो): सिल्वर
– बिशेक 2018 (62 किलो): ब्रॉन्ज
– शियान 2019 (62 किलो): ब्रॉन्ज
कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप
– जोहान्सबर्ग 2013 (63 किलो): ब्रॉन्ज
– जोहान्सबर्ग 2016 (62 किलो): गोल्ड

3. विनेश फोगाट
वर्ल्ड चैम्पियनशिप
– बेलग्राद 2022 (53 किलो): ब्रॉन्ज
– नूर-सुल्तान 2019 (53 किलो): ब्रॉन्ज
– जकार्ता 2018 (50 किलो): गोल्ड
– इंचियान 2014 (48 किलो): ब्रॉन्ज
कॉमनवेल्थ गेम्स
– ग्लास्गो 2014 (48 किलो): गोल्ड
– गोल्ड कोस्ट 2018 (50 किलो): गोल्ड
– बर्मिंघम 2022 (53 किलो): गोल्ड
एशियन चैम्पियनशिप
– अल्माटी 2021 (53 किलो): गोल्ड
– दोहा 2015 (48 किलो): सिल्वर
– नई दिल्ली 2017 (55 किलो): सिल्वर
– बिशेक 2018 (50 किलो): सिल्वर
– नई दिल्ली 2013 (51 किलो): ब्रॉन्ज
– बैंकॉक 2016 (53 किलो): ब्रॉन्ज
– शियान 2019 (53 किलो): ब्रॉन्ज
– नई दिल्ली 2020 (53 किलो): ब्रॉन्ज

इन पुरस्कारों से भी हैं सम्मानित
बजरंग पूनियाः 2019 में पद्मश्री और खेल रत्न अवॉर्ड से सम्मानित. 2015 में अर्जुन अवॉर्ड से नवाजे गए थे.
– साक्षी मलिकः 2017 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया. इससे पहले 2016 में खेल रत्न अवॉर्ड मिला था.
– विनेश फोगाटः 2020 में सरकार ने खेल रत्न अवॉर्ड से सम्मानित किया. 2016 में अर्जुन अवॉर्ड से नवाजा गया था.

क्या गंगा में बहा देंगे मेडल?
मंगलवार को खिलाड़ी अपने मेडल गंगा में बहाने के लिए गए थे. लेकिन किसान नेता नरेश टिकैत के समझाने के बाद उन्होंने अपना फैसला पांच दिन के लिए टाल दिया. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, हरियाणा की खाप और किसान संगठनों की वजह से खिलाड़ियों ने मेडल बहाने का फैसला टाल दिया.

किसान संगठनों और खाप ने खिलाड़ियों को आगे की रणनीति तय करने के लिए पांच दिन का समय मांगा है. फोगाट खाप के नेता बलवंत नंबरदार ने खिलाड़ियों से अपने मेडल गंगा में न बहाने की अपील की थी. उन्होंने कहा था, ये मेडल उनकी कड़ी मेहनत, परिवार के बलिदान और समाज के समर्थन से उन्हें मिले हैं.

नंबरदार ने कहा था, हरियाणा की खाप और किसान संगठन इस लड़ाई में खिलाड़ियों के साथ खड़े हैं. चरखी दादरी अपना खून बहाने के लिए तैयार है. हरियाणा भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के प्रमुख गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने भी खिलाड़ियों से अपील करते हुए कहा था, ये मेडल राष्ट्रीय धरोहर का हिस्सा हैं और आने वाली पीढ़ी को इससे प्रेरणा मिलेगी. कांडेला खाप के नेता रामफ कंडेला ने भी खिलाड़ियों से मेडल न बहाने की अपील की थी.

 

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